बंजर भूमि पर पपीते की खेती के लिए बस्तर की महिलाओं की सराहना

Appreciation of the women of Bastar for the cultivation of papaya on the barren land
बंजर भूमि पर पपीते की खेती के लिए बस्तर की महिलाओं की सराहना
छत्तीसगढ़ बंजर भूमि पर पपीते की खेती के लिए बस्तर की महिलाओं की सराहना
हाईलाइट
  • जिंदगी बदल रही है

डिजिटल  डेस्क, रायपुर। नकदी फसल की खेती की नई तकनीक सीखते हुए छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में महिलाओं के एक समूह ने बंजर भूमि पर पपीते की खेती सफलतापूर्वक शुरू कर दी है, जो अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है जिसे हासिल करना असंभव नहीं है।

बस्तर के मंगलपुर गांव में महिलाओं के एक समूह ने मां दंतेश्वरी पपई उत्पादन समिति का गठन किया, जिसमें 43 महिलाओं ने जुड़कर बंजर भूमि पर पपीते की खेती करने का फैसला किया।

उनकी कड़ी मेहनत आखिरकार रंग लाई और उन्होंने 40 लाख रुपये के पपीते का सफलतापूर्वक उत्पादन किया। मां दंतेश्वरी पपई उत्पादक समिति की सचिव हेमवती कश्यप बताती हैं कि उन्होंने 10 एकड़ जमीन पर 300 टन पपीता उगाकर 40 लाख रुपये का कारोबार किया। महिलाओं को पहली बार हवाई जहाज से दिल्ली आने के लिए आमंत्रित किया गया था।

कश्यप ने कहा, हमारी जिंदगी बदल रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने महिलाओं को विमान में नई दिल्ली जाने पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि वे लागत वसूल कर सालाना 10 लाख रुपये का लाभ कमाती हैं।

हेमा कश्यप ने कहा कि जमीन काफी पथरीली और बंजर थी। इसलिए इसे खेती योग्य बनाने के लिए उन्हें डेढ़ महीने तक मेहनत करनी पड़ी। उन्होंने कहा कि महिलाओं ने अपने हाथों से पत्थरों को उठाया और करीब 100 ट्रॉली चट्टानों को हटा दिया। बाहर से लाल मिट्टी लाकर जमीन को खेती के लायक बनाया गया। इस स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं का कहना है कि पपीता लगाने के लिए जगहों का चयन कर तैयार किया गया है।

स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा भूमि की तैयारी का कार्य दिसंबर 2021 में शुरू किया गया था जो करीब डेढ़ माह तक चला। 11 जनवरी 2021 को पपीते के पौधे रोपने की शुरूआत हुई। महिलाओं द्वारा की गई कड़ी मेहनत के कारण 10 एकड़ क्षेत्र में 5500 पपीते के पौधे फल-फूल रहे हैं। अब तक 300 टन पपीते का उत्पादन हो चुका है और उसी जमीन पर अंतर-फसल से सब्जियां उगाई जा रही हैं।

दावा किया जा रहा है कि बस्तर में पहली बार अमीना किस्म के पपीते की खेती की जा रही है जो न केवल मीठा और स्वादिष्ट है, बल्कि पौष्टिक भी है। बस्तर के दरभा प्रखंड के मंगलपुर गांव में महिलाओं द्वारा उगाए गए पपीते का मीठा स्वाद दिल्ली में तेजी से फैल रहा है। दिल्ली की आजादपुर मंडी में पांच-पांच टन पपीते की तीन खेप 80 रुपये किलो बिकी हैं।

 

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Created On :   27 May 2022 1:30 AM IST

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