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मध्यप्रदेश: आने के वादे के साथ जैसीनगर में बागेश्वर धाम सरकार की तीन दिवसीय कथा का समापन
- साधुजी राम...ढोंग का नहीं, ढंग का जीवन जिएंः पंडित शास्त्री
- सुरखी विधानसभा क्षेत्र के हर परिवार पर बालाजी की कृपा बनी रहे : गोविंद सिंह राजपूत
- ** पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कथा में आखिरी दिन लाखों लोग पहुंचे, आसमान से बरसा अमृत
- पंडित शास्त्री ने मंच से व्यवस्थाओं और समर्पण के लिए मंत्री गोविंद सिंह राजपूत की प्रशंसा की
डिजिटल डेस्क, भोपाल। जैसीनगर में चल रहे धर्म के महाकुंभ का सोमवार को समापन हो गया। आसमान से अमृत रूपी बूंदें बरसीं। कुछ समय के लिए लगा मानो इंद्र स्वयं बागेश्वर सरकार का अभिनंदन कर रहे हैं। तीन दिवसीय श्री हनुमंत कथा के आखिरी दिन बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने हनुमान जी की सिद्धियों का महत्व बताया। उन्होंने चार सिद्धि अणिमा, महिमा, गरिमा और लघिमा के बाद पांचवीं सिद्धि प्राप्ति, छठवीं सिद्धि प्रकाम्य, सातवीं सिद्धि ईशत्व और आठवीं सिद्धि वशित्व पर प्रकाश डाला। बोले, शास्त्र कहते हैं कि अपना नाम, गुरु का नाम, कंजूस आदमी का नाम, बड़े बेटे का नाम और अपनी पत्नी का नाम किसी को नहीं बताना चाहिए। साथ ही हनुमान जी के कई प्रसंग भी सुनाए। साधु जी राम-राम और जय श्रीराम के जयकारों से पूरा जैसीनगर गुंजायमान हो उठा। उन्होंने कहा, ॐ हं हनुमते नमः का जाप करना चाहिए, इस माला के जाप से सोए हुए भाग्य भी जाग जाते हैं। सजने—संवरने पर उन्होंने कहा, सजना है तो संसार रूपी सजना के लिए नहीं, परमात्मा रूपी सजना के लिए सजो। श्रृंगार होना चाहिए, लेकिन संसार के लिए करोगे तो काम में पड़ोगे, लेकिन श्रृंगार परमात्मा के लिए करोगे तो राम में पड़ोगे। अंत में फिर जैसीनगर आने के वादे के साथ वे बालाघाट के लिए रवाना हो गए।
इससे पहले कथा में उन्होंने कहा, भगवान की कथा सुनकर मन भीग जाता है, आज तो डबल कृपा हो गई। आज कथा सुनकर मन भीग गया और बारिश से तन भी भीग गया। यज्ञ में यदि वर्षा हो जाए तो निर्विघ्न संपन्न मान लिया जाता हैै। मान्यता है कि बारिश के माध्यम से देवता अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हैं। हमें लग रहा है कि कथा यजमान गोविंद जी और इनके परिवार की सच्ची श्रद्धा और समर्पण के कारण कथा देवताओं को भी पसंद आ गई। आज तो आपके पूर्वज भी ऊपर बैठे-बैठे अपने आप को धन्य मान रहे होंगे कि हमारे वंश में एक ऐसा सपूत हुआ है, जिसने राम कथा और हनुमान कथा से लाखों लोगों को जोड़ने का काम किया है।
पंडित शास्त्री ने आगे कहा, ढोंग का जीवन जीने से अच्छा ढंग का जीवन जीना चाहिए। ढोंग के जीवन में बोझ ज्यादा है, दिखावा ज्यादा है, जबकि ढंग के जीवन में प्रदर्शन नहीं होता, ढंग के जीवन में तो भगवत दर्शन होता है। उन्होंने कहा, कभी धन्यवाद मिले तो अकेले पाकर घमंड में भूल नहीं जाना चाहिए। अपने गुरुदेव और माता-पिता के चरणों में उस सम्मान को सौंप देना चाहिए, आप निरंतर आगे बढ़ते ही रहोगे।
आओ कुछ दिन गुजारो जैसीनगर में :
उन्होंने आगे कहा, जैसीनगर के लोग होते बहुत अच्छे हैं। यहां की श्रद्धा और समर्पण बड़ा अद्भुत है। यदि सागर जिले में आस्था और भक्ति को देखना है तो आओ कुछ दिन गुजारो जैसीनगर के लोगों के साथ। श्री शास्त्री बोले, जो लोग अपने इष्ट के प्रति समर्पित होते हैं, उन्हें अपना प्रचार नहीं करना पड़ता। गुरु और इष्ट के प्रति समर्पित व्यक्ति का प्रचार उसके पहुंचने से पहले अपने आप हो जाता है। हनुमान जी हमें सिखाते हैं कि प्रभु से प्रभु को ही मांगना चाहिए। हम लोग उतना मांगते हैं, जितनी हमारी क्षमता होती है, लेकिन कभी न मांगकर देखना, भगवान उतना देंगे, जितनी उनकी क्षमता होगी।
यजमान मंत्री राजपूत की प्रशंसा :
