वसुंधरा और पायलट के बीच उलझे अशोक गहलोत कैसे कर रहे हैं जीत का दावा? क्या इस बात से है जीत का पूरा यकीन!
डिजिटल डेस्क, जयपुर। कर्नाटक के चुनावी नतीजों के बाद अब देश के तीन बड़े राज्यों में राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। जिसको लेकर कांग्रेस और भाजपा दोनों मन ही मन तैयारियां शुरू कर दी हैं। कांग्रेस की कर्नाटक में बंपर जीत के बाद खुशी का ठिकाना नहीं है लेकिन आने वाले तीन राज्यों के चुनावों में कांग्रेस के साथ भाजपा की भी अग्नि परीक्षा होने वाली है क्योंकि बीजेपी का दबदबा अब धीरे-धीरे खत्म होती हुई दिखाई दे रही है। वहीं कांग्रेस के लिए भी ये साल बड़ा चुनौती भरा रहने वाला है क्योंकि इन तीन राज्यों में से दो में कांग्रेस की ही सत्ता है। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की सत्ता पर विराजमान है।
बता दें कि, कांग्रेस के लिए ये दोनों राज्य ही अहम हैं क्योंकि आगामी चुनाव में पार्टी के हाथ से ये निकल जाते हैं तो उसके पास महज दो राज्य हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक ही बचेंगे। इन सबसे इतर कांग्रेस राजस्थान में आंतरिक कलह से जूझ रही है। जिसे देखकर नहीं लगता कि आने वाले दिनों में बीजेपी से मुकाबला कर पाएगी। दरअसल, भाजपा अभी से राजस्थान में सियासी बिसात बिछाना शुरू कर चुकी है। बीते बुधवार को पीएम मोदी राजस्थान के दौरे पर गए हुए थे। जहां पर उन्होंने जोरदार भाषण देकर चुनावी बिगुल फूंक दिया था। हालांकि, इन सबसे अलग राजस्थान बीजेपी खेमे से एक नाम की चर्चा काफी है। भाजपा की वरिष्ठ नेता और प्रदेश की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की चुनाव में क्या भूमिका होगी, इसे लेकर सियासी गलियारों में चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
वसुधंरा राजे की क्या होगी भूमिका?
दो बार की सीएम रहीं वसुधंरा राजे का कद राजस्थान में अन्य बीजेपी नेताओं से काफी बड़ा माना जाता है। कहा जाता है कि, राजे वोटर्स को खींचने के लिए जानी जाती हैं। इसके बावजूद राजस्थान में बीजेपी ने वसुंधरा राजे को किसी तरह का कोई पद नहीं दिया है जो बड़ी हैरानी की बात है। हाल ही में वसुधंरा राजे अजमेर दौरे पर गई हुईं थीं जिनके समर्थन में ना जाने कितने लोग आ खड़े हुए थे। पार्टी को पता है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे की अनदेखी नहीं की जा सकती क्योंकि वो जनाधार वाली नेता मानी जाती हैं। वहीं इन सबसे अलग हाईकमान को पूरा पता है कि राजस्थान बीजेपी में क्या चल रहा है।
बता दें कि, राजस्थान बीजेपी में कांग्रेस की तरह ही आंतरिक कलह है। भले ही बीजेपी के तमाम बड़े नेता ये दावा कर रहे हो कि प्रदेश में सब चंगा है लेकिन ये बात गले से नहीं उतरती है क्योंकि साल 2018 के हार के बाद राजस्थान बीजेपी में वसुंधरा गुट और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के बीच जोरदार जुबानी जंग हुई थी। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो, शेखावत ने हार का पूरा ठिकारा राजे पर फोड़ दिया था। जिसकी वजह से केंद्रीय मंत्री और राजे समर्थक विधायकों में खूब तकरार हुई थी जहां बीच बचाव के लिए हाईकमान को आना पड़ा था। इस जंग के बीच अब सवाल उठाता है कि आने वाले चुनाव में वसुंधरा का क्या रोल रहने वाला है? क्या पार्टी वसुधंरा के चेहरे को रखकर चुनावी मैदान में उतरेगी या पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी आगे बढ़ेगी। ये देखना काफी दिलचस्प होगा।
बीजेपी के लिए कितनी जरूरी वसुंधरा?
