आज की नाकामियों के बावजूद इतने हिट हैं विराट, याद कीजिए ये उपलब्धियां
- 2008 में अपनी कप्तानी में भारत को बनाया था अंडर-19 विश्व चैंपियन
- कोहली के इंस्टाग्राम पर 100 मिलियन फॉलोवर्स है
- श्रीलंका के खिलाफ किया था अंतराष्ट्रीय पदार्पण
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। क्रिकेट की दुनिया में "रन मशीन" विराट कोहली आज अपना 33वां जन्मदिन मना रहे है। अपने 13 साल के क्रिकेट करियर में मैदान पर जो इस खिलाड़ी ने किया है, उसके सामने बड़े-बड़े दिग्गज नतमस्तक हुए हैं। मैदान में आक्रामक रवैया, बल्ले से भी और जबान से भी। ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर में धूल चटाना, कोहली की बड़ी उपलब्धियों में से एक है।
हालांकि, विराट के बारे में उनके प्रशंसक लगभग सभी बाते जानते है, इंस्टाग्राम पर एकमात्र भारतीय सेलिब्रिटी के 100 मिलियन फॉलोवर्स होना, इसका बात का सबूत है पर आइये आज हम आपको ले चलते है विराट कोहली की अभी तक के सबसे यादगार सफर पर -
पूत के पांव पालने में ही दिख गए थे
विराट कोहली ने अभी तक इंटरनेशनल क्रिकेट में भारत के लिए पदार्पण भी नहीं किया था, लेकिन उससे पहले ही दिल्ली का यह लड़का देश में अपनी पहचान बना चुका था। मात्र 18 साल की उम्र में ही अंडर-19 की कप्तानी करते हुए कोहली ने मलेशिया में आयोजित हुए अंडर-19 विश्व कप (2008) में भारत को विश्व चैंपियन बनाया था। कोहली ने टूर्नामेंट के दौरान वेस्टइंडीज के खिलाफ शतक भी जड़ा था। उन्होंने उस दौरान 74 गेंदों पर 100 रन की ताबड़तोड़ पारी खेली थी।
श्रीलंका के खिलाफ किया अंतरराष्ट्रीय पदार्पण
अंडर-19 और फर्स्ट क्लास में शानदार प्रदर्शन के बाद कोहली को सीनियर टीम में शामिल किया गया। एकदिवसीय खेलने वाले 175 तो वहीं टेस्ट मैच में भारत का प्रतिनिधितित्व करने वाले वो 269 खिलाड़ी थे।
13 साल के करियर में ही हो गए महान खिलाड़ियों की लिस्ट में शामिल
कई दिग्गजों का मानना है की उन्होंने 1877 से विश्व क्रिकेट के इतिहास में किसी खिलाड़ी में इतनी निरंतरता कभी नहीं देखी। कोहली के पास सभी प्रारूपों में कई रिकॉर्ड हैं और एक ही समय में क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में 50 से अधिक औसत रखने वाले वे एकमात्र बल्लेबाज हैं। कोहली 70 अंतरराष्ट्रीय शतकों के साथ सचिन तेंदुलकर (100) और रिकी पोंटिंग (71) के बाद तीसरे स्थान पर हैं। भारतीय कप्तान के पास 23,159 हैं, जो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के इतिहास में सर्वाधिक रन बनाने वालों की सूची में सातवें स्थान पर हैं।
विराट कोहली ने भले ही दो साल से शतक नहीं बनाया हो, लेकिन भारत के कप्तान अभी भी न केवल मौजूदा क्रिकेटरों में बल्कि पूरे क्रिकेट इरा में विश्व क्रिकेट के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक हैं। कोहली ने इस तेजी से ये कीर्तिमान स्थापित किए हैं कि पिछले कुछ वर्षों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं करने के बावजूद, वह अभी भी आधुनिक क्रिकेटरों के बीच रनों और शतकों के मामले में मीलों आगे हैं।
पिता का निधन, मैदान में कोहली
2006 में विराट के पिता प्रेम कोहली के आकस्मिक निधन के बाद पूरा परिवार सदमे में था। उस दिन मैदान पर एक 18 साल के लड़के ने पूरे क्रिकेट जगत को हिला दिया। उस दिन विराट कोहली दिल्ली के लिए कर्नाटक के खिलाफ रणजी ट्रॉफी मैच खेल रहे थे। अपने पिता के निधन की खबर मिलने के बाद भी कोहली ने खेल जारी रखा, उसके बाद लंच-टाइम में वो मैदान से गए, अपने पिताजी का दाह-संस्कार किया और मैदान पर वापस आकर सबको चौंका दिया। उस दौरान, उन्होंने अपनी युवावस्था में ही अपनी निष्ठा का प्रमाण दिया। उन्होंने 90 रन बनाए और अपनी टीम को हार से बचाया।
