पेरिस पैरालंपिक 2024: डेढ़ साल की उम्र में गवाएं पैर, 20 दिन पहले हुआ मां का निधन, फिर भी नहीं रुके कदम, जिताया देश को सोना, जानिए गोल्ड मेडलिस्ट हरविंदर की कहानी
- डॉक्टरों की गलती से डेढ़ साल की उम्र में खोए पैर
- मैच से 20 दिन पहले हुआ था मां का निधन
- पंजाब यूनिवर्सिटी से कर रहे पीएचडी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारतीय पैरा एथलीटों ने अपने शानदार प्रदर्शन से देश को काफी गौरवान्वित महसूस करवाया है। पैरालंपिक गेम्स में भारत की झोली में अब तक कुल 24 पदक हो चुके हैं। सातवें दिन की शुरुआत में भारत स्कोर बोर्ड के 20वें नंबर पर था लेकिन दिन के खत्म होने के साथ भारत ने एक ऊंची छलांग लगाई और सीधा 13वें पायदान पर पहुंच गया। इनमें 5 गोल्ड, 9 सिल्वर और 10 ब्रॉन्ज मेडल शामिल हैं। पेरिस पैरालंपिक खेलों के सातवें दिन भारतीय तीरंदाज हरविंदर सिंह ने पैरा रिकर्व में गोल्ड लाकर इतिहास रच दिया है। वह पहले भारतीय तीरंदाज बन चुके हैं जिन्होंने पैरालंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीता हो।
भारत को गोल्ड जिताने वाले हरविंदर ने इससे पहले भी टोक्यो पैरालंपिक में इतिहास रचा था। टोक्यो पैरालंपिक के मेंस रिकर्व में ब्रॉन्ज मेडल हासिल कर वह देश के पहले पैरा आर्चर बन गए थे जिन्होंने पैरलंपिक खेलों में मेडल जीता हो। चलिए जानते हैं पेरिस पैरालंपिक में इतिहास रच देश का गौरव बढ़ाने वाले पैरा एथलीट हरविंदर सिंह संघर्ष की कहानी।
मैच से 20 दिन पहले हुआ था मां का निधन
पेरिस पैरालंपिक में गोल्डी जीतने से महज कुछ ही दिनों पहले हरविंदर ने अपनी मां को खो दिया था। पैरा आर्चरी मैच से मजह 20 दिनों पहले हरविंदर की मां ने अपनी आखिरी सांसे ली थी। इस बात से हरविंदर काफी दुखी थे लेकिन हरविंदर ने इसे अपने खेल पर हावी नहीं होने दिया और सोना अपने नाम किया। उन्होंने गोल्ड मेडल को अपनी मां को डेडिकेट करते हुए कहा कि यह सब मेहनत और मेरी मां का आशीर्वाद है।
डॉक्टरों की गलती से हुई पैरों में समस्या
हरविंदर का जन्म हरियाणा के कैथल में एक सामान्य से किसान परिवार में हुआ था। जन्म के समय उन्हें किसी भी तरह की कोई शारीरिक समस्या नहीं थी। जब वह महज डेढ़ साल के थे तब उन्हें डेंगू हो गया था। डॉक्टरों के इलाज के दौरन कुछ गलत इंजेक्शन के इस्तेमाल की वजह से हरविंदर के बाएं पैर की ताकत खत्म हो गई थी।
पंजाब यूनिवर्सिटी से कर रहे पीएचडी
पंजाब के पटियाला यूनिवर्सिटी में पढाई के दौरान साल 2012 में पैरालंपिक खेलों को देखकर उनकी दिलचस्पी आर्चरी की ओर बढ़ने लगी। अपने ट्रेनिंग के दौरन वह भारत के पूर्व वर्ल्ड चैंपियन अभिषेक शर्मा के इस्तेमाल किए हुए तीरों से प्रैक्टिस किया करते थे। अपनी शुरुआती दौर में वह कंपाउंड इवेंट में हिस्सा लिया करते थे। साल 2015 में उन्होंने रिकर्व में जाने का फैसला किया। हरविंदर को तीरंदाजी के अलावा पढ़ाई का भी काफी शौक है। फिलहाल वह पैरालंपिक खेलों के साथ-साथ पंजाब यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पीएचडी कर रहे हैं।
Created On :   5 Sept 2024 5:02 PM IST