लोकसभा चुनाव 2024: इंडिया गठबंधन में फिर पड़ी फूट! पप्पू यादव, कन्हैया कुमार के बाद उम्मीदवार उतारने पर राजद-कांग्रेस में बढ़ी दूरी

इंडिया गठबंधन में फिर पड़ी फूट! पप्पू यादव, कन्हैया कुमार के बाद उम्मीदवार उतारने पर राजद-कांग्रेस में बढ़ी दूरी
  • देश में जल्द होने वाले है लोकसभा चुनाव
  • बिहार में इंडिया गठबंधन में पड़ी दरार
  • राजद और कांग्रेस में रार

डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार में लोकसभा चुनाव के आगाज से पहले इंडिया एलायंस में प्रमुख पार्टी कांग्रेस और सूबे की राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) में सीटों को लेकर तनातनी चल रही है। यही कारण है कि अब तक सीट शेयरिंग पर मुहर नहीं लग सकी है। दरअसल, गठबंधन में कांग्रेस नेताओं ने राजद के दिग्गज नेता लालू यादव के फैसले पर नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि राजद नेता ने अन्य सहयोगी दलों से बातचीत किए बिना ही अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। बता दें, बिहार में पहले चरण के लोकसभा चुनाव के लिए गुरुवार को राजद ने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की थी। पार्टी ने चार लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों के नाम का ऐलान किया था। इनमें राज्य की औरंगाबाद सीट पर अभय कुशवाहा, गया (एससी) सीट पर सर्वजीत कुमार, जमुई सीट पर अर्चना रविदास और नवादा सीट पर श्रवण कुशवाहा को कैंडिडेट बनाया गया है।

प्रत्याशी पर विवाद

गठबंधन की अगुवाई वाली पार्टी कांग्रेस से कई नेताओं ने राजद के उम्मीदवारों की पहली लिस्ट आने के बाद स्पष्ट रूप से असहमति जताई है। वहीं, इस मसले पर गठबंधन से भावी प्रत्याशी और 82 वर्षीय पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार ने राजद के औरंगाबाद सीट पर प्रत्याशी उतारने पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा है की इस सीट पर प्रताशी के जीतने की संभवानाएं कम हैं। इसके अलावा उन्होंने राजद के प्रत्याशी को बाहरी भी बताया है। दरअसल, औरंगाबाद सीट पर कांग्रेस से निखिल कुमार और राजद से दोबारा उपेंद्र प्रसाद को टिकट देने की अटकलें लगाई जा रही थी। बता दें, साल 2019 के बिहार लोकसभा चुनाव में उप्रेंद्र प्रसाद दूसरे पायदान पर थे। उस वक्त वह हम पार्टी के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे थे।

लालू और पप्पू में रार

इस मुद्दे के अलावा गठबंधन में कांग्रेस और राजद के बीच जन अधिकार पार्टी के नेता पप्पू यादव पर भी चर्चा चल रही है। कुछ दिनों पहले ही पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव कांग्रेस में शामिल हुए थे। आगामी चुनाव से ठीक पहले पप्पू यादव ने अपनी पार्टी को कांग्रेस के साथ जोड़ लिया था। ऐसा होने पर राजद कांग्रेस से नाखुश हो गई है। बता दें, पप्पू यादव और लालू यादव के रिश्तों में कई बार उतार चढ़ाव देखने को मिले है। इस बीच राजद सूत्रों की मानें तो पप्पू यादव को लालू यादव की पार्टी पूर्णिया या मधेपुरा लोकसभा सीट किसी भी सूरत में देने के विचार में नहीं है। साल 2004 उप चुनाव और 2014 के आम चुनाव में मधेपुरा सीट पर पप्पू यादव ने बतौर सांसद जीत दर्ज की थी। इसके अलावा साल 1991 निर्दीलय, 1996 सपा और 1999 के निर्दीलय चुनाव में तीन बार पूर्णिय सीट पर विजय हुए हैं। वहीं, साल 2004 और 2009 में भाजपा से उदय सिंह ने जीत हासिल की थी। हालांकि, साल 2019 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था। हाल ही में खबरें थी कि लोकसभा चुनाव के लिए पप्पू यादव की राजद में एक बार फिर से वापसी हो सकती है। मगर, लालू यादव के मना करने के बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया। साल 2015 में पप्पू यादव को राजद का उत्तराधिकारी का मुद्दा उठाने पर उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया था।

राजद की कन्हैया को ना

पप्पू यादव के नाम को लेकर चीढ़ी बैठी राजद ने कांग्रेस के युवा नेता को पहले ही शामिल करने के लिए हाथ खड़े कर चुकी है। राज्य की बेगूसराय सीट को राजद ने सीपीआई के लिए आवंटित की है। ऐसे में राजद के इस फैसले ने भी उसकी दूरी कांग्रेस से बढ़ा दी है। जानकारी के मुताबिक, बेगूसराय सीट को पाने के लिए सीपीआई महासचिव डी राजा ने लालू और तेजस्वी यादव के साथ मीटिंग की थी। इसे देखते हुए राजद ने यह सीट सीपीआई को दी थी। बता दें, बेगूसराय सीट पर सीपीआई ने अवधेश राय को टिकट दिया है।

Created On :   23 March 2024 11:22 AM GMT

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