कोहली की निडर पारियां
1. होबार्ट में तूफान (133* बनाम श्रीलंका, 2012)
श्रीलंका के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया में त्रिकोणीय सीरीज के दौरान पहली बार अपनी प्रतिभा की झलक दिखाई थी। कोहली ने महज 86 गेंदों में नाबाद 133 रनों की पारी खेलकर भारत को 37 ओवर से भी कम समय में 321 रन बनाने में मदद की। उस मैच में कोहली ने विश्व क्रिकेट में डेथ ओवरों में बल्लेबाजों के लिए नासुर बन चुके यॉर्कर किंग लसिथ मलिंगा की जमकर खबर ली थी और एक ओवर में 6 चौके जड़कर 24 रन बटोरे थे।
2. मोहाली में जीत पर हुए भावुक (82* बनाम ऑस्ट्रेलिया, 2016 विश्व टी20)
2016 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कोहली के सर्वश्रेष्ठ सालों में से एक था और भारत में खेले गए टी 20 विश्व कप में उनका प्रदर्शन यादगार था। वह टूर्नामेंट में प्लेयर ऑफ द सीरीज के रूप में उभरे लेकिन क्वार्टरफाइनल मैच के दौरान ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनकी पारी सबसे अलग रही।
कोहली टूर्नामेंट में पहले ही पाकिस्तान के खिलाफ एक अर्धशतक लगा कर दिल जीत चुके थे, लेकिन मोहाली में उनकी बल्लेबाजी ने उन्हें नेशनल हीरो बना दिया था। जीत के लिए 161 रनों का पीछा करते हुए और भारत ने 49 रन पर ही 3 विकेट गवां दिए थे। इसके बाद कोहली ने युवराज सिंह के साथ मिलकर पारी को संभाला। युवराज के आउट होने के बाद एमएस धोनी के साथ एक मजबूत साझेदारी कर टीम को जीत दिलाई। कोहली अपने अर्धशतक तक पहुंचे लेकिन यह मैच का सबसे बड़ा आकर्षण नहीं था। "मास्टर ऑफ द चेज" के नाम से मशहूर हो चुके कोहली ने उस दिन एक अकल्पनीय रूप में क्रिकेट खेला। उस दिन वह पूरे जोश और जुनून में विकेटों के बीच दौड़े। आखिरी 3 ओवर्स में भारत को जीत के लिए 39 रन की जरुरत थी, और उन्होंने जेम्स फॉल्कनर को 14 और अगले ओवर में नाथन कूल्टर-नाइट को ओवर में तीन चौके जड़कर, 21 रन निकाले। अंतिम ओवर में चार रन की जरूरत थी। धोनी ने विनिंग शॉट जड़ा जरूर पर जीत कोहली के कंधों पर ही सवार हो कर आई। इस जीत के अहसास के साथ जमीन पर गिरना साफ जाहिर कर रहा था कि इस कामयाबी पर कितना खुश थे विराट। विराट की इस इनिंग को आईसीसी ने कुछ ही दिन पहले "इनिंग ऑफ द डिकेड" भी घोषित किया है।
3. एडिलेड में मचाई तबाही (115 और 141 बनाम ऑस्ट्रेलिया, 2014)
कोहली ने कप्तान के रूप में अपने पहले टेस्ट में भारत ने लगभग ऑस्ट्रेलिया की धरती पर उसे हरा ही दिया था, लेकिन यह भारत के प्रसिद्ध विकेट पतन में से एक था। धोनी की अनुपस्थिति में जो उंगली की चोट से जूझ रहे थे, कोहली ने भारतीय टीम की कप्तानी करते हुए एडिलेड में दोनों पारियों में शतक ठोका। पहली पारी में उनकी 115 रनों की पारी ने ऑस्ट्रेलिया के 517/7 के लिए भारत के 444 रनों के मजबूत जवाब दिया। दूसरी पारी में, ऑस्ट्रेलिया ने 290/5 पर घोषित किया, जिससे भारत को 362 रन बनाने थे। कोहली ने 141 रनों की एक और लड़ाई की और मुरली विजय के साथ, भारत को 242/2 पर ले गए, मैच में एक ऐसा चरण जहां वे 1-0 की बढ़त हासिल करने की संभावना रखते थे। लेकिन ऑफ स्पिनर नाथन लियोन ने 7 विकेट लेकर भारत को मैच से बाहर कर दिया। यह भारत की सबसे खराब बल्लेबाजी पतन में से एक था, जहां उन्होंने आखिरी आठ विकेट मात्र 73 रन के अंदर ही खो दिए थे।
Created On :   5 Nov 2021 5:42 PM IST