Tokyo Olympic 2020: बॉक्सिंग रिंग में सुपर मॉम मैरीकॉम बरपाएंगी कहर, हरियाणा की चौकड़ी और हिमाचली मुक्के पर भी होगी नजर
- पहली बार रिंग में बरसेगा हिमाचली मुक्का
- मुक्केबाज मॉम से मेडल की आस
- हरियाणा की मुक्केबाज चौकड़ी करेगी कमाल
डिजिल डेस्क, नई दिल्ली। इस बार भारत जब अपने ओलंपिक अभियान (Tokyo Olympic 2020) की शुरूआत करेगा तो जाहिर तौर पर सबकी निगाहे मुक्केबाजों पर रहेगी। भारतीय मुक्केबाजों (Indian Boxers) ने अपने प्रदर्शन से पिछले कुछ सालों में काफी प्रभावित किया हैं।
एम. सी मैरीकॉम
"सुपरमॉम" मैरीकॉम (MC MaryKom) किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं, 6 बार की विश्व बॉक्सिंग चैंपियन (World Boxing Champion) मैरीकॉम से देश को पदक की आस होना लाजमी है। मैरीकॉम ने 2012 के लंदन ओलंपिक(London Olympics 2012) में ब्रॉन्ज मेडल जीता था, और ऐसा करने वाली भारत के लिए वो पहली बॉक्सर (Indian Boxer) थीं।
इससे पहले मैरीकॉम के जीवन संघर्षों को लेकर उनकी बॉयोपिक बन चुकी हैं, जिसमें उनका रोल प्रियंका चोपड़ा ने निभाया था।
अमित पंघाल
मुक्केबाजी के इतिहास में भारत की ओर से पहली बार कोई खिलाड़ी विश्व नंबर वन (World No.1) का टैग लेकर ओलंपिक रिंग में उतरेगा। यह खिलाड़ी कोई और नहीं, बल्कि रोहतक के गांव मायना के रहने वाले अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर अमित पंघाल ( International Boxer Amit Panghal) हैं। अमित को यह जुनून अपने बड़े भाई से मिला है जिन्होंने छोटे भाई के सपने के लिए बॉक्सिंग छोड़ दी थी। बड़े भाई ने कर्जा लेकर ट्रेनिंग कराई।
विकास कृष्ण
विकास कृष्ण (Vikas Krishna) यादव हरियाणा के हिसार जिले में सिंघवा खासी गांव के रहने वाले हैं। ऐम्चयोर बॉक्सिंग (Amateur boxing) में विकास ओलंपिक पदक के लिए ही वापसी कर रहे हैं और तीसरी बार ओलंपिक का हिस्सा बनने जा रहे हैं। मैरीकॉम और अमित की तरह देश को विकास से भी पदक की उम्मीद है।
लवलीना बोर्गोहिन
लवलीना बोर्गोहिन (Lovlina Borgohain) असम के गोलाघाट जिले की रहने वाली हैं। उनके पिता टिकेन एक छोटे स्तर के व्यवसायी हैं और उन्हें अपनी बेटी के सपने को पूरे करने के लिए फाइनेंशियली परेशानी झेलनी पड़ी थी।
भारतीय खेल प्राधिकरण (Sports Authority of India) ने उनके हाई स्कूल बारपाथर गर्ल्स हाई स्कूल में ट्रायल आयोजित किया, इस ट्रायल में लवलीना ने भाग लिया जिसमें उन्हें प्रसिद्ध कोच पदुम बोरो ने देखा और चुना और बाद में 2012 से उन्हें ट्रेनिंग देना शुरू किया।
पूजा रानी
पूजा (Pooja Rani) ने लगातार दो एशियन गेम्स (Asian Games) में गोल्ड जीतकर टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में भारत की पदक के लिए उम्मीद को और मजबूत कर दिया है। पूजा हरियाणा के भिवानी जिले से हैं, यह वही जगह है जहां से विजेन्द्र सिंह (Vijendra Singh) सहित कई मुक्केबाज देश का नाम रोशन कर चुके हैं।
सतीश कुमार
सतीश कुमार (Satish Kumar) उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के रहने वाले हैं। ओलंपिक के सुपर हेवीवेट कैटेगरी (Super HeavyWeight Category) में क्वालीफाइ करने वाले वो पहले भारतीय मुक्केबाज (Indian Boxers) हैं। सेना के मुक्केबाज सतीश कुमार (Satish Kumar) को चोट लगने के बाद दो सबसे बड़े खेल आयोजनों - 2016 रियो ओलंपिक (Rio Olympics 2016) और 2013 विश्व चैम्पियनशिप (World Championship) से बाहर बैठने के लिए मजबूर होना पड़ा।
मनीष कौशिक
सेना में संयुक्त कमीशन अधिकारी के ओहदे पर कार्यरत मनीष कौशिक (Manish Kaushik) ने अपने परिवार को गरीबी से उबारने के लिए बॉक्सिंग शुरू की थी। मनीष भारत को महान मुक्केबाज देने वाली धरती भिवानी से आते हैं।
सिमरनजीत कौर
कोरोना भी सिमरनजीत (Simranjeet Kaur) के जुनून में कमी नहीं ला सका और वो एक बार फिर से उठकर लड़ने के लिए तैयार हैं। मां के कहने पर बॉक्सिग शुरू करने वाली सिमरनजीत अपने पंच से सबको चौंकाने की तैयारी में हैं।
आशीष कुमार
आशीष कुमार (Ashish Kumar) टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाइ करने वाले हिमाचल प्रदेश से पहले बॉक्सर हैं। आशीष को खेलों का जुनून विरासत में मिला है, उनके पिता भी नेशनल कबड्डी प्लेयर थे।
आशीष पूर्व ओलंपिक पदक विजेता बॉक्सर विजेंद्र सिंह(Olympic medal Winner Vijendra Singh) के बहुत बड़े फैन हैं और उन्हीं की तरह देश के लिए पदक जीतना चाहते हैं।
Created On :   16 July 2021 11:03 AM GMT