व्यवहारिक और वास्तविक व्यापार में अंतर, एंटी इवेजन की दूसरे दिन भी चली कार्रवाई, कागजों में कारोबार कर मालामाल हो रहा था कोल व्यापारी

डिजिटल डेस्क, कटनी। एसजीएसटी इंटी इवेजन जबलपुर ब्यूरो की टीम दूसरे दिन भी आयुष कोल कॉरपोरेशन की जांच करती रही। दस सदस्यीय टीम को इस दौरान कोल ट्रेडिंग के ऐसे दस्तावेज मिले। जिसमें व्यवहारिक और वास्तविक व्यापार में इस तरह से अंतर पाया गया कि सवाल, जवाब में प्रोपाराइटर बृजेश मिश्रा अधिकारियों को गोल-मोल जवाब देकर गुमराह करता रहा। सुबह से देर शाम तक अधिकारी माधवनगर स्थित समदडिय़ा कॉलोनी के बृजेश मिश्रा के ऑफिस में मौजूद रहे। जांच के दौरान किसी तरह के दस्तावेज यहां से वहां न होने पाए। जिसे पर अधिकारियों की विशेष नजर रही। हालांकि जांच में शामिल अधिकारी मीडिया के सवालों से बस इतना कहते रहे कि अभी जांच पूरी नहीं हुई है। जांच पूरी होने के बाद ही अधिक जानकारी दी जा सकती है।
कागजों में हो रहा था व्यापार
कोल कारोबारी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि उक्त फर्म का संचालन प्रोपाराइटर दिखावे के लिए करता रहा। 10 प्रतिशत जहां वास्तविक व्यापार करता था। वहीं 90 प्रतिशत कारोबार सिर्फ कागजों में ही करता था। सबसे अचरच की बात तो यह रही कि करीब 90 प्रतिशत यह कोयला उपभोक्ताओं या फर्म को न बेचते हुए सिर्फ खास व्यापारियों से ही करता था। इसका फायदा यह रहा कि जब उपभोक्ता ही नहीं रहे तो फिर विभाग के पास शिकायतें भी नहीं आती थी।
पांच से छह दिनों का लगेगा समय
इस फर्म का संचालन भले ही छोटे कमरों में होता रहा हो, लेकिन जिस तरह की जानकारी सामने आई है। उससे अभी टीम को पांच से छह दिनों का समय लग सकता है। वर्ष 2017 से लेकर अब तक व्यापार की जांच टीम कर रही है। जिसमें कम्प्यूटर से भी लेन-देन के रिकार्ड हासिल किए जा रहे हैं। गौरतलब है कि गुरुवार दोपहर टीम सबसे पहले व्यापारी के बंगले में और इसके बाद फर्म में दबिश दी थी। इधर शुक्रवार को भी चाका क्षेत्र के कोल कारोबारियों में हडक़ंप की स्थिति निर्मित रही। जिससे तरह तरह की चर्चाएं होती रहीं।
प्रत्येक राज्य में फर्म का नेटवर्क
कागजों में कारोबार करते हुए यह व्यापारी प्रदेश के प्रत्येक राज्य में अपना नेटवर्क फैला रखा था। जिसमें झारखण्ड, छत्तीसगढ़ जैसे कोल उत्पादक राज्यों से भी कोयला मंगाने और भेजने का काम करता था। जिस तरह से जांच आगे-आगे बढ़ रही है। उसी तरह से कोयला के काले कारोबार में दाग और धब्बे भी निकलकर सामने आ रहे हैं।
Created On :   8 July 2023 9:45 PM IST