हेलीपैड से राष्ट्रीय टीम की उड़ान भरना चाहती हैं छत्तीसगढ़ की आदिवासी लड़कियां

Tribal girls of Chhattisgarh want to fly national team from helipad
हेलीपैड से राष्ट्रीय टीम की उड़ान भरना चाहती हैं छत्तीसगढ़ की आदिवासी लड़कियां
हेलीपैड से राष्ट्रीय टीम की उड़ान भरना चाहती हैं छत्तीसगढ़ की आदिवासी लड़कियां
हाईलाइट
  • हेलीपैड से राष्ट्रीय टीम की उड़ान भरना चाहती हैं छत्तीसगढ़ की आदिवासी लड़कियां

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ की नौ लड़िकयां महीनों से हेलीपैड पर हॉकी का अभ्यास कर अपने आप को आने वाली सब-जूनियर और जूनियर नेशनल हॉकी टीम के लिए होने वाली ट्रायल्स के लिए तैयार कर रही है। अगर सब कुछ ठीक रहता है तो 14 से 17 साल की यह लड़कियां, जिनमें से कई बस्तर में से आती हैं, सब-जूनियर और जूनियर हॉकी टीम के लिए खेल सकती हैं। और फिर क्या पता वहां से सफर इन्हें सीनियर टीम के लिए ले जाए।

पहले इन लड़कियों को यह तक नहीं पता था कि हॉकी पकड़ते कैसे हैं, लेकिन अब यह फ्री हिट्स, ड्रैग फ्लिक, ड्रीब्लिंग में महारत हासिल कर चुकी हैं और इसमें इन लोगों की मदद की है इंडो-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) जो नक्सलवाद को रोकने के लिए वहां हैं।।

भारत के नेशनल ट्रायल कैम्प-2020 के लिए चुनी गई लड़कियां राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखाने को तैयार हैं। यह ट्रायल कैम्प मई-जून में होना था लेकिन कोविड के कारण स्थगित हो गया और अब आने वाले समय में यह कभी भी हो सकता है। आईटीबीपी के एक अधिकारी ने आईएएनएस से कहा कि कोंडागोन जिले से आनी वाली यह लड़कियां हॉकी पकड़ना तक नहीं जानती थीं और वह अपनी हॉकी प्रतिभा से भी अनजान थीं।

आईटीबीपी की हेड कॉन्सटेबल सूर्या स्मित को अपनी छात्रों- धानेस्वर करम (17), तनिशा नाग (16), संजना सोडी (16), सुलोचना (16), सेवांती पायम (16), सावित्रि नेताम (16), सुमानी कश्यप (15), सुक्री मानदवी (15) और सुकमती मानदवी(14) पर गर्व है।

स्मित ने आईएएनएस से कहा कि एक बार जब आईटीबीपी ने इन्हें हॉकी किट और यूनिफॉर्म दी उसके बाद यह लोग खेल में बेहद जल्द निपुण हो गईं। उन्होंने कहा, मैं सीमेंट से बने आधे हेलीपैड पर 55 आदिवासी लड़कियों को ट्रेनिंग दे रही हूं। मैदान की एक साइड मिट्टी से ढंकी है जबकि आधी पर सीमेंट है। स्मित ने बताया, अगस्त-2016 में मैंने इन लड़कियों को ट्रेनिंग देना शुरू की और वह 2018 में अंडर-17 राज्य हॉकी चैम्पियनशिप में दूसरी रनर अप रहीं। 2019 में नेहरू कप चैम्पियनशिप में भी यह लड़कियां दूसरी रनर अप रहीं।

लॉकडाउन से पहले यह लड़कियां सुबह छह से आठ बजे और शाम को 4:30 से 6 बजे तक ट्रेनिंग करती थीं। स्मित ने बता कि अब यह ऑनलाइन ट्रेनिंग कर रही हैं क्योंकि आदिवासी हॉस्टल, जहां यह लोग रहती हैं वो बंद है। स्मित ने कहा, उनके अंदर स्वाभाविक तौर पर काफी क्षमता और तेजी है। अगर उनकी प्रतिभा को निखारा जाए तो यह कमाल कर सकती हैं।

लड़कियों ने हालांकि कम सुविधाओं का जिक्र किया है और खेल मंत्री किरण रिजिजू से गुहार लगाई है कि वह उन्हें अच्छे मैदान की सुविधा मुहैया कराएं। सुमानी कश्यप ने कहा, हम राष्ट्रीय हॉकी टीम में जगह बनाने के अपने सपने को जीना चाहते हैं। हम राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ियों से प्रेरित हैं। उन्होंने कहा, हमने रिजिजू सर से अपील की है कि वो हमें अच्छा मैदान मुहैया कराएं क्योंकि हैलीपेड पर अभ्यास करना काफी जोखिम भरा है।

Created On :   4 Oct 2020 9:00 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story