एपीआई के रेट कम हुएजीवनरक्षक दवाएं होंगी सस्ती

API rates reduced, life saving drugs will be cheaper
एपीआई के रेट कम हुएजीवनरक्षक दवाएं होंगी सस्ती
राहत... एपीआई के रेट कम हुएजीवनरक्षक दवाएं होंगी सस्ती

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोरोना की आहट के चलते दिसंबर 2022 से जनवरी 2023 के बीच सर्दी, बुखार, दर्द समेत अन्य एंटीबायोटिक दवाओं के कच्चे माल में 40 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई थी, लेकिन अब पैरासिटामोल सहित अन्य कई दवाएं जल्द सस्ती होने की उम्मीद है। इन दवाओं का कच्चा माल यानी एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट (एपीआइ) धीरे-धीरे सस्ता हो रहा है। कोरोना काल में एपीआइ के दाम में भारी वृद्धि हुई थी, जिसका असर इनके दाम पर भी पड़ा था। कोरोना का असर खत्म हुआ तो फार्मा सेक्टर को राहत मिली और इसके चलते जीवन रक्षक दवाओं में प्रयोग होने वाले एपीआइ के रेट कम हुए हैं। 

छोटे उद्योगों ने भी लिए नए ऑर्डर
जनवरी की शुरुआत में पैरासिटामल के इनग्रेडिएंट के दाम 750 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गए थे। अब इसका दाम 500 रुपए प्रति किलो हो गया है। एजिथ्रोमाइसिन के दाम 12 हजार रुपए प्रति किलो से घटकर 10300 रुपए हो चुके हैं। इसी तरह अन्य दवाओं के दामों पर भी असर हुआ है। सूत्रों के अनुसार, पिछले 20 दिनों में चीन समेत अन्य देशों से आने वाले कच्चे माल के दामों में 20 से 30 फीसदी की कमी आई है। इस कारण छोटे उद्योगों ने भी नए ऑर्डर लेना शुरू कर दिया है। हालांकि कच्चे माल के दाम कम होने से इसका लाभ ग्राहकों को अप्रैल महीने से ही मिल पाएगा, क्योंकि नए बैच के माल का उत्पादन शुरू होने में समय लगता है। फिलहाल पुराने बैच का माल उपलब्ध होने से पुराने दाम ही लिए जा रहे हैं। जब नई बैच के माल का उत्पादन शुरू होकर बाजार में पहुंचेगा, तो दवाओं के दाम कम होंगे। फिलहाल अप्रैल तक दाम कम होने की संभावना नहीं होने की जानकारी महाराष्ट्र स्टेट फार्मसी काउंसिल के सदस्य हरीश गणेशानी ने बताया है।

-दवा निर्माण के लिए कच्चे माल के मामले में भारत विदेश पर निर्भर है। भारत में पेनसिलिन और ऐजिथ्रोमाइसीन जैसी एंटीबायोटिक्स के उत्पादन में इस्तेमाल होने वाली 80 प्रतिशत बल्क ड्रग या कच्चे माल का आयात चीन से होता है। 
-एक्टिव फार्मास्युटिकल्स इंग्रेडिएंट्स यानी एपीआइ के मामले में भी चीन का वैश्विक दबदबा बरकरार है। भारत, अमेरिका से चार प्रतिशत, इटली से तीन प्रतिशत, सिंगापुर और हांगकांग से दो-दो प्रतिशत आयात करता है। वहीं चीन पर अपने करीब 70 प्रतिशत एपीआइ आयात के लिए भारत निर्भर है।  
-चीन से बल्क ड्रग यानी एपीआइ आयात करने की प्रमुख वजह कम कीमत है। वहां से आने वाली बल्क ड्रग की कीमत दूसरे देशों को तुलना में 30 से 35 प्रतिशत कम होती है (इसमें भारत भी शामिल है) और एंटीबायोटिक या कैंसर के इलाज की दवाओं के मामले में तो भारत चीन पर ज्यादा निर्भर है।

Created On :   28 Feb 2023 11:23 AM IST

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