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पुलिस में भर्ती हुआ यह 5 साल का मासूम, पढ़े- क्या है पूरा मामला?
डिजिटल डेस्क डिण्डौरी। सड़क हादसे में ड्यूटी के दौरान आरक्षक धीरज मरावी की मौत हो जाने के बाद उसे शहीद का दर्जा दिलाए जाने के प्रयास लगातार किए जाते रहे है जहां पुलिस प्रशासन ने भी प्रस्ताव मुख्यालय को भेजा था। जिस पर शहीद दिवस के दूसरे दिन शासन ने आरक्षक धीरज मरावी को शहीद का दर्जा देते हुए उसके पांच वर्षीय पुत्र को बाल आरक्षक बनाने की घोषणा की है। यह पहली बार है जब इतनी कम उम्र का बालक बाल आरक्षक के रूप में वर्दी पर नजर आएगा। ज्ञातव्य हो कि समनापुर क्षेत्र के बीजापुरी गांव निवासी रामलाल मरावी के पुत्र धीरज मरावी जो कि मप्र बीएसएफ में जवान के तौर पर पदस्थ थे। जिनकी 20 जून की रात एक सड़क दुर्घटना में ऑन ड्यूटी मौत हो गई थी। जानकारी के अनुसार धीरज मरावी इस दौरान उत्तर प्रदेश के सांसद मुृन्नवर के पास गनर के रूप में तैनात थे। जो कि सांसद के साथ वाहन में जाते समय दुर्घटना के शिकार हो गए थे और उनकी घटना स्थल पर ही मौत हो गई थी। आरक्षक धीरज की मौत के बाद समनापुर स्थित गृह निवास पर खासा माहौल गर्माया रहा। जहां परिजनों सहित ग्रामीणों ने हादसे के शिकार हुए धीरज को शहीद का दर्जा देने की मांग की थी। वहीं शहीद दिवस पर शनिवार को भी धीरज के मामले में स्थानीय पुलिस प्रशासन ने शासन से शहीद का दर्जा देने की मांग करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
ऑन ड्यूटी हुई मौत
जानकारी के अनुसार मृतक जवान धीरज सपा के राज्यसभा सांसद चौधरी मुन्नवर सलीम के पास गनर के तौर पर पदस्थ था। इस दौरान सांसद मुनव्वर सलीम रोजा इफ्तार के लिए विदिशा से दो वाहनों में झांसी जा रहे थे। तभी सांसद के काफिले का एक वाहन ललितपुर हाईवे के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इसमें सांसद के परिवार जनों सहित उनका गनर धीरज मरावी भी मौजूद था। इस हादसे में धीरज की मौके पर ही मौत हो गई। जिसके बाद धीरज मरावी के शव का पीएम कराकर बीएसएफ ने शव गांव बीजापुरी भेज दिया गया था। जहां गमगीन माहौल में बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने उपस्थित होकर धीरज को श्रद्धांजलि अर्पित की थी।
संभवत: यह पहला मौका है
अधिकारियों का भी कहना है कि पांच वर्ष की उम्र में बाल आरक्षक की नियुक्ति किए जाने का प्रदेश में पहला मौका है। यहां बाल आरक्षक के पद वैसे पूर्व से ही निर्धारित है जिसमें बाल आरक्षकों को सामान्य तौर पर परेड आदि सिखाई जाती है और वे पढ़ाई करते हुए उम्र की उस दहलीज पर पहुंचते है जहां बाल से बालिग अवस्था प्रारंभ होती है वहां आरक्षक के रूप में नियुक्तिकर दी जाती है। इसके लिए उनका मानदेय अलग से निर्धारित होता है। बहरहाल आरक्षक धीरज सिंह संबंध में मुख्यालय से कोई पत्र नहीं मिला है। वहीं पुत्र की उम्र की भी जानकारी नहीं है।
इनका कहना है
कम उम्र में बाल आरक्षक का दर्जा दिए जाने का निर्णय संभवत: पहला हो सकता है। यहां धीरज सिंह की मौत के बाद उसे शहीद का दर्जा दिए जाने के लिए विभागीय स्तर पर भी प्रयास किए गए थे और कार्यक्रम में सलामी दी गई्र।
विपुल श्रीवास्तव
पुलिस अधीक्षक डिण्डौरी
Created On :   23 Oct 2017 1:17 PM IST