इजराइल-हमास युद्ध: जंग रोकने के लिए मतदान न करने के फैसले पर मोदी सरकार पर बिफरा विपक्ष, प्रियंका गांधी समेत इन नेताओं ने उठाए विदेश नीति पर सवाल
- यूएन में वोटिंग प्रक्रिया में भाग न लेने पर प्रियंका गांधी बिफरी
- इजराइल का गाजा पर हवाई हमला जारी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इजराइल गाजा पट्टी को तबाह करने में लगा हुआ है। इजराइल का कहना है कि जब तक गाजा से हमास के सभी आतंकियों का सफाया नहीं कर देते तब तक युद्ध विराम नहीं होगा। युद्ध विराम को लेकर आज यानी 28 अक्टूबर को यूएन में वोटिंग हुई थी कि इजराइल, गाजा में हवाई हमले बंद करे ताकि वहां की स्थिति बेहतर हो सके। लेकिन भारत ने वोटिंग प्रक्रिया में भाग नहीं लिया। जिसके बाद से ही देश में सियासत गरमा गई है। कांग्रेस से लेकर एनसीपी,और एआईएमआईएम सभी ने भारत सरकार द्वारा यूएन में लिए गए फैसले की आलोचना की है। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने मोदी सरकार के इस फैसले को शर्मिंदगी भरा बताया है। जिसके जवाब में बीजेपी के सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने गांधी परिवार पर निशाना साधते हुए जवाब दिया है।
वोटिंग प्रक्रिया में भाग न लेने पर प्रियंका गांधी ने उठाए सवाल
प्रियंका गांधी ने भारत द्वारा यूएन में वोटिंग प्रक्रिया में भाग न लेने को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जिक्र कर लिखा, "आंख के बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा बना देती है।" वो आगे लिखती हैं "मैं स्तब्ध और शर्मिंदा हूं कि हमारे देश ने गाजा में युद्धविराम के लिए मतदान करने से परहेज किया है। हमारे देश की स्थापना अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों पर हुई थी, जिन सिद्धांतों के लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने जीवन का बलिदान दिया, ये सिद्धांत संविधान का आधार हैं जो हमारी राष्ट्रीयता को परिभाषित करते हैं। वे भारत के नैतिक साहस का प्रतिनिधित्व करते हैं जिसने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सदस्य के रूप में इसके कार्यों का मार्गदर्शन किया।"
गाजा में बिजली, पानी की किल्लतों पर प्रियंका ने कहा, "जब मानवता के हर कानून को नष्ट कर दिया गया है, लाखों लोगों के लिए भोजन, पानी, चिकित्सा आपूर्ति, संचार और बिजली काट दी गई है और फिलिस्तीन में हजारों पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को नष्ट किया जा रहा है, तो स्टैंड लेने से इंकार करना और चुपचाप देखना गलत है। एक राष्ट्र के रूप में हमारा देश अपने पूरे जीवन काल में उन सभी चीजों के लिए खड़ा रहा है जिनके लिए हमारा देश खड़ा रहा है।
कांग्रेस को पसंद है कलंक- बीजेपी सांसद
प्रियंका द्वारा किए गए इस ट्वीट का जवाब बीजेपी की ओर से भी आया है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने प्रियंका समेत गांधी परिवार पर निशाना साधते हुए कहा कि, कांग्रेस को कलंक पसंद है लेकिन मुझे पसंद नहीं है। वोट खातिर कांग्रेस कुछ भी कर सकती है। गांधी परिवार आज तक अपने दादा के मजार पर नहीं गई होगी, अपनी जाति बताने में उन्हें शर्म आती है। हम तो गर्व से कहते हैं कि हरिजन हैं।
उन्होंने आगे कहा कि, भारत फिलिस्तीन के साथ खड़ा है लेकिन प्रियंका गांधी वोट के लिए आतंकवादी संगठन हमास का समर्थन कर रही हैं। वोट के लिए कांग्रेस हर हद तक गिरने को तैयार है। सिंह ने आगे कहा कि, भारत फिलिस्तीन के अस्तिव के लिए हमेशा से खड़ा था और रहेगा।
मौजूदा सरकार में भ्रम की स्थिति- शरद पवार
भारत सरकार द्वारा गाजा पट्टी को लेकर वोटिंग न करने पर एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने भी मोदी सरकार पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि, फिलिस्तीन को लेकर भारत सरकार के बीच भ्रम की स्थिति है। भारत की नीति फिलिस्तीन का समर्थन करने की थी, इजराइल की नहीं। गाजा में हजारों लोग मर रहे हैं लेकिन भारत ने कभी इसका समर्थन नहीं किया। मौजूदा सरकार में असमंजस की स्थिति है।
ओवैसी ने पीएम मोदी पर उठाए सवाल
प्रियंका, शरद पवार के अलावा गाजा में हो रहे इजराइल द्वारा हमले पर भारत का रूख साफ न करने को लेकर एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने एक्स पर लिखा, "इजराइल ने गाजा में 7028 लोगों की हत्या कर दी है। उनमें से 3000 से अधिक बच्चे और 1700 महिलाएं हैं। गाजा में कम से कम 45% आवास नष्ट हो गए हैं। 14 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं। शांतिकाल में भी, गाजावासियों को पूर्ण नाकाबंदी का सामना करना पड़ता है और उन्हें मानवीय सहायता पर निर्भर रहना पड़ता है। युद्ध शुरू होने के बाद से हालात और भी खराब हो गए हैं।"
मानवता का मुद्दा उठाते हुए ओवैसी ने कहा, यह एक मानवीय मुद्दा है, राजनीतिक नहीं। प्रस्ताव पर रोक लगाकर, भारत वैश्विक दक्षिण, दक्षिण एशिया और ब्रिक्स में अकेला खड़ा है। नागरिक जीवन से जुड़े मुद्दे पर भारत ने परहेज क्यों किया? गाजा को सहायता भेजने के बाद परहेज क्यों? "एक विश्व एक परिवार" का क्या हुआ? और "विश्वगुरु"?
ओवैसी ने अपने आगे के ट्वीट में पीएम मोदी का जिक्र करते हुए कहा, हमास के हमले की निंदा की लेकिन युद्धविराम की मांग करने वाले संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव पर सहमति नहीं बन सकी। उन्होंने कुछ दिन पहले जॉर्डन के राजा से बात की थी, लेकिन जॉर्डन द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव पर उन्होंने रोक लगा दी। यह एक असंगत विदेश नीति है।
Created On :   28 Oct 2023 3:28 PM IST