पंडित शास्त्री बोले, भगवान की याद के लिए एक काम करो कि याद को उल्टा पढ़ो, इसका उलटा होगा दया। तुम नर में दया करने लगो तो नर से ही नारायण प्रकट हो जाएंगे। यह शिक्षा हम इस कथा के यजमान मंत्री गोविंद सिंह जी और उनके पूरे परिवार को देंगे कि आप ऐसे ही लोगों पर दया करते रहो तो परमात्मा की ऐसे ही याद आती रहेगी।
कथा रूपी एंटी वायरस इन्स्टाॅल करो:
उन्होंने आगे कहा कि जैसे कम्प्यूटर में वायरस आ जाते हैं तो उन्हें खत्म करने के लिए एंटी वायरस प्रोग्राम इन्स्टाॅल करना पड़ता है। ऐसे ही दिमाग का कम्प्यूटर है और इसमें वासना रूपी वायरस आ जाएं तो घबराएं नहीं, भगवान का कथा रूपी एंटी वायरस प्रोग्राम इन्स्टाॅल कर लो, दिमाग अपने ही ठीक हो जाएगा।
सिद्धियों का इस तरह बताया महत्व :
पांचवीं सिद्धि प्राप्ति : इस सिद्धि का प्रयोग हनुमान जी अदृष्य होने के लिए करते हैं।
छठवीं सिद्धि प्रकाम्य : इस सिद्धि से जरिए वे दूसरों के मन की बात जान लेते हैं।
सातवीं सिद्धि ईशत्व : इस सिद्धि के प्रभाव से संसार का समस्त ऐश्वर्य मिलता है।
आठवीं सिद्धि वशित्व : इस सिद्धि के जरिए हनुमान जी पूरे संसार को अपने वश में करते हैं।
जुड़वां भाइयों ने बांधा समां :पंडित शास्त्री ने अंत में लोगों से कहा कि माथे पर रोजाना तिलक जरूर लगाएं, आप मेरा साथ दो, हम मिलकर हिन्दू राष्ट्र देंगे। फिर कभी भगवान बुलाएंगे तो जरूर आएंगे। इस मौके पर बिहार के मिश्रा बंधुओं ने भजन सुनाया। दोनों जुड़वां भाईयों ने धाम चलो, धाम चलो बागेश्वर धाम... भजन गाया तो लोग झूम उठे। इन्होंने अपनी सफलता की कहानी भी बताई।
आभार...सात दिन की रामकथा मांगी :
राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने कथा के अंत में श्री शास्त्री का आशीर्वाद लेकर सभी भक्तों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, तीन दिन में जो अमृत वर्षा हुई है, उसका बखान नहीं कर सकते। इन दिन तीनों में विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं, भाई-बहनों ने जी-जान से मेहनत की। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए मैं सभी का आभार व्यक्त करता हूं। श्री राजपूत ने कहा कि पूरे सुरखी विधानसभा के हर एक घर पर हर परिवार पर हर व्यक्ति पर श्री बालाजी की कृपा बनी रहे, सभी लोग खुश रहे। उन्होंने श्री शास्त्री से अनुरोध किया कि वे आगामी समय में सात दिन की राम कथा करें और उसमें दिव्य दरबार दो दिन का लगे।
तीन दिन में लाखों लोग पहुंचे :
तीन दिनी कथा में सागर जिले के साथ ही मध्यप्रदेश और देश के अलग-अलग हिस्सों से लाखों लोग पहुंचे। बडे-बूढ़े तो ठीक बच्चों में भी कथा को लेकर खासा उत्साह नजर आया। सोमवार को कुछ बच्चों का एक वीडियो भी सामने आया, जिसमें वे भजन गाते हुए जैसीनगर जाते नजर आ रहे हैं। साथ ही प्रदेश और देश की कई बड़ी हस्तियों ने कथा में शामिल होकर धर्म लाभ लिया।
व्यवस्थाओं से लोग खुश :
कथा स्थल पर सुबह से देर रात तक भंडारे का क्रम चलता रहा। देशभर से पहुंचे भक्तों ने प्रसादी पाई। झांसी से आईं नमिता चौरसिया ने कहा कि इतने छोटे से गांव में इतने बड़े पैमाने पर व्यवस्थाएं करना आसान नहीं होता, लेकिन मंत्री श्री राजपूत और आयोजन समिति की ओर से शानदार व्यवस्थाएं की गई हैं। राहतगढ़ से जैसीनगर पहुंचीं सीमा चौबे ने कहा कि भंडारा भव्य था। कोई चीज की कमी नहीं रही।
शास्त्री ने किए ज्वालादेवी के दर्शन :
इससे पहले सोमवार सुबह बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के साथ जैसीनगर के ही राजदरबार मंदिर में भगवान के दर्शन किए। इसके बाद वे जलधंर स्थित श्री ज्वाला देवी मंदिर पहुंचे, जहां उन्होंने मां के दर्शन किए। यहां हजारों लोगों ने पंडित शास्त्री और मंत्री राजपूत का भव्य स्वागत किया।
Created On :   23 May 2023 3:54 AM IST