बीड के किसान पुत्र ने अमेरिका में रचा इतिहास

Beeds farmer son created history in America
बीड के किसान पुत्र ने अमेरिका में रचा इतिहास
30 साल पुराना नेशनल रिकार्ड तोड़ा बीड के किसान पुत्र ने अमेरिका में रचा इतिहास

डिजिटल डेस्क, बीड।  बीड जिले के स्थित मांडवा गांव के किसान का बेटा अविनाश साबले ने अमेरीका में  3000 मीटर स्टीपलचेज स्पर्धा में राष्ट्रीय रिकॉर्ड धारक अविनाश साबले ने 5000 मीटर दौड़ में नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया है। उन्होंने 13:25.65 मिनट में रेस पूरी कर बहादुर प्रसाद का 30 साल पुराना रिकॉर्ड तोडने से भारत देश का नाम रोशन किया है । बहादुर ने साल 1992 में यह रिकॉर्ड बनाया था। अमेरिका के कैलीफोर्निया में आयोजित रेस में अविनाश 12वें नंबर पर रहे, लेकिन इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय रिकॉर्ड अपने नाम किया। नार्वे के जैकब ने 13 मिटन दो सेकेंड में यह दौड़ पूरी कर प्रतियोगिता अपने नाम की। उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में 1500 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। इसके चलते इस जीत के  अवसर पर महाराष्ट्र सहीत विभिन्न शहरो में देशवाशियोने अविनाश साबले को बधाई दी ।

साबले की ही नाम है 3000  मीटर स्टीपलचेज का रिकॉर्ड
3000 मीटर स्टीपलचेज सबसे कम समय में पूरी करने का रिकर्ड अविनाश साबले के ही नाम है। उन्होंने कई बार अपना ही रिकॉर्ड तोड़ा है। टोक्यो ओलंपिक में अविनाश साबले ने 8:18.12 समय के साथ राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया था, लेकिन फाइनल में जगह नहीं बना पाए थे। इस प्रतियोगिता में वो सातवें स्थान पर रहे थे। तीन हजार मीटर स्टीपल चेज का रिकॉर्ड इससे पहले भी उनके ही नाम था। साबले ने मार्च 2021 में फेडरेशन कप में 8: 20. 20 मिनट में दौड़ पूरी कर राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया था।

6 साल की उम्र में स्कूल की वजह से भागना शुरू हुआ
साबले का जन्म अपने गांव मांडवा में हुआ । परिवार किसान है। पैदल ही शरीर को खोलने के अवसर बचपन से ही मिलने लगे। परिवार का हिसाब ऐसा था कि स्कूल 6 किलोमीटर दूर पड़ता है। 6 साल की उम्र में यह यात्रा या तो भागकर होती थी या फिर पैदल चलकर क्योंकि बस, रिक्शा वगैरह की कोई सुविधा नहीं थी।6 कक्षा में पढाई करते समय क्रीड़ा प्रबोधन के टेस्ट में उत्तीर्ण होने पर  औरंगाबाद के क्रीड़ी प्रबोधन में प्रवेश मिला ।आगे के चार साल की पढ़ाई वहां पर रहकर पूरी की 12वीं क्लास पास करने के बाद सेना में नौकरी लग गई और 2013-14 में सियाचीन ग्लेशियर पर पोस्टिंग दी गई, राजस्थान के रेगिस्तान में भी ड्यूटी की और 2015 में सिक्किम में तैनात रहे।

20 किलो वजन कम करना पड़ा, वो भी तीन महीने में
इसके बाद खेल में बड़ा पड़ाव आया जब इस जवान ने इंटर आर्मी क्रास कंट्री रनिंग में पहले भाग लिया। उनके साथी जवानों ने साबले में कुछ तो हुनर देखा और उनके कहने पर साबले दौड़ में शामिल हो गए। इसके बाद वे स्टीपलचेज में गए और अमरीश कुमार से ट्रेनिंग ली। साबले का वजन जो आज दुबला पुतला लगता है एक समय बड़ा भारी थी। उनको 20 किलो वजन कम करना पड़ा, वो भी तीन महीने में। उसके बाद नेशनल कैम्प में एंट्री हुई और विदेशी कोच ने उनको तराशा।

सफलताएं  रुक रुक कर मिली व  अब तक जारी हैं
देसी खिलाड़ी को लेकिन विदेशी कोचिंग माफिक नहीं आई और वे फिर से कुमार की कोचिंग की छत्रछाया में चले गए। उन्होंने 2018 में नेशनल ओपन चैम्पियनशिप में 37 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा। फिर मार्च 2019 में नया नेशनल रिकॉर्ड बनाया। अपने रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड तोड़ने के कारनामों के बाद वह ऐसे पहले पुरुष स्टीपलचेजर बन गए जो वर्ल्ड चैम्पियनशिप के लिए क्वालिफाई कर पाए थे। इंटरनेशनल सफलता अब मिलनी शुरू हुई क्योंकि उन्होंने साल 2019 में एशियन एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में सिल्वर हासिल कर लिया। फिर उसी साल के अंत में अपना ही रिकॉर्ड वर्ल्ड चैम्पियनशिप में तोड़ दिया। वर्ल्ड चैम्पियनशिप में यह खिलाड़ी 3000 मीटर स्टीपलचेज के फाइनल में जाने वाला पहला भारतीय था। उन्होंने बाद में 2020 के समर ओलंपिक में भी क्वालिफाई किया।

Created On :   7 May 2022 6:01 PM IST

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