तुअर की फसल पर मर रोग का प्रकोप
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डिजिटल डेस्क, भंडारा। तहसील में तुअर की फल्ली भरने की स्थिति में तुअर फसल पर मररोग का प्रकोप बढ़ने लगा है। जिससे जड़ से तुअर फसल खराब हो रही है। उत्पादकों के हाथ में केवल तुअर की डंडियां शेष रहेगी यह भय निर्माण हुआ है। तहसील में 2 हजार 600 हेक्टेयर पर तुअर फसल लगाई गई। मररोग का प्रभाव एवं बदरीले मौसम से फसल पर विपरीत परिणाम हो रहा है। फसल की फल्ली को नुकसान करने वाली इल्लियां, पिसारा, पतंग व शेंगे पर मक्खी के आक्रमण करने की बात किसानों ने कही है। मररोग से तुअर फसल की जड़े सूख जाती है। इस वर्ष मर रोग व कीट का प्रकोप बढ़ा है। इससे फल्ली भरने के पहले ही तुअर का पौधा सूख जाता है। जिससे फल्ली का आकार छोटा होकर उत्पादन पर बड़ा परिणाम होगा।
खेतों में तुअर के पत्ते, फल्ली सूख जाने से अब केवल तुअर की डंडियां ही खेतों में खड़ी दिख रही है। मररोग यह बुरशीजन्य रोग है। इससे तुअर की डंडियों पर दाग, दरार पड़कर फसल की जड़ की ओर खाद्य को पहंुचने नहीं देते। जिससे तुअर फसल जड़ से सूखने की शुरुआत होती है। इससे वर्षभर की गई मेहनत बर्बाद होकर अपेक्षित उत्पादन नहीं मिलता। यह वातावरण में परिवर्तन का परिणाम है यह कृषि विशेषज्ञ बताते हैं। खरीफ मौसम में तुअर यह अंतर फसल के रूप में ली जाती है, लेकिन उत्पादन की दृष्टि से यह महत्वपूर्ण फसल है। अब कपास अंतिम चरण में है। तुअर फसल की फल्ली खराब होने की अवस्था में है। अभी तक फसल पर किया गया खर्च निकलेगा क्या? किसानों को यह चिंता सताने लगी है।
Created On :   4 Jan 2023 6:25 PM IST