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6 शिक्षक सस्पेंड, नाराज कर्मचारियों का हल्ला बोल आंदोलन
डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय से संलग्नित इंजीनियरिंग कॉलेजों में स्टाफ की प्रताड़ना के लगातार मामले सामने आ रहे हैं। इसका और एक मामला आया। शहर के प्रियदर्शिनी इंदिरा गांधी इंजीनियरिंग कॉलेज ने अपने 6 शिक्षकों को सस्पेंड कर दिया है। इन शिक्षकों ने बीते दिनों विश्वविद्यालय की तथ्य शोधक समिति के समक्ष हाजिर होकर कॉलेज के खिलाफ बयान दिया था। समिति ने कुलगुरु डॉ. सुभाष चौधरी को प्रस्तुत अंतरिम आदेश में सिफारिश की थी कि कुलगुरु कॉलेजों को आदेश दें कि कॉलेज जांच पूरी होने के पहले किसी भी स्टाफ पर कार्रवाई न करें, लेकिन फिर भी इस प्रकार का मामला हुआ। इस घटना से नाराज नागपुर यूनिर्वसिटी टीचर्स एसोसिएशन ने मंगलवार को कुलगुरु कार्यालय पर हल्ला-बोल आंदोलन किया। पीड़ित शिक्षकों को साथ लेकर संगठन उपाध्यक्ष डॉ. नितीन कोंगरे कुलगुरु कार्यालय पहुंचे और शिक्षकों को न्याय देने की मांग की।
मामला बढ़ता देख कुलगुरु ने भी कॉलेज प्राचार्य व प्रबंधन प्रतिनिधि को तलब किया और सभी पक्षों को आमने-सामने सुना। करीब 5 घंटे चली इस चर्चा के बाद कॉलेज को दो दिन में निलंबन वापस लेने के आदेश दिए गए हैं। इस चर्चा में अण्णासाहब गुंडेवार कॉलेज के गैर-अनुदानित कर्मचारियों का भी मुद्दा उठा। इस दौरान नुटा के शहराध्यक्ष डॉ. विवेक चौहान, सचिव डॉ. दमयंती घागरगुंडे, नागपुर ग्रामीण अध्यक्ष डॉ. रमेश इंगोले, सदस्य डॉ. हेमंत बागडे, डॉ. आनंद भाईक, डॉ. बाबूलाल धोत्रे, डॉ. खुशाल मेले व अन्य प्राध्यापकों की उपस्थिति थी।
समिति के समक्ष पक्ष रखा था
डॉ. कोंगरे के अनुसार विवि की समिति ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट तैयार की है। आरोपी कॉलेजों के खिलाफ जांच अभी बाकी है। इसलिए कॉलेजों को निर्देश दिए गए थे कि वे शिकायतकर्ता या गवाही देने वाले किसी भी स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई न करें, लेकिन फिर भी शिक्षकों पर बुरे बर्ताव का आरोप लगा कर उन्हें निलंबित कर दिया। यह सरासर गलत है। इसलिए नुटा ने आंदोलन की राह अपनाई है। यदि कुलगुरु शिक्षकों के बचाव में नहीं आते हैं, तो आगामी 2 से 4 सितंबर के बीच होने वाले नैक समिति के निरीक्षण के दौरान शिक्षक यह मुद्दा उठाएंगे।
ये हैं शिकायतें
शहर के निजी बगैर अनुदानित कॉलेजों के स्टाफ की शिकायत है कि कॉलेज उन्हें नियमित वेतन नहीं दे रहा। कई महीनों से वेतन बकाया है। वेतन मांगने पर नौकरी से निकालने की धमकी दी जाती है। शिक्षकों को कॉलेज में प्रवेश करने नहीं दिया जाता, ऑनलाइन क्लास नहीं लेने दी जाती। इस तरह अन्य तरीकों से स्टाफ की प्रताड़ना की जा रही है। बीते कुछ महीनों में विश्वविद्यालय को ऐसी ढेरों शिकायतें प्राप्त हुई थीं, जिसके बाद मैनेजमेंट काउंसिल की अनुमति विशेष समिति गठित की। समिति ने सभी आरोपी कॉलेजों में जाकर दस्तावेज देखे, स्टाफ की गवाही ली और अपनी अंतरिम रिपोर्ट में कॉलेजों को दोषी करार दिया।
Created On :   25 Aug 2021 4:09 PM IST