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लॉकडाउन में 14 प्र.श. घटी आत्महत्या की घटनाएं
डिजिटल डेस्क, मुंबई। लॉक डाउन भले ही कोरोना नियंत्रण के लिए कारगर साबित हुआ हो लेकिन मुंबई में जनवरी से नवंबर 2020 के बीच आत्महत्या की घटनाओं में 14 फीसदी की कमी आई है। इस दौरान महानगर में 978 लोगों ने मौत के गले लगा लिया। पिछले साल के मुकाबले इस साल आत्महत्या करने वालों की संख्या 14 प्रतिशत कम है। गत वर्ष आत्महत्या करने वालों का आंकड़ा 1075 था।
मुंबई पुलिस के आकड़ों के मुताबिक आत्महत्या करने वालों में 36 प्रतिशत लोग 19 से 30 साल आयु वर्ग के है। जबकि 10 प्रतिशत वरिष्ठ नागरिकों ने यह आत्मघाती कदम उठाया है। पुलिस के आकड़ों के अनुसार 371 लोगो ने मार्च से जुलाई 2020 के बीच आत्महत्या की है। इस अवधि में कड़ा लॉकडाउन था। मनोचिकित्सक डॉ सागर मूंदड़ा का कहना है कि लॉक डाउन का सकारात्मक पक्ष यह रहा कि इस बार ज्यादातर अभिभावक अपने बच्चों के लगातार संपर्क में रहे। उन्होंने बच्चों पर ज्यादा ध्यान दिया। फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद मानसिक स्वास्थ्य पर लोगों का ध्यान गया। अभिभावक अपने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के प्रति अधिक सजग हुए। इसके अलावा कई बार नशे की लत भी युवाओं के आत्मघाती कदम उठाने की बडी वजह बनती थी लेकिन लॉक डाउन के चलते युवा घर में रहे और माता पिता ने अपने बच्चों विशेष ध्यान दिया। जिससे बच्चों को काफी नैतिक बल मिला। इसके चलते लॉक डाउन के बावजूद इस साल आत्महत्या करने वाले लोगों का आंकड़ा कम है।
बीमारी से कम, आत्महत्या से ज्यादा मौतें
आत्महत्या की प्रवृत्ति के बारे में मनोवैज्ञानिक डॉ अविनाश डिसूजा कहते हैं कि यदि इस बारे में देश भर के आंकड़ों पर नजर डाले तो पता चलेगा कि लोग बीमारी से कम आत्महत्या से ज्यादा मरते हैं। यह बेहद चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान लोगों की बड़े पैमाने पर नौकरियां गई है और नई नियुक्तियां भी नहीं हो रही है। जिससे लोगों में विशेष तौर से युवाओं में अवसाद व निराशा बढ़ी है। ज़्यादा तर लोग यहां अपने परिवार से दूर रहते हैं। लॉक डाउन के चलते अकेलेपन ने भी काफ़ी परेशानी बढ़ाई है। ऐसे में काम का अभाव जैसी परेशानी ने लोगों को आत्महत्या जैसा आत्मघाती कदम उठाने के लिए मजबूर किया है। इस दौरान लोगों को अपेक्षित सामाजिक समर्थन भी नहीं मिला।
Created On :   19 Dec 2020 7:07 PM IST