बात बराबरी की: महिला आरक्षण लागू होने से बदलेगी सदन की तस्वीर
- तीन दशक से अटका महिला आरक्षण बिल
- लोकतंत्र के नए मंदिर में हो सकता है पास
- एक तीर से दो निशान
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय लोकतंत्र के मंदिर नए संसद भवन में प्रवेश करते ही केंद्र की मोदी सरकार तीन दशक से पेंडिंग पड़े महिला आरक्षण बिल को संसद में पेश कर सकती है। मोदी कैबिनेट से महिला आरक्षण बिल को मंजूरी मिल चुकी है। साथ ही कई विपक्षी पार्टियां इसके समर्थन में है। जिनमें बीजद, बीआरएस और कांग्रेस भी शामिल है। हालांकि बिल के जरिए बीजेपी की केंद्र सरकार एक साथ कई फायदे भुनाने के मूड़ में है। देश की बराबर आधी आबादी नारी को अगर महिला आरक्षण के जरिए प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलता है, तो न केवल देश और समाज में बल्कि सदन के भीतर भी नारी प्रतिनिधित्व करने में पीछे नहीं हटेगी। इसके साथ ही आप अंदाज लगा सकते है कि महिला आरक्षण के लागू होते ही सदन की तस्वीर क्या होगी?
आपको बता दें मौजूद वक्त में लोकसभा की 543 सीटें है, 33 फीसदी आरक्षण मिलने के बाद 180 सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व हो जाएगी। इसका साफ मतलब है कि 180 महिलाएं सदन में जनता का प्रतिनिधित्व करेगी। इससे पहले के लोकसभा चुनावों पर नजर डाले तो इससे पहले इतनी महिलाएं कभी भी सदन के अंदर सांसद के रूप में नहीं पहुंची। ना ही किसी भी राजनैतिक दल ने महिलाओं को इतनी संख्या में निर्वाचित होने का मौका दिया है। चाहे फिर बात देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की हो या फिर देश की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी की हो।
17 वीं लोकसभा यानि 2019 के लोकसभा चुनाव में 78 महिलाएं सांसद निर्वाचित हुई थी, जो कुल सीटों का 14 फीसदी रहा, हालांकि आजादी से अब तक यह आकंड़ा सबसे अधिक है, फिर भी उतना नहीं था जितना होना चाहिए था। बात 16 वीं लोकसभा यानि 2014 के आम चुनाव में 64 महिलाएं सांसद बनी थी। जबकि 15 वीं लोकसभा यानि 2009 के लोकसभा चुनाव में 52 महिलाएं सांसद चुनी गई थी। प्रतिनिधित्व के मामले में ये आंकड़ा जनसंख्या के लिहाज से बहुत ही कम नजर आता है। 9वीं लोकसभा में महिला सांसदों की सबसे कम संख्या 28 थी।
महिला आरक्षण से महिलाओं को मिलने वाले मौके से किस राजनैतिक दल को कितना फायदा होगा , वैसे तो इसका जवाब भविष्य के गर्त में छिपा हुआ है। लेकिन कुछ चुनावी नतीजों पर प्रकाश डालें तो पता चलता है कि निर्वाचित सांसदों में बीजेपी की सांसद अधिक है। 2019 के लोकसभा चुनाव में कुल 724 महिला प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था। जिसमें से कांग्रेस से 54 , बीजेपी से 53 महिलाएं चुनावी मैदान में थी। राज्यों में उत्तरप्रदेश और पश्चिम बंगाल से सबसे अधिक 11 -11 महिलाएं निर्वाचित होकर संसद पहुंची थी। अकेले उत्तरप्रदेश से बीजेपी की 8 महिलाए है। कांग्रेस, बसपा और अपना दल (सोनेलाल) से एक-एक सांसद हैं।
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने 40% उम्मीदवारों की सूची में महिलाओं को प्रतिनिधित्व दिया, जिनमें से नौ महिलाओं को संसद के लिए चुना गया। बीजेपी के दो महिला उम्मीदवार भी यहां से निर्वाचित हुई थी।ओडिशा से सात महिलाएं चुनाव जीतकर संसद पहुंची, जो राज्य की 21 सीटों का 30 फीसदी है। बीजू जनता दल के टिकट पर पांच महिलाओं ने चुनाव जीता था। दो बीजेपी की महिलाएं चुनी गई थी।
Created On :   19 Sept 2023 7:32 AM GMT