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मध्य प्रदेश: जिंदा आदमियों के डेथ सर्टिफिकेट बनाकर हड़पी लाखों की बीमा की राशी
- आयुक्त ने रैकेट को लेकर जताई चिंता, जपं सीईओ-ग्रापं सचिवों को भूमिका सवालों के घेरे में
- ग्वालियर चंबल संभाग में बड़े पैमाने पर ग्राम पंचायत से नकली मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर बीमा क्लेम की राशी हड़पने का मामला
डिजिटल डेस्क, भोपाल। ग्वालियर चंबल संभाग में बड़े पैमाने पर ग्राम पंचायत से नकली मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर बीमा क्लेम की राशी हड़पने का मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि जिंदा लोगों के फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर बीमा क्लेम की धनराशी हड़पने वाला गिरोह सक्रिय है। यह मामला 2010 से निरंतर चल रहा है। ऐसे सात से अिधक मामले सामने आ चुके है।
दरअसल पंचायत में नकली मृत्यु प्रमाण पत्र के रैकेट का खुलासा आयोग में तब हुआ जब आरटीआई आवेदिका एडवोकेट दीपमाला मिश्रा ने भिंड और मुरैना दोनों जिलों की दो ग्राम पंचायतो में पिछ्ले 5 साल में जारी और डिलीट किए गए मृत्यु प्रमाण पत्र जारी होने की जानकारी मांगी। दीपमाला मिश्रा सभी प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनी के लिए लाइफ इंश्योरेंस क्लेम के इन्वेस्टिगेशन का काम भी करती हैं।
ऐसे चलता है मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने का रैकेट
दीपमाला मिश्रा ने सुनवाई में आयोग के सामने दस्तावेज रखते हुए खुलासा किया कि ग्वालियर चंबल संभाग में बड़े पैमाने पर ग्राम पंचायत से नकली मृत्यु प्रमाण पत्र जारी होने का रैकेट चल रहा है। इस रैकेट के चलते प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनी ने भिंड मुरैना क्षेत्र को ब्लैकलिस्टेड भी कर रखा है। मिश्रा ने कहा कि पैसा लेकर ग्राम पंचायत सचिव मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर देते हैं और उसके बाद जब बीमा क्लेम की राशि निकाल ली जाती है तो पंचायत सचिव मृत्यु प्रमाण पत्र जारी होने के रिकॉर्ड को डिलीट कर देते हैं।
पंचायत द्वारा सर्टिफाइड मरे हुए लोग इन्वेस्टीगेशन में जिंदा निकलते है।
दीपमाला मिश्रा ने आयोग को बताया कि ग्राम पंचायत सचिवों के विरूद्ध कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने की वजह से यह रैकेट 2010 से चल रहा है। पंचायत सचिव से जब आरटीआई में जानकारी मांगते हैं तो वह सालों जवाब नहीं देते हैं। जब गांव मे मृत्यु आदमी इंश्योरेंस कंपनी के इंस्टिगेशन में जिंदा निकलता है तो पंचायत सचिव यह सफाई देते हैं कि उनका पोर्टल हैक हो गया है उनका आईडी पासवर्ड चोरी करके किसी ने मृत्यु प्रमाणपत्र जारी कर दिया है। दीपमाला मिश्रा ने सूचना आयुक्त राहुल सिंह के सामने इस प्रकरण से संबंधित दस्तावेज पेश करते हुए कहा कि वर्तमान में ग्वालियर के डाबरा के खड़वाई ग्राम में मृत्यु प्रमाणपत्र के आधार पर सात लोगों की बीमा की राशि निकाली गई। हाल ही में यह सातों लोग इंश्योरेंस कंपनी के इन्वेस्टिगेशन में जिंदा पाए गए अभी मामला स्थानीय कोर्ट में चल रहा है।
नकली प्रमाण पत्र जारी होने पर एफआईआर करवाए : आयोग
सूचना आयोग से जारी आदेश में आयुक्त राहुल सिंह ने कहा कि ग्राम पंचायत सचिवों की दलील कि उनका पासवर्ड आईडी हैक हो गया था इसीलिए नकली मृत्यु प्रमाण पत्र जारी हो गए स्वीकार करने योग्य नहीं है। इस तरह के मामलों मे जवाबदेही सुनिश्चित होनी चाहिए। शासकीय रिकॉर्ड में किसी भी तरह की हेराफेरी कूटरचना भारतीय न्याय संहिता के तहत दंडनीय अपराध है। सिंह ने कहा कि दस्तावेजों में इस तरह की कूटरचना सामने आने पर यह लोक प्राधिकारियों का दायित्व है की वह प्रकरण में स्नढ्ढक्र दायर करवाकर दोषी अधिकारी कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई सुनिश्चित करवाए।
Created On :   8 March 2024 1:10 PM IST