जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024: अफजल गुरु को लेकर आमने-सामने आए राजनाथ सिंह और उमर अब्दुल्ला, रक्षा मंत्री ने नेशनल कॉन्फ्रेंस पर खड़े किए कई सारे सवाल
- जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की तैयारी जोरों-शोरों पर
- रक्षा मंत्री ने नेशनल कॉन्फ्रेंस पर खड़े किए कई सारे सवाल
- आमने-सामने आए राजनाथ सिंह और उमर अब्दुल्ला
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों-शोरों पर हैं। जिसे लेकर राज्य में सियासत भी खूब देखने को मिल रही है। इस बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस पर निशाना साधाते हुए कहा कि वे आतंकवादियों के साथ साहनुभूति रखते हैं। साथ ही, उन्होंने जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी और सांसद हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु पर दिए गए बयान को लेकर उमर अब्दुल्ला से सवालों के घेरे में खड़ा किया।
रामबन पहुंचे राजनाथ सिंह ने पूछा कि क्या अफजल गुरु को माला पहनाई जानी चाहिए थी? उन्होंने कहा, "नेशनल कॉन्फ्रेंस ने आतंकवादियों के प्रति सहानुभूति दिखाई है। मैंने हाल ही में उमर अब्दुल्ला को यह कहते हुए सुना कि अफजल गुरु को फांसी नहीं दी जानी चाहिए थी।"
पांच वर्षों में 40,000 नौकरियां पैदा हुई हैं- राजनाथ सिंह
चुनाव प्रचार के दौरान रक्षा मंत्री ने जम्मू-कश्मीर में बीजेपी की सरकार बनाने की अपील की थी। उन्होंने कहा, "नेशनल कॉन्फ्रेंस अनुच्छेद 370 को बहाल करने की बात कर रही है, लेकिन पिछले पांच वर्षों में 40,000 नौकरियां पैदा हुई हैं। जम्मू और कश्मीर में हमारी सरकार बनने के बाद हम विकास कार्य करेंगे, जिससे पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के लोग भारत का हिस्सा बनना चाहेंगे।"
राजनाथ सिंह ने पीओके में रहने वाले लोगों को साफ संदेश दिया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के लोगों को विदेशी मानता है। वहीं, भारत उन्हें अपना मानता है। उन्होंने कहा, "पाकिस्तान के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने कहा है कि पीओके विदेशी भूमि है। मैं पीओके के लोगों को बताना चाहता हूं कि भारत उन्हें अपना मानता है।"
उमर अब्दुल्ला के बयान से शुरू हुई सियासत
गौरतलब है कि 8 सितंबर को जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अफजल गुरु को लेकर बड़ा बयान दिया। जिसके बाद प्रदेश की सियासत में विवाद खड़ा हो गया। उन्होंने कहा था कि संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी देने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं हुआ। उन्होंने कहा, "जम्मू-कश्मीर सरकार का अफजल गुरु की फांसी से कोई लेना-देना नहीं था। अगर होता तो राज्य सरकार की अनुमति से ऐसा करना पड़ता और जम्मू-कश्मीर सरकार इसकी मंजूरी नहीं देती।"
Created On :   8 Sept 2024 4:50 PM IST