टी-20 वर्ल्ड कप के कुछ ऐसे लम्हें जिन्हें कभी नहीं भूलेगा क्रिकेट जगत
- साल 2007 में खेले गए पहले टी-20 वर्ल्ड कप पर महेन्द्र सिंह धोनी की कप्तानी में युवा भारतीय टीम ने कब्जा जमाया था।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। टी-20 वर्ल्ड कप 2022 की शुरुआत में अब सिर्फ कुछ ही दिन बचे हैं। लेकिन क्रिकेट के इस सबसे छोटे फॉर्मेट को वर्ल्ड कप जैसे बड़े टूर्नामेंट के रुप में पहली बार साल 2007 में खेला गया था। इस एतिहासिक वर्ल्ड कप पर महेन्द्र सिंह धोनी की कप्तानी वाली युवा भारतीय टीम ने कब्जा जमाया था। इसके बाद इस फॉर्मेट में अब तक सात बार वर्ल्ड कप खेला जा चुका। जिसमें सबसे अधिक बार इस ट्रॉफी को वेस्ट इंडीज की टीम ने उठाया। वेस्ट इंडीज की टीम ने इस वर्ल्ड कप को साल 2012 और 2016 में इस पर कब्जा जमाया। इन सात टी-20 वर्ल्ड कप संस्करणों में कई ऐसे लम्हें आए जिसने पूरे क्रिकेट जगत को हिला कर रख दिया। आज हम आपको टी-20 वर्ल्ड कप की कुछ ऐसे ही पांच लम्हों के बारे में बताने वाले हैं जिन्हें पूरा क्रिकेट जगत कभी भूला नहीं सकेगा।
क्रिकेट इतिहास का पहला बॉल आउट मुकाबला (2007)
दक्षिण अफ्रीका में खेले गए इस पहले टी-20 वर्ल्ड कप की सबसे मजेदार लम्हों में से एक भारत-पाकिस्तान के बीच खेला गया बॉल आउट मुकाबला था। दरअसल, भारत और पाकिस्तान की टीमें आमने-सामने थी। लेकिन दोनों टीम के बीच मुकाबला बराबरी पर खत्म हुआ। जिसके बाद इस महा-मुकाबले के विजेता टीम घोषित करने के लिए आईसीसी के नियमों के तहत पहली बार क्रिकेट में बॉल आउट का मुकाबला खेला गया। इस बॉल आउट मुकाबले में भारतीय गेंदबाजों ने तीन गेंदो पर लगातार तीन बार स्टंप्स को हिट किया। जबकि पाकिस्तानी गेंदबाज एक भी बार गेंद को स्टंप पर हीट नहीं कर सके। भारतीय टीम ने इस बॉल आउट मुकाबले में 3-0 से जीत हासिल की।
युवराज सिंह ने जड़े 6 गेंदो पर 6 छक्के (2007)
साल 2007 में खेले गए पहले टी-20 वर्ल्ड कप पर भारतीय टीम ने अपना कब्जा जमाया था। इसमें सबसे बड़ा हाथ स्टार ऑलराउंडर युवराज सिंह का था। युवराज इस वर्ल्ड कप में "प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट" चुने गए थे। युवराज ने इस वर्ल्ड कप में इंग्लैंड के खिलाफ मुकाबले में स्टुर्अट ब्रॉड के एक ही ओवर में छह छक्के जड़ उनकी हालत खराब कर दी थी। यह पहला मौका था जब किसी खिलाड़ी ने छह गेंदो पर छह छक्के लगाए थे। इसी पारी में युवराज ने वर्ल्ड क्रिकेट का सबसे तेज अर्धशतक भी जड़ा था। उन्होंने केवल 12 गेंदो पर पचासा ठोक दिया था। आज 15 साल बाद भी युवराज के इस रिकॉर्ड को कोई खिलाड़ी नहीं तोड़ सका हैं।
महेन्द्र सिंह धोनी का रन आउट (2016)
भारत में खेले गए इस टी-20 वर्ल्ड कप 2016 को वेस्ट इंडिज टीम ने अपने नाम किया था। लेकिन इस वर्ल्ड कप में भारतीय कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी द्वारा किया गया रन आउट इस वर्ल्ड कप का सबसे शानदार लम्हा था। दरअसल, भारत और बांग्लादेश की टीमें लीग मैच में एक-दूसरे के आमने-सामने थी। इस मैच की आखिरी गेंद पर बांग्लादेशी टीम को जीत के लिए 2 रनों की जरूरत थी। लेकिन बल्लेबाज ने गेंद मिस कर दी और गेंद सीधे विकेटकीपर धोनी के दस्तानों में चली गई। बांग्लादेशी बल्लेबाजों ने बॉय रन लेना चाहा। लेकिन महेन्द्र सिंह धोनी ने केवल 2 सेकण्ड में दौड़कर मुस्ताफिजुर को रन आउट कर दिया और भारतीय टीम ने यह मुकाबला सिर्फ एक रन से अपने नाम किया।
ब्रेथवेट ने लगाए 4 गेंदो पर 4 छक्के (2016)
भारत में खेले गए इस टी-20 वर्ल्ड कप 2016 पर वेस्ट इंडीज टीम ने कब्जा जमाया था। इस वर्ल्ड कप जीत के सबसे बड़े हीरो कार्लोस ब्रेथवेट थे। ब्रेथवेट के फाइनल मुकाबले में इंग्लैंड के खिलाफ 4 गेंदो पर लगाए गए 4 छक्के वर्ल्ड के सबसे शानदार लम्हों में से एक हैं। दरअसल, इस वर्ल्ड कप के फाइनल में वेस्ट इंडीज और इंग्लैंड की टीम के बीच खिताबी मुकाबला था। इस मुकाबले के आखिरी ओवर में वेस्ट इंडीज टीम को जीत के लिए 19 रनों की जरूरत थी। लेकिन वेस्ट इंडीज के स्टार ऑलराउंडर कार्लोस ब्रेथवेट ने बेन स्टोक्स की चार गेंदो पर लगातार चार छक्के जड़कर वेस्ट इंडीज टीम को वर्ल्ड कप जीता दिया।
रंगना हेरथ की फिरकी पर नाची पूरी न्यूजीलैंड टीम (2014)
बांग्लादेश में खेले गए टी-20 वर्ल्ड कप 2014 को श्रीलंका ने अपने नाम किया था। फाइनल मुकाबले में श्रीलंका ने भारत को 6 विकेटों से मात दी थी। श्रीलंका के इस वर्ल्ड कप जीत में सबसे अहम योगदान उनके स्पिन गेंदबाज ने दिया था। श्रीलंका के सबसे अनुभवी स्पिनर रंगना हेरथ ने इस वर्ल्ड कप में एक ऐसा कारनामा किया जिसे आज तक कोई भी गेंदबाज नहीं कर पाया था। उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ मुकाबले में 3.3 ओवर में सिर्फ 3 रन देकर 5 विकेट हासिल कर अपनी टीम को जीत दिलाई थी।
Created On :   7 Oct 2022 7:20 PM IST