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"मंगल मंतेर' मंगलाष्टक से परिणय सूत्र में बंधे 119 आदिवासी जोड़े
डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। हिंदू धर्म में कोई भी वैवाहिक कार्य मंगलाष्टक के बिना नहीं होता। ठीक उसी तरह आदिवासी समाज में मंगल मंतेर के बिना जोड़ों को परिणय सूत्र में नहीं बांधा जाता। मैत्री परिवार और जिला पुलिस विभाग की ओर से आयोजित 119 आदिवासी जोड़ों के सामूहिक विवाह समारोह में भी आयोजकों ने आदिवासी परंपरा की सारी रस्मों को निभाए रखा। मंगल मंतेर मंगलाष्टक से सभी 119 जोड़ों को परिणय सूत्र में बांधा गया, जिसमें प्रमुखता से 16 आत्मसमर्पित नक्सली जोड़ों का भी विवाह रचाया गया। आदिवासी संस्कृति के तहत भूमिया (विवाह पंडित) के मंत्रोपचार से ही इन जोड़ों को वैवाहिक सूत्र में बांधा गया। बता दें कि, इस सामूहिक विवाह समारोह की सारी जिम्मेदारी मैत्री परिवार ने ली थी। मैत्री परिवार के सदस्यों ने नव दंपतियों के लिए जीवनावश्यक सामग्री समेत मंगलसूत्र और अन्य व्यवस्था कर रखी थी। जोड़ों के साथ गड़चिरोली पहुंचे परिजनों के लिए भी खास व्यवस्था की गयी थी। विभिन्न प्रकार के आयोजनों के लिए विभिन्न प्रकार की समितियों का गठन किया गया था। 30 हजार वर्ग फीट के विवाह मंडप के साथ 20 हजार वर्ग फीट का भोजन मंडप में यह विवाह समारोह आयोजित किया गया। तपती धूप के बीच विवाह समारोह के लिए उपस्थित लोगों की सुविधा हेतु कूलर और ठंडे पानी की व्यवस्था भी की गयी।
विवाह समारोह के पूर्व सभी वर पक्ष के लोगों की बैंड बाजे के साथ बारात निकाली गयी। यह बारात शहर के मुख्य इंदिरा गांधी चौक से होते ही विवाह स्थल पर पहुंची। जहां भूमिया द्वारा उद्घोषित मंत्रोपचार के साथ सभी 119 आदिवासी जोड़ों को विवाह के परिणय सूत्र में बांधा गया। इस कार्यक्रम में विधायक डा. देवराव होली, विधायक कृष्णा गजबे, जिला पुलिस अधीक्षक अंकित गोयल, अपर पुलिस अधीक्षक (प्रशासन) समीर शेख, अपर पुलिस अधीक्षक (अभियान) सोमय मुंडे, उपविभागीय पुलिस अधिकारी प्रणिल गिल्डा, नागरी कृति शाखा के प्रभारी अधिकारी सहायक पुलिस निरीक्षक महादेव शेलार, गुरुदेव सेवा मंडल के डा. शिवनाथ कुंभारे, पूर्व नगराध्यक्ष योगिता पिपरे, जिला बैंक के अध्यक्ष प्रांचित पोरेड्डीवार, मैत्री परिवार के अध्यक्ष प्रा. संजय भेंडे, सचिव प्रमोद पेंडके, बालासाहब वरखेडे, सुनील चिलेकर, निरंजन वासेकर, घीसुलाल काबरा, डा. उपेंद्र कोठेकर, पंडित पुरके आदि प्रमुखता से उपस्थित थे।
पहले हुई आदिवासी देवताओं की पूजा बाद में हुए सात फेरे : सामूहिक विवाह समारोह में उपस्थित अतिथियों के मार्गदर्शन के तुरंत बाद आयोजकों ने वैवाहिक रस्मों की शुरुआत की। सामूहिक विवाह समारोह में शामिल 12 उपविभाग के जोड़ों को 12 विभागों में बांटा गया। सर्वप्रथम भूमिया के मंत्रोपचार से आदिवासी देवी-देवताओं की पूजा अर्चा की गयी। बाद में आदिवासी मंगलाष्टक से विवाह की रस्म आरंभ हुई। वरमाला पहनाने के बाद सात फेरों से विवाह कार्यक्रम किया गया। इस समय भूमिया ने नव दंपतियों को वैवाहिक जीवन की जिम्मेदारियां भी समझायी। पति-पत्नी को हर घड़ी, हर सुख-दुख में साथ रहने की कसम इस समय दिलायी गयी।
Created On :   14 March 2022 4:18 PM IST