असम में परिसीमन पर मचा है सियासी बवाल, जानिए अचानक क्यों उठा परिसीमन का मुद्दा?

असम में परिसीमन पर मचा है सियासी बवाल, जानिए अचानक क्यों उठा परिसीमन का मुद्दा?
  • कांग्रेस का असम में हिमंत बिस्वा सरमा के साथ एक गुप्त गठजोड़ है।

डिजिटल डेस्क,शिलांग। बीते सप्ताह चुनाव आयोग ने असम के परिसीमन के प्रस्ताव का मसौदा जारी किया था जिसमें राज्य की विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों में आने वाली सीमाओं में बदलाव का प्रस्ताव रखा गया। परिसीमन प्रस्ताव के जारी होने के बाद अब राज्य में इस मामले को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। बीजेपी इस प्रस्ताव को राज्य के हितों की रक्षा के लिए लाया गया प्रस्ताव बता रही है तो वहीं विपक्ष इस पर सवाल उठा रहा है। ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) सहित अन्य विपक्षी दल जो खासकर राज्य के बंगाली मूल के मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करते है वह परिसीमन प्रस्ताव से नाखुश हैं। इंडिया जेमोक्रेटिक फ्रंट का कहना है कि परिसीमन प्रस्ताव मतदाताओं को धार्मिक आधार पर विभाजित करता है। विपक्ष यह भी आरोप लगा रहा कि इस प्रस्ताव से कुछ मौजूदा सांसदो और विधायकों के चुनावी भविष्य को खतरे में डाल दिया गया।

चुनाव आयोग ने क्या कहा?

मंगलवार को प्रकाशित मसौदा प्रस्ताव में ईसीआई ने कहा, संविधान के अनुच्छेद 170 और अनुच्छेद 82 के तहत प्रदान की गई 2001 की जनगणना के आधार पर राज्य के सभी विधानसभा और संसदीय क्षेत्रों का परिसीमन किया जाना है। जनगणना आयुक्त कार्यालय से पब्लिश हुए 2001 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर इस मुद्दे पर विचार किया जा रहा है।

मसौदा में क्या है?

चुनाव आयोग ने परिसीमन प्रस्ताव में असम विधानसभा और संसदीय क्षेत्रों में सीटों की संख्या क्रमश: 126 और 14 पर बरकरार रखी गई है। मसौदा प्रस्ताव में विधानसभा की 19 सीटें अनुसूचित जनजातियों (एसटी) को आवंटित की गई हैं, तीन सीटों की वृद्धि हुई है, जबकि 14 संसदीय सीटों में से दो सीटें एसटी को आवंटित की गई हैं। इसी तरह, विधानसभा में नौ सीटें अनुसूचित जाति (एससी) को आवंटित की गई हैं, एक सीट की वृद्धि, जबकि लोकसभा में एक सीट अनुसूचित जाति को आवंटित की गई है।

परिसीमन क्या होता है?

लोकसभा और विधानसभा सीटों की सीमाओं में फिर से बदलाव या फिर से निर्धारण करना परिसीमन कहलाता है। परिसीमन जनसंख्या में परिवर्तन का प्रतिनिधित्व करने के लिए लोकसभा और राज्य विधानसभा सीटों की सीमाओं को फिर से तैयार करने की प्रक्रिया है।इसका मुख्य उद्देश्य जनसंख्या के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों का सही विभाजन करना होता है। ताकि सभी नागरिकों को प्रतिनिधित्व करने का समान अधिकार मिल सके।

असम परिसीमन प्रक्रिया

असम में परिसीमन की प्रक्रिया में चुनाव आयोग ने 11 राजनीतिक दलों और 71 संगठनों से उनके विचारों और सुझावों को मांगा है। राज्य के परिसीमन में कुछ पार्टियों ने सहमति जताई तो वहीं कुछ पार्टियां इसके खिलाफ भी थी। अभी भी विपक्ष परिसीमन प्रस्ताव का विरोध कर रहा है। हालांकि चुनाव आयोग ने कहा है कि मसौदा प्रस्ताव में आपत्तियां और सुझाव 11 जुलाई तक लिए जाएंगे। उसके बाद आयोग राज्य में सार्वजनिक सुनवाई आयोजित करेगा।

विपक्ष उठा रहा सवाल

परिसीमन प्रस्ताव को कई राजनीतिक दलों ने पक्षपातपूर्ण बताया है। विपक्ष सत्ताधारी पार्टी बीजेपी पर भी सवाल उठा रहा है। एआईयूडीएफ प्रमुख बदरूद्दीन अजमल ने बीजेपी पर सवाल उठाते हुए कहा कि हमने देखा कि कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बीच काफी लंबी बैठक हुई थी। उन्होंने प्रस्ताव भेजा और ईसीआई ने उसी के अनुसार मसौदा तैयार किया। उन्होंने यह भी दावा किया कि भाजपा नेताओं ने पहले परिसीमन के मसौदे को मंजूरी दी, जिसके बाद ईसीआई ने इसे प्रकाशित किया।

एआईयूडीएफ प्रमुख ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस का असम में हिमंत बिस्वा सरमा के साथ एक गुप्त गठजोड़ है। उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री ने कांग्रेस को मसौदा दिखाया, जो इस पर सहमत हो गई। कांग्रेस अक्सर हमें भाजपा की बी टीम कहती है, लेकिन वास्तव में कांग्रेस राज्य में भाजपा की ए प्लस टीम है।

Created On :   28 Jun 2023 7:40 PM IST

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