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आमगांव नगर परिषद में सात वर्ष से प्रशासक राज
डिजिटल डेस्क, गोंदिया। लगभग 7 वर्ष पूर्व आमगांव एवं उसके आस-पास के 8 गांवों का विलीनीकरण कर आमगांव नगर परिषद का गठन किया गया था। लेकिन शासन के इस निर्णय को न्यायालय ने चुनौती दी गई थी। इसके बाद उच्च न्यायालय ने आमगांव में नगर पंचायत तथा उसमें विलीन किए गए शेष गांवों में पहले की तरह ही ग्राम पंचायतें रखने के निर्देश देते हुए राज्य सरकार के नगर परिषद बैठक के निर्णय को पलट दिया था। लेकिन हाईकोर्ट के इस निर्णय को तत्कालीन भाजपा सेना युति सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। तबसे यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है। जिसके चलते आमगांव नगर परिषद में फिलहाल 7 वर्षों से प्रशासक राज चल रहा है।
फिलहाल कागजों पर नगर परिषद चल रही है, लेकिन अनक योजनाओं का लाभ नागरिकों को नहीं मिल पा रहा है। लाेकप्रतिनिधि के हाथों में सत्ता न होने के कारण सामान्य नागरिकों के समक्ष यह प्रश्न निर्माण हो रहा है कि आखिर समस्याओं को लेकर जाएं तो कहां जाएं? किसी भी जनप्रतिनिधि का भी इस ओर ध्यान नहीं होने के कारण समस्या जस की तस बनी हुई है, और तो और गर्मी के मौसम में पिने के पानी के लिए भी नागरिकों को यहां-वहां भटकना पड़ रहा है। पुरानी जलापूर्ति योजना पर्याप्त न होने के कारण पानी की किल्लत निर्माण हो रही है। लेकिन नगर परिषद प्रशासन ने अब तक नई जलापूर्ति योजना का प्रस्ताव तैयार नहीं किया है। स्थिती यह है कि शहर के कुछ हिस्सों में गंदी नालियों में बर्तन रखकर नागरिकांे को पानी भरना पड़ रहा है। नागरिकों ने राज्य सरकार से मांग की है कि वह सर्वोच्च न्यायालय में अपना पक्ष रखकर जल्द से जल्द न्यायालय से निर्णय करवाने का प्रयास करें। ताकि शहरवासियों के अच्छे दिन आ सके।
Created On :   10 Jun 2022 5:07 PM IST