आटो चालक ने लगाया सिलेंडर, दे रहा नि:शुल्क सेवा

Auto driver installed cylinder, giving free service
आटो चालक ने लगाया सिलेंडर, दे रहा नि:शुल्क सेवा
आटो चालक ने लगाया सिलेंडर, दे रहा नि:शुल्क सेवा

 डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोरोना संक्रमण से जूझते लोग इलाज के अस्पतालों की दौड़ लगाते है, तो बेड नहीं मिलते। ऑक्सीजन खत्म, दवाएं नहीं...कुछ लोग आैर निजी अस्पताल इस आपदा को अवसर बनाकर भुना रहे हैं। लेकिन अवसरवादियों से हटकर भी कुछ लोग हैं, जिन्हें लोगों का दर्द दिखाई देता है। शहर में एक ऑटो चालक ने अपने ऑटो पर ही ऑक्सीजन सिलेंडर व किट्स लगा ली है। उसके ऑटो में ऑक्सीजन व बेड नहीं मिलने से दो लोगों की मौत हो गई थी। वह इतना आहत हुआ कि अपने ऑटो में ही मरीजों को प्राण वायु की सेवा देने लगा है।

मरीजों को लेकर घूमता रहा कई अस्पताल
पारड़ी निवासी आनंद उर्फ राहुल वर्धेवार ने अपने ऑटो में ही ऑक्सीजन सिलेंडर व किट्स लगा दी है। रोज सुबह वह पारडी के एक मुख्य मार्ग पर अपना ऑटो खड़ा कर लोगों को सेवा दे रहा है। मरीजों को उनके घर से अस्पताल पहुंचाना, अस्पताल से घर लाना, बेड दिलाने के लिए अस्पतालों के चक्कर काटना यही आनंद की दिनचर्या बन चुकी है। वह पहले ऑक्सीजन लेवल चेक करता है। यदि मरीज को ऑक्सीजन की आवश्यकता हो तो ऑक्सीजन दी जाती है। आनंद ने 5 मई से शहर में यह नि:शुल्क सेवा शुरू की है।

दाे लोगों की हुई थी ऑटो में मौत
दो महीने पहले जब शहर में कोरोना मरीजों व मृतकों की संख्या बढ़ने लगी थी, उस समय मरीजों को बेड, ऑक्सीजन आदि समय पर नहीं मिल रहे थे। उस समय आनंद ने कई मरीजों को अपने ऑटो से अस्पताल पहुंचाने का काम किया। इस दौरान उसके ऑटो में दो मरीजों की मौत हुई। इन मरीजों को अपने ऑटो में बिठाकर आनंद ने बेड के लिए कई अस्पतालों के चक्कर काटे थे, लेकिन बेड और ऑक्सीजन नहीं मिलने से उनकी मौत हो गई थी।

हर बार खड़ी होती थी आर्थिक समस्या
ऑटो में मौत की घटनाओं से आनंद आहत हुआ। वह सोचने लगा कि यदि उसके पास ऑक्सीजन होता तो शायद दोनों को बचाया जा सकता था। इसलिए आनंद दिन-रात अपने ऑटो में ऑक्सीजन सिलेंडर व किट्स लगाने के बारे में सोच रहा था, लेकिन हर बार आर्थिक समस्या आड़े आ रही थी। उसने अपने मन की बात टाइगर ऑटाे रिक्शा चालक संगठन के अध्यक्ष विलास भालेकर और अशोक नायकवार को बताई।

आरटीओ से विशेष अनुमति
आनंद की भावनाओं की कद्र करते हुए अशोक नायकवार ने ऑक्सीजन सिलेंडर दिलाया। इस तरह ऑटो चलाने के लिए आरटीओ की अनुमति जरूरी थी। बिना अनुमति के ऐसा करना नियमबाह्य है। अनुमति के लिए विलास भालेकर ने परिवहन अधिकारी विनोद जाधव से चर्चा की। उन्हें आनंद के बारे में बताते हुए एक अच्छे काम की शुरुआत करने की अनुमति मांगी गई। इससे प्रभावित होकर अधिकारी ने उन्हें अनुमति दी।
 
अस्पताल ने भी दी सामग्री
अानंद की पत्नी एक अस्पताल में लैब टेक्निशियन का काम करती है। उसने अस्पताल प्रबंधन को आनंद के इस उपक्रम की जानकारी दी। अस्पताल प्रबंधन ने आनंद को पीपीई किट्स, हैंड ग्लब्ज, ऑक्सीमीटर, टेम्प्रेचर गन, सैनिटाइजर आदि सामग्री दी है। आनंद मरीजों को नि:शुल्क सेवा देता है। ग्राहकी नहीं होने से ऑटो चालकों का धंधा ठप हो चुका है। अपने ऑटो का सदुपयोग कर दूसरे का जीवन बचाने का काम कर रहा है। सेवा 24 घंटे शुरू रहती है।

समाज के प्रति जिम्मेदारी निभा रहा हूं
20 साल से इस लाइन में हूं। ऐसा समय कभी नहीं आया। मार्च महीने में जब बेड, ऑक्सीजन, दवाएं आदि की मारामारी मची थी, उस समय एक-एक मरीज को दस-दस अस्पताल घुमाता था, ताकि उन्हें समय पर उपचार मिल सके। इस दौरान मेरे ऑटो में दो लोगों की मौत हुई। तब मुझे लगा कि उन्हें ऑक्सीजन समय पर मिल जाता तो उनकी जान बच सकती थी। मैंने सोचा जीना-मरना तो लगा है,  कुछ जिम्मेदारी समाज के प्रति भी है। उन घटनाओं से अपने ऑटो में ऑक्सीजन सिलेंडर लगाने कर विचार आया। मरीजों के लिए मेरे ऑटो की सेवा बिल्कुल नि:शुल्क है। यह कार्य निरंतर चलता रहेगा।  -आनंद वर्धेवार, ऑटोचालक

Created On :   10 May 2021 12:08 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story