चिराग पासवान को साधने में क्यों जुटी है बीजेपी? साध भी लिया तो क्या भर पाएंगे चाचा-भतीजे के बीच की खाई, नड्डा के पत्र के क्या हैं मायने?
- एनडीए की अहम बैठक के लिए बीजेपी ने चिराग को भेजा न्योता
- चिराग को साधने की पीछे बीजेपी का है 'मास्टर प्लान'
डिजिटल डेस्क, पटना। भारतीय जनता पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए अपना कुनबा बढ़ाने में जुटी है। इसी को देखते हुए भाजपा ने 18 जुलाई को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की बैठक बुलाई है। जिसमें उसके साथ वो सभी राजनैतिक दल शामिल होंगे जो एनडीए का अहम हिस्सा हैं। इसी सिलसिले में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) यानी लोजपा (आर) को बैठक के लिए निमंत्रण भेजा है। बीजेपी की ओर से लोजपा(आर) सुप्रीमो चिराग पासवान को बैठक के लिए आमंत्रित करना इसलिए खास हो जाता है कि क्योंकि वर्तमान समय में वो एनडीए का हिस्सा नहीं हैं।
नड्डा ने बैठक के लिए चिराग पासवान को एक पत्र लिख कर आमंत्रित किया है। अपने लेटर में बीजेपी नेता ने लिखा है कि, आप एनडीए गठबंधन का अहम हिस्सा हैं। एनडीए का अहम हिस्सा होने की वजह से आपको 18 जुलाई को शाम 5 बजे दिल्ली के अशोक होटल में होने वाली महत्वपूर्ण मीटिंग के लिए आमंत्रित किया जाता है। यह बैठक पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में रखी गई है। एनडीए के महत्वपूर्ण साथी होने की वजह से एनडीए और मजबूत हुआ है।
जल्द ही एलान करेंगे चिराग
हाल ही में चिराग पासवान ने बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय से मुलाकात की थी। जिसके बाद से ही सियासी गलियारों में चर्चाएं चल रही थी कि जल्द ही एनडीए का दामन थाम सकते हैं। चिराग पासवान ने नित्यानंद से दो बार मुलाकात की है। कहा जा रहा है कि बीजेपी आलाकमान ने चिराग को साधने के लिए नित्यानंद राय को जिम्मेदारी सौंपी है। चिराग और नित्यानंद राय की मुलाकात पहले पटना फिर दिल्ली में हुई थी। दोनों नेताओं के बीच ये मुलाकात एक हफ्ते के अंदर ही हुई है। तभी से ये कयास लगाए जा रहे हैं कि चिराग जल्द ही एनडीए गठबंधन का हिस्सा बन सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, चिराग बैठक में शामिल होंगे उसके बाद मीडिया से मुखातिब वक्त वो एलान कर सकते हैं कि वो बीजेपी के साथ गठबंधन कर रहे हैं।
बीजेपी के लिए कितने जरूरी चिराग?
साल 2024 के चुनाव को देखते हुए बीजेपी कोई भी चूक नहीं करना चाहती है। खासतौर से बिहार में, क्योंकि प्रदेश में मौजूदा समय में राजद, कांग्रेस और जेडीयू की गठबंधन सरकार है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, तीनों पार्टियों का गठजोड़ बीजेपी के लिए लोकसभा चुनाव में बड़ी मुसीबत बनने वाला है। जिसका मुख्य कारण तीनों क्षेत्रीय दलों का कोर वोट बैंक है। इन पार्टियां का कोर वोट बैंक बीजेपी से कहीं ज्यादा है। बीजेपी प्रदेश की उच्च जातियों में ही पैठ बना पाई है जबकि लालू की राजद यादव, मुसलमान समुदायों में हमेशा से साधने में कामयाब रही है। जबकि जेडीयू कुशवाहा, कोइरी समाज, महिला वर्ग में काफी लोकप्रिय है जिसकी वजह से बीजेपी को बिहार के 40 लोकसभा सीटों में से 30 सीटों पर जीत दर्ज करना भारी पड़ सकता है। इसी का ख्याल रखते हुए बीजेपी चिराग पासवान को अपने पाले में लाने की कवायद कर रही है ताकि प्रदेश के पासवान जाति को एनडीए गठबंधन से जोड़ा जा सके।
महाराष्ट्र से पहले बिहार में 'चाचा-भतीजा'
महाराष्ट्र से पहले बिहार की राजनीति में चाचा-भतीजे की लड़ाई देखने को मिल चुकी है। लोक जन शक्ति पार्टी यानी लोजपा रामविलास पासवान के मौत के बाद दो भागों में बंट गई थी। चिराग पासवान से बगावत कर चाचा पशुपति पारस ने 6 सांसदों में से 5 सांसदों को अपने साथ लेकर पार्टी पर धावा बोल दिया था। जिसकी वजह से बिहार की सियासत में भूचाल भी देखने को मिला था। कई दिनों के सियासी ड्रामे के बाद चिराग पासवान ने अपनी नई पार्टी बनाने का एलान किया जिसका नाम लोजपा (आर) रखा। पशुपति पारस की लोजपा फिलहाल एनडीए गठबंधन का हिस्सा है, जो खुद मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री हैं।
चाचा-भतीजे की लड़ाई में पिसेगी बीजेपी?
चाचा भजीते की लड़ाई आज भी जारी है। हाल ही में चिराग पासवान ने ये एलान किया था कि वो बिहार के हाजीपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। जिस पर चाचा पशुपति ने कहा था कि ये सीट बड़े भाई रामविलास पासवान ने मुझे दी थी इसलिए इस सीट को मैं नहीं छोड़ने वाला हूं। पशुपति पारस ने यह भी साफ कर चुके हैं कि चाचा-भतीजे राजनैतिक तौर पर कभी एक साथ नहीं आएंगे। अब बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती यह बनने जा रही है कि अगर चिराग एनडीए के साथ जाते हैं तो भगवा पार्टी के लिए चाचा-भतीजे को साध कर आगे बढ़ना काफी जोखिम भरा रहने वाला हो सकता है।
Created On :   15 July 2023 1:25 PM IST