Delhi News: देश में बाल विवाह की व्यापकता में आई है कमी : अन्नपूर्णा देवी
- महाराष्ट्र-बंगाल में राष्ट्रीय औसत से अधिक है बाल विवाह की दर
- कुछ राज्यों में जनजागरण में अभी भी पिछड़े
- कई जगहों पर जागरूक नागरिक खुद करते हैं शिकायत
Delhi News केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए बालिकाओं और महिलाओं के बीच शिक्षा, कौशल, उद्यम और उद्यमशीलता को बढ़ावा देना सबसे महत्वपूर्ण जरूरतों में से एक है। उन्होंने बताया कि देश में बाल विवाह की व्यापकता में कमी है। केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) -3 के अनुसार बाल विवाह की व्यापकता 2006 में लगभग 47 प्रतिशत थी जो एनएफएचएस -5 के अनुसार 2019-20 के दौरान घटकर आधी यानी लगभग 23.3 प्रतिशत रह गई है।
259 जिलों में महिलाओं में बाल विवाह का प्रचलन अधिक : हालांकि महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, त्रिपुरा, असम, राजस्थान और तेलंगाना जैसे कुछ राज्यों में राष्ट्रीय औसत की तुलना में बाल विवाह का प्रचलन अधिक है। एनएफएचएस -5 के मुताबिक देश में लगभग 259 जिले ऐसे हैं, जहां महिलाओं में बाल विवाह की दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है। अन्नपूर्णा देवी ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के हवाले से बताया कि प्रोहिबिशन ऑफ चाइल्ड मैरिज एक्ट (पीसीएमए) के तहत दर्ज मामलों की संख्या लगातार बढ़ी है। वर्ष 2018 में 501, 2019 में 525, 2020 में 785, 2021 में 1,050 और 2022 में 1,002 मामले दर्ज किए गए। बाल विवाह की घटनाओं की सूचित मामलों की संख्या में वृद्धि दिखाता है कि नागरिकों में इसके प्रति जागरूकता बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि कुछ राज्यों में ग्राम पंचायत स्तर तक के कर्मियों को नामित किया गया है, जबकि कई राज्यों में यह केवल जिला या उप-जिला स्तर तक ही है।
नवंबर, 2024 में शुरू हुआ अभियान : दरअसल केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 27 नवंबर 2024 को ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान की शुरूआत की है। इस अभियान का उद्देश्य भारत में बाल विवाह को समाप्त करना है। यह अभियान लैंगिक समानता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता एवं वर्ष 2047 तक विकसित भारत के व्यापक दृष्टिकोण के अनुरूप है।
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- 21 Dec 2024 7:57 PM IST
देश में बाल विवाह की व्यापकता में कमी
केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए बालिकाओं और महिलाओं के बीच शिक्षा, कौशल, उद्यम और उद्यमशीलता को बढ़ावा देना सबसे महत्वपूर्ण जरूरतों में से एक है। उन्होंने बताया कि देश में बाल विवाह की व्यापकता में कमी है। केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) -3 के अनुसार बाल विवाह की व्यापकता 2006 में लगभग 47 प्रतिशत थी जो एनएफएचएस -5 के अनुसार 2019-20 के दौरान घटकर आधी यानी लगभग 23.3 प्रतिशत रह गई है।
Created On :   21 Dec 2024 7:56 PM IST