सात वर्ष में पवनहंस के किराए पर ही खर्च हो गए 96 करोड़

96 crores spent on Pawan Hanss rent in seven years
सात वर्ष में पवनहंस के किराए पर ही खर्च हो गए 96 करोड़
सरकारी तिजोरी खाली सात वर्ष में पवनहंस के किराए पर ही खर्च हो गए 96 करोड़

डिजिटल डेस्क,गड़चिरोली।  पिछले तीन दशकों से नक्सली समस्या से जूझ रहे गड़चिरोली के जवानों के लिए संकटमोचन की भूमिका निभा रहे पवनहंस नामक हेलिकॉप्टर पर सरकार ने अब तक 96 करोड़ 11 लाख से अधिक की रकम किराए पर खर्च कर दी है। किराए की इसी निधि से नए हेलिकॉप्टर की खरीदी संभव होने की बात जब सरकार के ध्यान में आयी तो गृह मंत्रालय ने 72 करोड़ 43 लाख रुपए  की लागत से नया एच. 145 हेलिकॉप्टर  खरीदा लेकिन अब तक यह हेिलकॉप्टर गड़चिरोली में दाखिल नहीं हो पाया है। यदि गृह मंत्रालय पहले ही नया हेलिकॉप्टर खरीद लेता तो शायद सरकार की तिजोरी पर किराए के करोड़ों रुपए की चपत नहीं लगती। 

बता दें कि, सरकार ने नए एच. 145 हेलिकॉप्टर की खरीदी की प्रक्रिया पूर्ण कर ली है। लेकिन यह हेलिकॉप्टर अब तक गड़चिरोली के पुलिस जवानों की सेवा में दाखिल नहीं हुआ है। वर्तमान में पवनहंस ही जवानों के लिए हमसफर बना हुआ है। सरकारी तिजोरी पर लगातार बोझ बन रहे पवनहंस के ऐवज में पहले ही नया हेलिकॉप्टर खरीदा जाता तो शायद सरकारी तिजोरी पर भार नहीं पड़ता। 

वर्ष 1980 से छत्तीसगढ़ और तत्कालीन आंध्रप्रदेश राज्य से सटे गड़चिरोली जिले में नक्सल आंदोलन बदस्तूर जारी है। वर्ष 2009 में धानोरा तहसील के मरकेगांव इलाके में नक्सलियों द्वारा किए में एक साथ 14 जवानों के शहीद होने के बाद तत्कालीन सरकार ने मुंबई के मे. पवनहंस हेलिकॉप्टर्स लिमिटेड कंपनी से डॉफिन-एन (पवनहंस) हेलिकॉप्टर किराए तत्व पर पुलिस विभाग में शामिल किया।

वर्ष 2013 से लगातार यह हेलिकॉप्टर अपातकालीन स्थिति में सी-60 जवानों और पुलिस अधिकारियों के लिए संकटमोचन की भूमिका निभा रहा है। ग्रापं, जिप चुनाव हो या फिर विधानसभा समेत लोकसभा चुनाव, सभी प्रकार के कार्य के लिए इस हेलिकॉप्टर की सहायता पुलिस विभाग ने ली है। देखते ही देखते पिछले 7 वर्षों की कालावधि में इस हेलिकॉप्टर के किराए पर सरकार ने 96 करोड़ 11 लाख 20 हजार 72 रुपए  की निधि खर्च कर दी। इसी दौरान किराए के लिए सरकारी तिजोरी पर अधिक भार पड़ने का ध्यान में आते ही गृह मंत्रालय ने गत दिनों एच. 145 नामक हेलिकॉप्टर 72 करोड़ 43 लाख रुपए की निधि से खरीदा। यदि नया हेलिकॉप्टर खरीदने का यह निर्णय पवनहंस को किराए पर लेने के पूर्व लिया जाता तो, शायद पवनहंस की उड़ान सरकारी तिजोरी पर भारी नहीं पड़ती। 

मरकेगांव की नक्सली वारदात के बाद मंजूर हुआ था पवनहंस 
बता दें कि, 9 अक्टूबर 2009 को धानोरा तहसील के मरकेगांव में हुए नक्सली हमले में 14 पुलिस जवान शहीद हुए थे। इस घटना को गंभीरता से लेते हुए राज्य के तत्कालीन गृहमंत्री स्व. आर. आर. पाटील के प्रयासों के बाद पवनहंस नामक हेलिकॉप्टर मंजूर किया गया। तभी से यह हेलिकॉप्टर नक्सल विरोधी अभियान में पुलिस विभाग को सहयोग कर रहा है।
 

Created On :   24 Dec 2021 6:30 PM IST

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