अयोध्या तब और अब : दिसंबर अब रीढ़ को सर्द नहीं करता

Ayodhya then and now: December no longer sends chills down the spine
अयोध्या तब और अब : दिसंबर अब रीढ़ को सर्द नहीं करता
उत्तर प्रदेश अयोध्या तब और अब : दिसंबर अब रीढ़ को सर्द नहीं करता

डिजिटल डेस्क, अयोध्या। दिसंबर अब रीढ़ को सर्द नहीं कर पाता और अयोध्या सर्दियों की हवा में आराम से सांस लेती है। बाबरी मस्जिद को गिराए जाने के तीन दशक बाद भी बाबरी विध्वंस की पूर्व संध्या पर कोई आशंका नहीं है। अतीत दृढ़ता से पीछे रह गया है और लोग अब भविष्य की ओर देख रहे हैं - एक ऐसा भविष्य, जहां बड़े पैमाने पर विकास, नवीनीकरण और पुनरुद्धार हो।

यहां की हनुमान गढ़ी के पास 82 वर्षीय श्यामा चरण तिवारी की एक दुकान थी, जिसमें धार्मिक स्मृति चिन्ह वगैरह चीजें बिकती थीं। वह याद करते हैं, लगभग 28 वर्षो के लिए दिसंबर आशंका, भय और परेशानी की आवाज लेकर आया। विहिप के कार्यकर्ताओं ने 6 दिसंबर को शौर्य दिवस मनाने के लिए ढोल बजाया, जबकि मुसलमान यौम-ए-गम (दिन) मनाने के लिए काले कपड़े पहनेंगे। बीच-बीच में अर्धसैनिक बल फ्लैग मार्च करते थे और उनके जूतों की आवाज हमें याद दिलाती थी कि सब ठीक नहीं है।

राम मंदिर की ओर जाने वाली चौड़ी सड़क का मार्ग प्रशस्त करने के लिए अब उनकी दुकान को तोड़ दिया गया है। उनकी दुकान तोड़े जाने का उन्होंने स्वागत किया है। उन्होंने कहा, मेरे बेटे पर अब पारिवारिक व्यवसाय जारी रखने की कोई बाध्यता नहीं है। वह चाहे तो दूसरा उद्यम शुरू कर सकता है। जब तक दुकान थी, मैं उससे इसकी देखभाल करने के लिए कहूंगा। उनके बेटे चित्र्थ ने कहा, मेरे पास अब नए अवसर हैं, क्योंकि अगले पांच वर्षो में अयोध्या पर्यटकों की संख्या में वृद्धि के साथ एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान बनने जा रहा है। मेरी योजना हमारी पैतृक भूमि पर एक बड़ा जनरल स्टोर, एक छोटा सा मॉल खोलने की है। यह स्टोर धार्मिक स्मृति चिन्ह भी बेचेगा। हमारे पास एक रेस्तरां, एक कैफे और एक पर्यटन स्थल की जरूरत की हर चीज होगी।

उन्होंने कहा, यह नई अयोध्या है। अयोध्या के कैलेंडर में अब सबसे महत्वपूर्ण तारीख 6 दिसंबर नहीं, बल्कि दीपोत्सव है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2017 में दीपोत्सव की शुरुआत की थी और पिछले छह वर्षो में इसे एक मेगा आयोजन में बदल दिया है। एक स्थानीय होटल व्यवसायी विकास गुप्ता ने कहा, दीपोत्सव के लिए पर्यटक अयोध्या आ रहे हैं और यह स्थानीय लोगों के लिए बहुत मायने रखता है। पर्यटकों की सभी श्रेणियों के लिए होटल आ रहे हैं और एक बार हवाईअड्डा चालू हो जाने के बाद होटलों की संख्या कई गुना बढ़ जाएगी।

अयोध्या के मुसलमानों ने भी अतीत को दफन कर दिया है और अब बाबरी विध्वंस के लिए अपने खेद के बारे में मुखर नहीं हैं। युवा स्नातक आतिफ ने कहा, हमें अतीत को भूलने की जरूरत है। जब विध्वंस हुआ, तब मैं पैदा भी नहीं हुआ था, इसलिए सच कहूं तो इस मुद्दे से मेरा कोई भावनात्मक लगाव नहीं है। मेरे दादा अक्सर विध्वंस के बारे में बात करते थे, लेकिन परिवार अब इसके बारे में बात नहीं करता। अयोध्या एक नए युग की ओर देख रहा है और हमें उम्मीद है कि विकास से हमें भी लाभ होगा।

(आईएएनएस)

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Created On :   5 Dec 2022 9:00 PM IST

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