कौन हैं जेपी नारायण?: इंदिरा गांधी के विरोध से लेकर समाजवाद आंदोलन करने वाले जेपी नारायण कौन हैं? जिनके माल्यार्पण की जिद पर अड़े अखिलेश यादव
- लखनऊ में जेपी जयंती पर हुई सियासत
- अखिलेश यादव को माल्यार्पण करने से यूपी पुलिस ने रोका
- लगी भीड़ जमकर मचा बवाल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोकनायक जय प्रकाश नारायण की जयंती पर आज उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में खूब सियासत देखने को मिली। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को जय प्रकाश नारायण अंतर्राष्टीय केंद्र (JPNIC) जाकर श्रद्धांजलि अर्पित करने से रोका गया तो वह बीच सड़क पर ही प्रतिमा लाए और सपा कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर माल्यार्पण कर दिया।
दरअसल, अखिलेश यादव जेपीएनआईसी जाकर करने के लिए अड़े हुए थे। उन्होंने घोषणा की थी कि वह शुक्रवार सुबह 10 बजे प्रतिमा माल्यार्पण करेंगे। जिसके बाद अखिलेश यादव को रोकने के लिए यूपी सरकार ने कई हथकंडे अपनाए। उनके घर के बाहर बैरिकेडिंग लगाई गई। साथ ही, कल रात जेपी सेंटर के बाहर टीन की दीवार भी बनवाई गई। राज्य में इस मुद्दों को लेकर बीजेपी और सपा कार्यकर्ता आमने-सामने आ गए हैं। ऐसे में सभी लोगों के मन में यह सवाल पैदा हो रहा है कि आखिर जय प्रकाश नारायण कौन हैं? जिनकी जयंती पर लखनऊ में सियासी घमासान मचा हुआ है।
जेपी के बारे में
जेपी नारायण का पूरा नाम जय प्रकाश नारायण था। जिनका जन्म 11 अक्टूबर 1902 में बिहार के सिताबदियारा हुआ था। जेपी स्वतंत्रता सेनानी के अलावा भारतीय राजनेता के रूप में जाने जाते हैं। देश की आजादी के दौरान हुए आंदोलन में भी उनकी अहम भूमिका रही।
आपातकाल में चमके जेपी
हालांकि, भारतीय राजनीति में जेपी को पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की इमरजेंसी के दौरान किए गए अंदोलन के लिए जाना जाता है। अपातकाल के दौरान उन्होंने इंदिरा गांधी के खिलाफ जमकर विरोध किया था। जिसके चलते इंदिरा गांधी ने जेपी को गिरफ्तार करवा दिया था। जेपी जेल में बंद हुए तो देश की जनता के बीच उनकी पॉपुलैरिटी और ज्यादा बढ़ी। जेपी ने इंदिरा के खिलाफ विपक्ष को एकजुट किया था। साथ ही, उन्होंने आपातकाल के खिलाफ विपक्ष का नेतृत्व भी किया था। यह जेपी के आंदोलन का ही असर था कि इंदिरा गांधी को साल 1997 में आपातकाल हटाना पड़ा था। तब तक जेपी ने इधर देश में पूरे विपक्ष को एक सूत्र में बांधने का काम किया। जिसके चलते इंदिरा गांधी को आम चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा था।
नेहरू और गांधी के साथ भी थे जेपी के अच्छे रिश्ते
बता दें कि, आजादी के दौरान जेपी नेहरू और गांधी के अलावा कई अन्य महान क्रांतिकारियों के संपर्क में रहे। इस दौरान उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा था। आजादी के बाद वह मुख्य तौर पर समाज कल्याण और समाज सुधार के अभियान में लगे रहे। समाजवाद का नारा देने वाले जेपी देश की राजनीति को नई दिशा में लेकर गए। इस समाजवाद का असर खास तौर पर यूपी, बिहार के अलावा उत्तर भारत के हिंदी भाषी बेल्ट में देखने को मिला। जेपी के पद चिन्हों पर चलने वाले मुलायम सिंह यादव और लालू प्रसाद की राजनीति में भी समाजवाद की राजनीति का असर देखने को मिलता है।
जेपी आंदोलन के निकले कई दिग्गज नेता
जेपी के आंदोलन से ही लालू यादव, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान, शरद यादव और मुलायम सिंह यादव जैसे दिग्गज नेता निकले और भारतीय राजनीति में छा गए। आज भी जेपी के नाम पर खूब सियासत होती है। जहां नेता उनके पद चिन्हों पर चलने की बात करते हैं। वहीं, जनता भी नेताओं में उनकी छाप देखना चाहते हैं।
Created On :   11 Oct 2024 4:01 PM IST