- जनाधार वाली नेता
- लोगों में अच्छी पकड़
- महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई लड़ने में सबसे आगे
- राजे की सादगी
- सियासत का लंबा अनुभव
गहलोत-पायलट की जोड़ी क्या कराएगी?
सीएम अशोक गहलोत राजस्थान में अपने जीत को लेकर आश्वस्त हैं लेकिन उनकी ये बात किसी के गले नहीं उतर रही है। जिसका कारण पायलट-गहलोत में मचा घमासान है। करीब 3 साल से सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच जंग छिड़ी हुई है। गहलोत जहां पायलट को नकारा और निकम्मा जैसे शब्दों से संबोधित कर चुके हैं। वहीं पायलट आए दिन अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते रहते हैं और मौजूदा सरकार पर भ्रष्टाचार पर लगाम न लगाने का आरोप लगाते रहे हैं। इस बीच गहलोत का कहना कि वो एक बार फिर सत्ता पर काबिज होंगे, ये बात दूर की कौड़ी होती हुई दिखाई दे रही है।
दरअसल, राजस्थान में किसी भी पार्टी को पांच साल से ज्यादा लगातार सत्ता में रहने का मौका नहीं मिलता है। लेकिन इस बार गहलोत पूरे आत्मविश्वास से लबरेज लग रहे हैं कि वो भाजपा को मात देकर चुनाव में कांग्रेस को जीत दिलाएंगे। आपको बता दें कि, गहलोत को ये विश्वास अपने कल्याणकारी योजनाओं के बलबूते आया है। उनका मानना है कि प्रदेश में अब तक जितनी भी सरकारें आई जिनमें कांग्रेस और बीजेपी दोनों की रही हैं। इतना विकास किसी के राज में नहीं हुआ है। गहलोत सरकार की साढ़े चार साल के कार्यकाल में कुछ महत्वपूर्ण योजनाओं लाई गई हैं। जो इस प्रकार है-
- चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना
- राज्य कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम
- गरीबों को पाँच सौ रुपये में गैस सिलेंडर
- एक हजार प्रति माह की वृद्धावस्था पेंशन
- घरेलू उपभोक्ताओं को एक सौ यूनिट बिजली फ्री
सचिन पायलट का क्या होगा?
गहलोत सरकार के कार्यकाल में ऐसे दर्जनों योजनाओं लाई गई हैं जिसका फायदा प्रदेशा की जनता को मिला है। लेकिन सबसे बड़ा पेंच गहलोत-पायलट के बीच में फंसा है। अगर अशोक गहलोत को सरकार में एक बार फिर से आना है तो सबसे पहले उन्हें तो कांग्रेस में आंतरिक कलह से निपटना पड़ेगा। अपने और सचिन पायलट के बीच चल रहे मनमुटाव को शांत करना होगा तभी वो आने वाले चुनाव में भाजपा को कड़ी टक्कर दे सकते हैं नहीं तो इसका खामियाजा गहलोत को सरकार गवां कर देनी पड़ सकती है।
गहलोत और सचिन पायलट को लेकर राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि, आने वाले एक से दो महीनों में राजस्थान की सियासत में बड़ा भूचाल आ सकता है क्योंकि सचिन पायलट अब शांत रहने वाले नहीं हैं। सचिन अगर इस बार खामोश रह जाते हैं तो उनके राजनीतिक करियर पर ब्रेक लग सकता है। हालांकि, सियासत के जानकार ये भी कहते हैं कि पायलट दुसरा कुनबे की तलाश पर मन ही मन विचार कर रहे हैं। क्योंकि उन्हें कभी भी बीजेपी को लेकर आक्रामक नहीं देखा गया है जबकि अपनी सरकार के खिलाफ हमेशा एक्टिव रहते हैं। हो सकता है कि सचिन पायलट कुछ और दिन कांग्रेस में रहें। अगर कांग्रेस उन्हें मन पसंद का पद दे देती है तो शायद कांग्रेस में बने रहे लेकिन अशोक गहलोत के रहते हुए इसकी उम्मीद कम ही की जा सकती है।
Created On :   15 May 2023 11:12 AM GMT