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अब तक दिये 338 बच्चे गोद, इनमें 9 की हो रही विदेशों परवरिश
डिजिटल डेस्क, भोपाल। जिन नवजातों को उनकी मां और पिता ने जन्म देते ही त्याग दिया, उनकी परवरिश अब बेहतर हो रही है। कई बच्चे चांदी की चम्मच से खाना खा रहे हैं और उनकी जिंदगी सात समंदर पार शुरू हुई है। इनमें से कुछ बच्चे तो धनाढ्य परिवार में इकलौते बनकर रह रहे हैं। ऐसे तकरीबन 338 से ज्यादा नौनिहालों को मातृछाया में आसरा मिला, जहां से उन्हें नए माता-पिता को सौंप दिया गया है।
9 माह तक कोख में रहने के बाद जब दुनिया में आते ही वो नन्हीं सी आंखें खुलती हैं तो उनकी निगाहें सबसे पहले मां को तलाशती हैं, उसका मन मां के आंचल में सिमटने को करता है। मां और बच्चे का यह अहसास का रिश्ता ईश्वर ने ही गढ़ा है... लेकिन यह अनुभूति कई बच्चों को उम्रभर नहीं हो पाती। माता-पिता उन्हें स्वयं अपने हाथों से फेंक देते हैं।
ऐसे ही शिशुओं को अपनो ने ठुकरा दिया है। जिनका सहारा सेवा भारती, मातृछाया भोपाल बनी है। मातृछाया में अब तक 351 बच्चों का लालन-पालन कर उन्हें सही हाथों में सौंपा है। मातृछाया आज दिनांक तक 338 बच्चे शासन के नियमानुसार गोद दे चुके हैं और वर्तमान में 13 बच्चों का पालन किया जा रहा है। मातृछाया को आज तक विभिन्न देशों जैसे स्पेन, आस्ट्रेलिया, दुबई, कनाडा, स्वीडन, इटली, अमेरिका आदि देशों के दम्पत्तियों के आवेदन प्राप्त हुये हैं। अभी तक संस्था द्वारा विदेेश में 9 नवजात (7-बालिकाओं और 2-बालकों) को गोद दे चुके हैं।
मातृछाया के संचालक विमल त्यागी ने बताया कि संस्था को कभी मातृछाया परिसर में लगे पालने में, तो कभी बेग/झोले में भरकर झाड़ियों, नालियों में फेंके गये बच्चे मिलने लगे। मिलने वाले बच्चें अत्यंत कमजोर और कम वजन वाले होते हैं जिन्हें मातृछाया की यशोदाओं द्वारा उचित देखभाल की जाती है। कभी-कभी उन बच्चों को स्पीच थेरेपी और फिजियोथेरेपी की आवश्यकता भी होती है जिसे डाक्टर्स द्वारा करवाई जाती है। सेवा भारती मातृछाया ने कार्य की पारदिर्शिता और समर्पण से राज्य तथा केन्द्र सरकार का भरोसा जीत लिया। उन्होंने बताया कि अन्तर्राष्ट्रीय दत्तक गृहण एजेन्सी के रूप में मध्यप्रदेश में कार्य करने वाली एकमात्र संस्था है।
सबसे पहले अपनाई जाती है यह प्रक्रिया
लावारिस शिशु प्राप्त होने पर स्थानीय पुलिस थाना अपराध पंजीबद्ध करता है इसके बाद शासकीय पत्र के साथ शिशु को सेवा भारती मातृछाया को सौंप देता है। शिशु प्राप्त करने के बाद पुलिस विभाग को पावती दे दी जाती है।
अस्पताल भी मातृछाया को देते है शिशु
यदि कोई शिशु अज्ञात अवस्था में शासकीय अस्पताल को प्राप्त होता है तो उसके समुचित स्वास्थ्य परीक्षण के पश्चात् सेवा भारती मातृछाया को सूचना करता है। कार्यालयीन प्रक्रिया पूर्ण करने के पश्चात शिशु को मातृछाया में लाया जाता है।
कई बार अज्ञात छोड़ देते पालने/झूले में
अज्ञात द्वारा यदि किसी शिशु को मातृछाया परिसर में लगे पालने/झूले में छोड़ दिया जाता है तो मातृछाया द्वारा उसकी सूचना स्थानीय पुलिस थाना को दी जाती है। पुलिस थाना से अधिकृत अधिकारी/कर्मचारी मातृछाया आकर पंचनमा आदि बनाते हैं और अज्ञात रूप से प्राप्त शिशु को मातृछाया को विधिवत सौंप देते है।
Created On :   10 Sept 2021 7:11 PM IST