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१० माह में प्रसव के दौरान ११ प्रसूताओं और २९० नवजातों ने तोड़ा दम
छिंदवाड़ा। मेडिकल कॉलेज से संबद्ध जिला अस्पताल के गायनिक वार्ड में पिछले १० माह में प्रसव के दौरान ११ गर्भवती महिलाओं ने दम तोड़ा है। वहीं जन्म के दौरान २९० नवजातों की मौत हो गई। हालांकि राहत की बात यह भी है कि गायनिक यूनिट के विशेषज्ञ चिकित्सक और अनुभवी स्टाफ ने ८ हजार ७३५ गर्भवती महिलाओं का सुरक्षित प्रसव कराया हैं। मेडिकल कॉलेज से संबद्धता के बाद जिला अस्पताल में न सिर्फ छिंदवाड़ा बल्कि सिवनी, नरसिंहपुर और बैतूल से गंभीर अवस्था में गर्भवती महिलाएं रेफर होकर आ रही है। जिससे गायनिक वार्ड पर मरीजों का दोगुना भार बढ़ गया है।
ऐसे हालात में जान बचा पाना संभव नहीं-
स्त्री रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना है कि कई बार लो बीपी, ब्लड की कमी, अधिक रक्तस्त्राव या अंदरूनी बीमारी से जूझ रही गर्भवती महिलाएं गंभीर अवस्था में अस्पताल पहुंचती है। ऐसे में पेशेंट को बचा पाना संभव नहीं हो पाता। वहीं दूसरी ओर कम वजन, प्री-मैच्योर डिलेवरी जैसी स्थितियों में नवजातों को बचाना मुश्किल होता है।
वार्ड में क्षमता से अधिक पेशेंट भर्ती-
जिला अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग में संचालित गायनिक वार्ड की क्षमता १२० बेड की है। नई बिल्डिंग में ३० बेड का एक अतिरिक्त वार्ड मिलने पर बेड की क्षमता १५० हो पाई है, लेकिन गायनिक वार्ड में रोजाना लगभग २०० गर्भवती महिलाएं भर्ती होती है। प्रबंधन द्वारा अतिरिक्त बेड लगाकर पेशेंट के लिए व्यवस्था बनाई जा रही है।
दो हजार से अधिक गर्भवती रेफर होकर आई-
जिले के सरकारी प्रसव संस्थानों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं न होने से चिकित्सक द्वारा गर्भवती महिलाओं को जिला अस्पताल रेफर कर देते है। जिले के अलग-अलग ब्लॉक के अलावा सिवनी, बालाघाट, नरसिंहपुर और बैतूल से बीते १० माह में २ हजार ८४१ गर्भवती महिलाएं रेफर होकर जिला अस्पताल पहुंची।
जनवरी से अक्टूबर माह के आंकड़े
माह डिलेवरी शिशुमृत्यु मातृमृत्यु
जनवरी ७९० १९ ०१
फरवरी ८७२ २३ ००
मार्च १०७७ २८ ०१
अप्रैल ९२० ३० ००
मई ९५८ २७ ०१
जून ९८२ ३२ ०२
जुलाई ९८८ २७ ००
अगस्त १०३९ ३६ ०३
सितम्बर १०६५ ३७ ०१
अक्टूबर १०३२ ३१ ०२
क्या कहते हैं अधिकारी-
गायनिक वार्ड में पदस्थ विशेषज्ञ चिकित्सक और स्टाफ का पूरा प्रयास रहता है कि पेशेंट का सुरक्षित प्रसव कराया जा सके। कई बार अस्पताल आने वाली गर्भवती महिलाओं की हालत काफी गंभीर होती है, ऐसे में उन्हें बचा पाना संभव नहीं हो पाता।
- डॉ.एमके सोनिया, सीएस, जिला अस्पताल
Created On :   4 Dec 2022 4:14 PM IST