आग: काम नहीं आई फायर लाइन, जंगलों से हर दिन फायर अलर्ट
- पश्चिम वनमंडल में अब तक के सबसे ज्यादा आग लगने की घटना
- आग लगने के कई कारण आते हैं सामने
- सर्वर अटका नहीं हो रहे अपडेट
डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में ग्रीष्म ऋतु आने के साथ ही जंगलों में आग की घटनाएं बढ़ जाती है। इससे निपटने के लिए वन विभाग फरवरी माह तक हर हाल में फायर लाइन तैयार करने का दावा करता है। नवंबर माह से फायर लाइन बनाने का काम किया जाता है लेकिन इसके बाद भी जंगलों में फायर अलर्ट जारी होते हैं। इस मामले में वन अधिकारियों की माने तो जंगलों में इन दिनों महुआ बीनने का काम चल रहा है जिसके लिए जलाई जाने वाली आग के कारण इसकी घटना बढ़ती है। पिछले कुछ दिनों में तीनों ही वनमंडल में फायर अलर्ट की संख्या बढ़ी है। अकेले पश्चिम वनमंडल की माने तो यहां पर तकरीबन १०० से ज्यादा फायर अलर्ट जारी हुए हैं। हालांकि पिछले दिनों हुई बारिश के कारण कुछ राहत जरुर वन विभाग के अधिकारी बता रहे हैं।
आग लगने के यह कारण आते हैं सामने
महुआ बिनने वाले द्वारा लगाई जाने वाली आग को जंगल में लगने वाली आग का प्रमुख कारण माना जाता है। खेतों में नरबई जलाने के दौरान भी जंगल में आग भडक़ने की बहुत संभावनाएं होती है। सूखी पत्तियों पर जलती बीड़ी-सिगरेट को फेंक देने, जंगल में पिकनिक मनाने वालों के द्वारा अधबुझी आग छोड़ देने के कारण भी जंगल में आग लगने की घटना हो सकती है। बांस रगडऩे से उत्पन्न होने वाली चिंगारी एवं अन्य प्राकृतिक कारणों से भी आग लगने की कुछ घटनाए बीते सालों में हुई है।
ऐसे बनती है फायर लाइन
छह मीटर वाली जिला फायर लाइन जिले की सीमा या रेंज को अलग करके बनाई जाती है। इसके अलावा इंटरनली वाली तीन मीटर की फायर लाइन बनाई जाती है जिसमें तांकि जंगल में लगने वाली आग की घटना को रोका जा सके। हालंाकि इसके अलावा जंगलों के बीच बने रास्ते, नदी, तालाब, नाले भी फायर लाइन का काम होता है।
सर्वर अटका नहीं हो रहे अपडेट
वन विभाग के फायर अलर्ट को लेकर फायर सर्वे ऑफ इंडिया की वेबसाइड में फायर अलर्ट की जानकारी रहती है। इसके अलावा सर्वर के जरिए भी फायर अलर्ट की जानकारी विभागीय अधिकारियों तक पहुंचती है। लेकिन पिछलेे कुछ दिनों से तकनीकी कारणों से यह अपडेट नहीं हो पा रही है।
Created On :   6 April 2024 3:31 AM GMT