जल जीवन मिशन योजना में देश में अव्वल बुरहानपुर में दो विधानसभा सीट, दो समुदायों के इर्द गिर्द घूमती है राजनीति
- जल जीवन मिशन योजना में देश में सबसे अव्वल
- बुरहानपुर में दो विधानसभा सीट
- बढ़ती बेरोजगारी और पलायन सबसे बड़ी समस्या
- शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बुरहानपुर जिले में दो विधानसभा सीट है, जिसमें से बुरहानपुर सीट सामान्य व नेपानगर सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। आपको बता दें मध्यप्रदेश में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का भारत जोड़ो यात्रा बुरहानपुर से ही प्रवेश की थी। यह क्षेत्र केले की बंपर पैदावार के लिए जाना जाता है। यहां किसी एक पार्टी का दबदबा नहीं रहा। यहां की राजनीति ताप्ती नदी के इर्द गिर्द घूमती है। महाराष्ट्र की सीमा से सटे बुरहानपुर में बढ़ती बेरोजगारी और स्वास्थ्य महकमा बदहाल अवस्था में है। जो बुरहानपुर की जनता का प्रमुख मुद्दा है। रोजगार के चलते यहां से लोग पलायन कर जाते है। केंद्र की जल जीवन मिशन योजना का काम देश में सबसे पहले बुरहानपुर में हुआ। यहां के चुनावी मुद्दों में सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार होता है।
बुरहानपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र
बुरहानपुर विधानसभा सीट अल्पसंख्यक बाहुल्य है। शहर के करीब 60 फीसदी मतदाता मुस्लिम है। इनकी संख्या करीब 1.10 लाख अल्पसंख्यक मतदाता हैं। क्षेत्र में मराठा , गुर्जर, माली, गुजराती समाज का भी प्रभाव है।
1985 कांग्रेस फ़िरोज़ अहसान अली
1990 स्वतंत्र शिव कुमार सिंह
1993 स्वतंत्र महंत स्वामी उमेश मुनि गुरु स्वामी संत राम
1998 स्वतंत्र शिव कुमार सिंह स्वतंत्र
2003 कांग्रेस हामिद काजी
2008 बीजेपी से अर्चना चिटनीस
2013 बीजेपी से अर्चना चिटनीस
2018 स्वतंत्र ठाकुर सुरेंद्र सिंह
नेपानगर विधानसभा सीट
नेपानगर में नेपा लिमिटेड देश में प्रथम अखबारी कागज का कारखाना है। नेपा मिल एशिया की पहली पेपर मिल है जिसका उद्घाटन 26 अप्रैल 1956 को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किया था। नेपानगर विधानसभा की सीट साल 1977 में अस्तित्व में आई थी। सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। नेपानगर विस क्षेत्र में कोरकू और बारेला राठिया समाज के है। जो चुनाव में अहम भूमिका निभाते है। सीट पर अब तक दो उपचुनाव के साथ 12 बार चुनाव हो चुका है, जिसमें से 6 बार बीजेपी, और 5 बार कांग्रेस और एक बार जेएनपी ने चुनाव जीता है। नेपानगर विधानसभा सीट से एक मिथक जुड़ा हुआ है कि यहां से जिस दल का विधायक चुनाव जीतता है, प्रदेश में सरकार भी उसी दल की बनती है। ये मिथक 43 साल से बना हुआ है।
2020 उपचुनाव में बीजेपी से सुमित्रा देवी
2018 में कांग्रेस के सुमित्रा देवी
2016 में उपचुनाव में बीजेपी की मंजू दादू
2013 में बीजेपी से राजेंद्र श्यामलाल
2008 में बीजेपी से राजेंद्र श्यामलाल
2003 में बीजेपी से अर्चना चिटनीस
1998 में कांग्रेस से लिखीराम कावर
1993 में कांग्रेस से लिखीराम कावर
1990 में कांग्रेस के लिखीराम कावर
1985 में कांग्रेस से तनवान सिंह
1980 में बीजेपी से भुवनलाल गिरिमाजी
1977 में जेएनपी से बृजमोहन मिश्रा
Created On :   3 Aug 2023 4:31 PM IST