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सरकारी अस्पताल में लेबर पेन के दौरान दी जाती है भद्दी गालियां
डिजिटल डेस्क, नागपुर। एक स्त्री को किसी बच्चे को जन्म देना और उसके लिए प्रसूति की वेदना सहन करना किसी पुनर्जन्म से कम नहीं समझा जाता। बच्चे के साथ मां का भी यह नया जन्म होता है। इस वेदना के बीच स्त्री को भरपूर प्यार, संवेदना और सहारे की जरूरत होती है। यदि ऐसी स्थिति में महिलाओं को जलालत और भद्दी गालियां मिले तो इस भयाभय स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। मगर अफसोस यह शर्मनाक हरकत शहर के सरकारी डागा अस्पताल में हर रोज हो रही है। महिलाएं अपने साथ होने वाली इस जिल्लत को इसलिए सहन करती हैं, क्योंकि वह निजी अस्पताल में इलाज करवाने के लिए सक्षम नहीं हैं।
हाल ही में प्रसूति के लिए दर्द से तड़पती रानी वासनिक नामक महिला को डागा अस्पताल में समय पर इलाज नहीं मिला। काफी समय के बाद फर्श पर ही स्टाफ ने उसकी डिलीवरी करा दी। और नवजात की मौत हो गई। दैनिक भास्कर ने यहां प्रसूति के लिए आई महिलाओं की स्थिति पर पड़ताल की तो कई चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। हद तो तब हो जाती है, जब प्रसूति के बाद टांके लगी महिलाओं को पैदल ही तीसरी मंजिल पर चढ़ना पड़ता है। डिलीवरी के बाद जिन महिलाओं को अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है, उन्होंने नाम न बताने की शर्त पर व्यथा बताई, भास्कर के पास उनका अधिकृत बयान मौजूद है।
भद्दी गालियां ऐसी कि बताने में भी शर्म आती है
गर्भधारण के बाद से ही डागा अस्पताल में इलाज चल रहा है। मेरी डिलीवरी की डेट 9 सितंबर थी, लेकिन 2 सितंबर को नॉर्मल डिलीवरी से बेटी पैदा हुई। जनरल वार्ड में जितनी भी नर्स हैं, उनका व्यवहार बहुत ही बुरा है। वो तो ऐसा ट्रीट करती है, जैसे कि हम उनके नौकर हैं। आसपास के बेड पर जितनी भी महिलाएं भर्ती थीं, सभी के साथ यही व्यवहार था। डिलीवरी के बाद महिलाओं की स्थिति वैसे ही नाजुक हो जाती है। प्यार से बात करने के बजाय भद्दी-भद्दी ऐसी गलियां देती हैं, जिन्हें बताने में भी शर्म आती है। बुरा व्यवहार मानसिक रूप से कमजोर कर देता है। ऐसा लग रहा था कि जल्दी से जल्दी अस्पताल से छुट्टी मिल जाए। मैंने समस्या बतानी चाही, तो नर्स का कहना था कि हमारे पास और भी मरीज हैं, बाद में बात करते हैं। फरहा नाज (बदला हुआ नाम)
पूरे एक दिन तकलीफ सहती रही, दूसरे दिन डॉक्टर आए
मेरी डिलीवरी डागा अस्पताल में 5 सितंबर को हुई। घर में ही लेबर पेन शुरू हुआ। अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टर तो अच्छे से बात करते हैं, लेकिन नर्सिंग स्टाफ बहुत ही बुरा व्यवहार करता है। डिलीवरी के बाद मैंने नर्स से अपनी तकलीफ बताई, तो उसने गंदे शब्दों के साथ दुत्कार दिया। नर्स ने कहा कि थोड़ा सहने की आदत होनी चाहिए। जब डॉक्टर आएंगे, तो उनसे बात करा देंगे। पूरा एक दिन तक मैं तकलीफ सहती रही। दूसरे दिन जब डॉक्टर आए तो मैंने उनसे अपनी तकलीफ बताई। {सलमा शेख (बदला हुआ नाम)
शिकायत पर कहा, यहां क्यों आई, प्राइवेट में जाओ
मेरे पति प्राइवेट नौकरी करते हैं। गर्भधारण करने के बाद से मेरा उपचार डागा अस्पताल में चल रहा है। डॉक्टर तो अच्छे से बात करके समझाते हैं, लेकिन नर्सिंग स्टाफ और अस्पताल का अन्य स्टाफ का व्यवहार मरीजों से ठीक नहीं है। मैंने कहा कि वार्ड में सुविधा नहीं है, तो नर्स ने कहा कि ज्यादा सुविधा चाहिए तो प्राइवेट अस्पताल जाओ। सरकारी अस्पताल में इलाज करवाना है तो इसी के हिसाब से चलना पड़ेगा। {सुनंदा चौबे (बदला हुआ नाम)
स्ट्रेचर भी नहीं मिला, टांके लगने के बाद पैदल ही तीसरी मंजिल गई
डागा अस्पताल में 18 अगस्त को मैंने दूसरे बेटे को जन्म दिया। दूसरे बेटे के बाद मैंने फैमिली प्लानिंग का ऑपरेशन करवाने का निर्णय लिया। 21 अगस्त को फैमिली प्लानिंग का ऑपरेशन हुआ। मुझे आईवी लगी थी। मैंने नर्स को आईवी निकालने के लिए बुलाया, तो नर्स नहीं आई। मुझे खुद ही निकालनी पड़ी। साथ ही तीसरी मंजिल पर जाने के लिए स्ट्रेचर भी नहीं मिला। टांके लगने होने के बाद मुझे पैदल ही तीसरी मंजिल तक ले गईं। मेरे सामने अन्य महिलाओं के साथ भी यही हुआ। मेरे सामने की बात है, एक महिला को एनेस्थेसिया दिया हुआ था। 3-4 घंटे तक महिला की डिलीवरी नहीं की गई। एनेस्थेशिया का असर भी खत्म हो गया। इसके बाद उसका ऑपरेशन शुरू किया। वह चिल्लाती रही उसकी एक नहीं सुनी। यह तो लापरवाही की हद हो गई। प्रियंका (बदला हुआ नाम)
स्टाफ बदतमीज हैं, तो यहां आती क्यों हैं
-रिपोर्टर : मैडम प्रसूति के लिए आई महिलाओं का कहना है कि डागा अस्पताल का स्टाफ बहुत ही बदतमीजी से पेश आता है।
-अधीक्षक : तो वो क्यों आते हैं, अगर इतना बदतमीज स्टाफ है। 10 हजार से ज्यादा डिलीवरी ऐसी ही नहीं हुई है। अगर स्टाफ ऐसा होता है तो मरीज क्यों आते।
-रिपोर्टर : प्रसूति के लिए आई महिलाओं का कहना है कि नर्सिंग स्टाफ बुरा व्यवहार करता है।
-अधीक्षक : यदि आपको उनकी चिंता है तो आप एक काम कीजिए, लेबर रूम में आकर ड्यूटी कीजिए।
Created On :   9 Sept 2021 10:26 AM IST