लोकसभा चुनाव 2024: बीजेपी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते के लिए आसान नहीं होगी हैट्रिक की राह
- मंडला संसदीय क्षेत्र में शामिल 8 विधानसभा सीटों में से 5 कांग्रेस के पास
- मंडला केन्द्रीय मंत्री खुद भी विधानसभा चुनाव हारे
- बीजेपी की नजर मध्य प्रदेश की 29 सीटों पर
डिजिटल डेस्क, जबलपुर। महाकौशल के चार जिलों डिंडोरी, मंडला, सिवनी तथा नरसिंहपुर से भौगोलिक और राजनीतिक सरोकार रखने वाली मंडला संसदीय सीट पर एक बार फिर जीत का परचम फहराना, भाजपा और उसके प्रत्याशी केन्द्रीय राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते के लिए आसान नहीं होगा। पहली वजह, भाजपा के बड़े आदिवासी चेहरों में शुमार कुलस्ते तीन महीने पहले हुए विधानसभा चुनावों में अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र निवास से चुनाव हारे हैं। दूसरी वजह, अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित इस संसदीय सीट में शामिल 8 विधानसभा क्षेत्रों में से 5 डिंडोरी, निवास, बिछिया, केवलारी तथा लखनादौन में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। निवास तथा केवलारी सीट तो कांग्रेस ने उससे छीनी हैं। भाजपा के पास ससंदीय क्षेत्र की केवल 3 विधानसभा सीटें हैं, मंडला, शहपुरा तथा गोटेगांव। ये सीटें उसने कांग्रेस से छीनी हैं।
वोटों का गणित भी बिगड़ा हुआ
ससंदीय क्षेत्र में शामिल सभी 8 विधानसभा सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों को कुल 7,23,593 मत प्राप्त हुए थे। इसके बनिस्बत कांग्रेस प्रत्याशियों को प्राप्त कुल मतों का आंकड़ा 7,39,525 रहा। यानि कांग्रेस को तीन सीटों पर पिछडऩे के बावजूद भाजपा से करीब 16 हजार मत ज्यादा मिले। कुलस्ते ने 2019 का संसदीय चुनाव करीब 97 हजार मतों से जीता था। इन्हें 7 लाख 37 हजार 266 वोट मिले थे। केन्द्र में मंत्री भी रहे, लेकिन संसदीय क्षेत्र में पार्टी का जनाधार बढऩे के बजाय घट गया। पिछले साढ़े 4 साल में भाजपा ने मंडला संसदीय क्षेत्र में करीब 14 हजार वोट और 5 विधानसभा सीटें खोईं।
ये भी बड़ी चुनौती
भाजपा और उसके प्रत्याशी कुलस्ते के लिए बड़ी चुनौती उन एक लाख मतों के अंतर को पाटना होगा जो पिछले साढ़े चार साल में इस संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस की ताकत बन गए हैं। 2019 के संसदीय चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को मिले 6 लाख 39 हजार से अधिक मत विधानसभा चुनाव के परिणाम बाद 7 लाख 39 हजार में बदल गए हैं। पिछले संसदीय चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस की हार के बावजूद उसका वोट प्रतिशत 2014 के संसदीय चुनाव की तुलना में 3 प्रतिशत से अधिक बढ़ा था। इसके बनिस्बत भाजपा व उसके विजयी प्रत्याशी कुलस्ते का वोट प्रतिशत 2014 से 2019 के बीच महज आधा प्रतिशत बढ़ा था।
17 में से सबसे ज्यादा 6 जीत कुलस्ते के नाम
मंडला संसदीय सीट के लिए अब तक हुए 17 चुनावों में से सबसे ज्यादा 6 चुनाव भाजपा के लिए फग्गन सिंह कुलस्ते ने ही जीते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो इस आरक्षित सीट पर भाजपा ने कुलस्ते के अलावा किसी और पर भरोसा नहीं जताया। 2009 में कांग्रेस के बसोरीसिंह मसराम से चुनाव हारने के बावजूद 2014 में भाजपा ने पुन: कुलस्ते पर भरोसा जताया। वे इस भरोसे पर खरे उतरे और 2014 तथा 2019 का चुनाव भी वे जीते। 2009 से पहले 1996 से 2004 के बीच हुए चार संसदीय चुनाव भी लगातार कुलस्ते ने ही जीते। यह बात दीगर है कि इस ससंदीय सीट पर सबसे ज्यादा 10 बार जीत हासिल करने का रिकॉर्ड अब तक कांग्रेस के पास है। एक बार यानि 1977 में यह सीट जनता पार्टी के खाते में गई थी।
कांग्रेस के मरकाम के लिए राहुल के भरोसे पर खरा उतरने की चुनौती
मंडला से सटी डिंडोरी विधानसभा सीट से लगातार 4 बार से चुनाव जीत रहे कांग्रेस के ओमकार सिंह मरकाम के लिए ये दूसरा अवसर रहेगा जबकि वे संसदीय चुनाव लड़ेंगे। 2014 के संसदीय चुनाव में मरकाम अपने इस बार के प्रतिद्वंदी फग्गन सिंह कुलस्ते से करीब एक लाख दस हजार मतों से हारे थे। इस संसदीय सीट पर हार-जीत का ये सबसे बड़ा अंतर था। कांग्रेस के बड़े आदिवासी नेताओं में शुमार मरकाम का राहुल गांधी से सीधा जुड़ाव है। राहुल से जुड़ाव के कारण ही इन्हें कांग्रेस की सीईसी में जगह दी गई। यही नहीं, 2024 का संसदीय चुनाव जीतने भी उन पर ही भरोसा जताया गया। देखना यह है कि डिंडोरी सहित संसदीय क्षेत्र की 5 विधानसभा सीटें कांग्रेस के कब्जे में होने का मरकाम कितना फायदा उठा पाते हैं और राहुल गांधी की कसौटी और भरोसे पर कितना खरा उतरते हैं।
परिदृश्य : मंडला लोकसभा सीट (4 जिलों की 8 विधानसभा सीटें)
कुल मतदाता : 20,97,051 ( पुरूष : 10,48,096 - महिला : 10,48,930 - थर्ड जेंडर : 25 )
Created On :   23 March 2024 8:20 PM IST