गणेश चतुर्थी 2024: आस्था के साथ पर्यावरण संरक्षण का संदेश... प्रतिमा निर्माण में प्राकृतिक औषधियों का भी कर रहे उपयोग

आस्था के साथ पर्यावरण संरक्षण का संदेश... प्रतिमा निर्माण में प्राकृतिक औषधियों का भी कर रहे उपयोग
  • 7 सितंबर से प्रारंभ होने जा रहा गणेशोत्सव
  • इको फ्रेंडली प्रतिमाएं बनाने पर दिया जा रहा जोर
  • प्रतिमा निर्माण में प्राकृतिक रंगों का होता है इस्तेमाल

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। भगवान श्री गणेश जी की आराधना का पर्व गणेशोत्सव 7 सितंबर से प्रारंभ होने जा रहा है। घर-घर में श्री गणेश जी की प्रतिमाओं की स्थापना की तैयारी चल रही है। जिले में बड़ी संख्या में ऐसे युवा भी हैं जो अपने घर में भगवान श्री गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना करने के लिए मूर्ति का निर्माण स्वयं ही करते हैं। खास बात यह है कि इन युवाओं द्वारा भगवान के प्रति अटूट आस्था के साथ ही पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया जा रहा है। प्रतिमाओं के निर्माण में मिट्टी के साथ ही अष्टगंध, प्राकृतिक औषधियां, प्राकृतिक दृश्य सामग्री आदि का प्रयोग किया जा रहा है। वहीं कुछ युवा प्रतिमा निर्माण के दौरान उसमें पौधों के बीज भी रख रहे हैं, जिससे प्रतिमा के विसर्जन के बाद यह बीज अंकुरित होकर पौधे बन जाएं।

प्रतिमा निर्माण में पौधों के बीज, औषधि, चंदन का कर रहे उपयोग

गणेशोत्सव के पावन पर्व पर भक्ति गंगा परिवार द्वारा 58 वर्षों से श्री गणेश स्थापना की जा रही है। इस वर्ष श्री ब्रह्मणस्पति गणेश जी का निर्माण आद्यमूर्ति अष्टभुजा श्री महागणपति स्वरूप में किया जा रहा है। वैदिक प्राविधि से निर्मित वानस्पतिक सामग्री युक्त मिट्टी से मूर्ति का निर्माण किया जा रहा है। प्रतिमा का निर्माण युवा फाइन आर्टिस्ट मूर्ति कलाकार पंडित स्पंदन आनंद दुबे कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पुरातत्व शास्त्र के प्रतिमा विज्ञान के अनुसार बिना सांचोंं का उपयोग किए श्री गणपति के मूल स्वरूप की प्रतिमा निर्मित की जाती है। जिससे प्रथम पूज्य श्री गणपति के मूल स्वरूपों के विषय में जानकारी प्राप्त होती है। विगत वर्ष श्री गणपति का षडभुज हेरम्ब स्वरूप का निर्माण किया गया था। उसी तारतम्य में इस वर्ष अष्टभुजी महागणपति विराजित होंगे। इस विग्रह के निर्माण हेतु काष्ठ पीठ पर निर्मित श्री गणेश यंत्र के आधार स्थल पर सर्वोषधि, पंचगव्य, पद्म पुष्प, जासोन का फूल, लघु नारियल, पीली सरसों, पंच धातु, पंच रत्न, कमलगट्टा, केले की जड़, पंचामृत, हरिद्रा, चंदन, विभिन्न पौधों के बीज, नीम सत्व, दूर्वा रस, गुलाब अर्क, तीर्थोदक गंगाजल एवं गंग कछार की बालू का प्रयोग किया जा रहा है।

औषधियां मिलाकर बना रहे इको फ्रेंडली प्रतिमा

ग्राम गुरैया निवासी अभिषेक चौकसे विगत 6 वर्षों से अपने घर पर ही गणेश प्रतिमा बनाकर स्थापित करते हैं। प्रतिमा को बनाने में प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करते हैं। अभिषेक मिट्टी में अष्टगंध एवं कुछ प्राकृतिक औषधियां मिलाकर इको फ्रेंडली प्रतिमा का निर्माण कर रहे हैं।

Created On :   6 Sept 2024 1:58 PM GMT

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