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चंद्रपुर में मिला "हळे कन्नड़' लिपि का प्राचीन शिलालेख
डिजिटल डेस्क. गोंडपिपरी (चंद्रपुर)। ऐतिहासिक चंद्रपुर जिले के नलेश्वर-दाबगांव मार्ग पर खुदाई कार्य के दौरान एक पत्थर मिला है, जोकि "हळे कन्नड़" लिपि का शिलालेख है। विदर्भ में मिला हळे कन्नड़ लिपि का यह एकमात्र शिलालेख होने की संभावना इतिहास के जानकारों ने जताई है। शिलालेखा का पठन होने पर मराठी-कन्नड़ संस्कृति के बारे नई जानकारी मिल सकती है।
गौरतलब है कि, जिले के नलेश्वर गांव को प्राचीन इतिहास है। नलेश्वर गांव समीप गायमुख में गोंडकालीन मंदिर, अनेक शिल्प बिखरे हंै। ऐसे में नलेश्वर-दाबगांव मार्ग पर खुदाई के दौरान महाशिवरात्रि के दिन प्राचीन पत्थर मिला है। पत्थर पर दो शिल्प उकेरे गए हैं। पत्थर के उपरी हिस्से पर स्त्री हाथ जोड़कर खड़ी हुई अवस्था में शिल्प उकेरा है। वहीं दूसरे शिल्प में घोड़े पर बैठे हाथ में तलवार लिया हुआ सैनिक दिख रहा है। पत्थर के बाजू में 13 लाइन का शिलालेख है। शिलालेख हळे कन्नड लिपि का है।
आठवीं-नवीं शताब्दी का होने का अनुमान
शिलालेख आठवीं अथवा नववीं शताब्दी का होने का अनुमान इतिहास अभ्यासक नीलेश झाडे ने जताया है। शिलालेख उस समय की मराठी-कन्नड़ संस्कृति पर प्रकाश डाल सकता है। शायद यह विदर्भ का एकमात्र हो शिलालेख हो सकता है।
विदर्भ की पहली ही घटना हो सकती है
हेळ कन्नड लिपि का शिलालेख मिलना विदर्भ की पहली ही घटना हो सकती है। ऐतिहासिक चंद्रपुर जिले में यह शिलालेख मिलने से चंद्रपुर में इतिहास में और बढोतरी हुई है। प्राचीन दौर में मराठी-कन्नड़ संस्कृति के संबंध पर नया प्रकाश यह शिलालेख डाल सकता है। - प्रियदर्शी खोब्रागडे, इतिहास विशेषज्ञ, नागपुर
Created On :   7 March 2022 2:45 PM IST