विधानसभा चुनाव 2023: 'इंडिया' ही बिगाड़ेगी कांग्रेस का खेल, सपा-कांग्रेस की किचकिच में बाजी मारेगी बीजेपी, इन 6 सीटों पर गठबंधन ही बनेगा दुश्मन!
- साप-कांग्रेस में खींचतान
- एमपी चुनाव के लिए सभी पार्टियों ने कसा कमर
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी आमने-सामने हैं। दोनों ही पार्टियां एक-दूसरे पर कटाक्ष कर रही हैं। सपा ने कांग्रेस की बात न मानते हुए अपने 33 उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतार दिए हैं। जिस पर कांग्रेस पार्टी बिफर गई है। कांग्रेस का कहना है कि, बिना किसी जनाधर के सपा बीजेपी से मुकाबल कैसे करेगी। अगर बीजेपी को चुनाव में कोई पटखनी दे सकता है तो वो कांग्रेस है न कि कोई दूसरा मोर्चा।
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस में कई दिनों से अंदर खाने में गहमा गहमी मची थी। लेकिन अब दोनों ही खुलकर एक - दूसरे पर निशाना साधने से नहीं चूक रहे हैं। कांग्रेस ने 230 विधानसभा वाले राज्य मध्य प्रदेश में 229 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। जबकि सपा ने 33 प्रत्याशियों के नामों का एलान कर दिया है। जिनमें से 5 यादव और 3 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है ताकि चुनाव में जीत हासिल किया जा सके। इन सबसे इतर 33 जिन जगहों पर सपा ने अपने प्रत्याशी उतारे हैं वहां कांग्रेस की स्थिति बेहतर बताई जा रही है। कहा जा रहा है कि अगर कांग्रेस की हार होती है तो इसकी जिम्मेदारा सपा ही होगी। तो आइए बताते हैं कि सपा की उम्मीदवार से कांग्रेस को किन-किन जगहों पर नुकसान उठना पड़ सकता है।
कटंगी
बालाघाट जिले की कटंगी सीट पर कांग्रेस को नुकसान उठना पड़ सकता है क्योंकि सपा ने इस सीट पर अपने प्रत्याशी खड़े किए हैं। मौजूदा समय में इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा है। 2018 में कांग्रेस के तामलाल सहारे ने बीजेपी के केडी देशमुख को करीब 11 हजार वोटों से हराया था। कटंगी सीट पर पवार वोटर्स का दबदबा है। वर्तमान विधायक इसी समुदाय से आते हैं।
जातीय समीकरण के हिसाब से देखा जाए तो कंटगी विधानसभा में 55,000 पवार, 27,000 आदिवासी, 26,000 महार, 19,000 मरार माली, 25,000 गोवारी , 10,000 धीमर-कहार, 10,000 कलार वोटर हैं।
इस सीट से सपा ने महेश सहारे को उम्मीदवार बनाया है। सहारे साल 2013 में कटंगी से विधायकी से चुनाव लड़ चुके हैं। पिछले चुनाव में उन्हें करीब 7 हजार वोट मिले थे। कहा जा रहा है कि अगर सपा प्रत्याशी के खाते में इस बार 10 हजार वोट आते हैं तो कांग्रेस की सीट फंस सकती है।
सिरमौर
रीवा जिले के सिरमौर सीट से समाजवादी पार्टी ने लक्ष्मण तिवारी को चुनावी मैदान में उतारा है। तिवारी पहले बीजेपी में थे और पास के मऊगंज सीट से जनप्रतिनिधी भी चुने जा चुके हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस को यहां करारी हार का सामना करना पड़ा था। बीजेपी ने एक बार फिर से इस सीट पर विधायक दिव्यराज सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है ताकि पार्टी को जीत दिला सके।
ये सीट ब्राह्मण बाहुल्य है। यहां ब्राह्मण समुदाय की आबादी करीब 35 फिसदी से ज्यादा है। इसके बाद ओबीसी 20, दलित 17 और आदिवासी समुदाय के वोटर्स 18 प्रतिशत हैं जो जीत हार में फासला तय करते हैं। कभी कांग्रेस का यह अभेद्य किला कहा जाता था। सिरमौर सीट इसलिए खास हो जाती है क्योंकि पिछले चुनाव में सपा को अकेले 11 हजार वोट मिले थे। इस बार ऐसी संभावनाएं जताई जा रही हैं कि बीजेपी को यहां सपा कड़ी टक्कर दे सकती है।
सीधी
सीधी एमपी की हाई प्रोफाइट सीटों में से एक है। यहां भी सपा ने अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। ये सीट बीजेपी का गढ़ माना जाता है। सीधी सीट पर बीजेपी ने अबकी बार सांसद ऋति पाठक को उम्मीदवार बनाया है। इस सीट से बीजेपी ने सीटिंग विधायक केदार शुक्ला का टिकट काट पाठक को प्रत्याशी बनाया है।
पिछले चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार कमलेश्वर द्विवेदी को बीजेपी के केदार शुक्ला ने 18 हजार वोटों से हराया था, लेकिन शुक्ला के बागी होने की वजह से कांग्रेस को यहां जीत की उम्मीद थी लेकिन सपा के प्रत्याशी के आने के बाद जीत खटाई में पड़ सकती है।
सीधी सीट पर ब्राह्मण मतदाता की संख्या अधिक हैं, लेकिन राजपूत (13%), गौड़ (13%) और कोल( 10%) जीत-हार में अहम भूमिका निभाते हैं। सपा ने सीधी से 2018 में 4700 वोट लाने वाले निर्दलीय राम प्रताप को उम्मीदवार बनाया है। सपा को पिछली बार इस सीट पर 9500 वोट मिले थे।
सिंगरौली
विंध्य की सिंगरौली विधानसभा सीट पर भाजपा का कब्जा है। साल 2018 के चुनाव में बीजेपी के रामालु वैश्य ने कांग्रेस के रेणु शाह को लगभग 4 हजार वोटों से मात दी थी। जबकि सपा के सिखा सिंह को लगभग 4700 वोट हासिल हुए थे। लेकिन इस बार समाजवादी पार्टी ने सिखा सिंह के पति ओम प्रकाश सिंह को उम्मीदवार बनाया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यहां यूपी और बिहार से आकर बसे लोगों की 21 प्रतिशत आबादी है, जो वोटिंग के समय बड़ा प्रभाव रखते हैं। इसके अलावा बेसवार समुदाय की आबादी 7 प्रतिशत और साहू समाज की आबादी 8 प्रतिशत हैं जो जीत-हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। कांग्रेस ने यहां फिर से रेणु शाह पर विश्वास जताते हुए चुनावी मैदान में उतारा है। सियासी पंडितों के मुताबिक, अगर ओम प्रकाश सिंह पुराने परफॉर्मेंस दोहराने में कामयाब रहते हैं, तो कांग्रेस को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है।
भोपाल मध्य
राजधानी की इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा है। कांग्रेस की ओर से मौजूदा समय में आरिफ मसूद विधायक हैं। साल 2018 में इन्होंने बीजेपी के सुरेंद्र सिंह को करीब 15 हजार वोटों से हराया था। कांग्रेस ने एक बार से मसूद पर विश्वास जताया है। जबकि बीजेपी की ओर से इस बार सुरेंद्र सिंह का टिकट काट पूर्व विधायक ध्रुव नारायण सिंह को टिकट दिया है। सिंह 2008 में कांग्रेस के नासिर इस्लाम को चुनाव हरा चुके हैं। सिंह पूर्व सीएम गोविंद नारायण सिंह के बेटे हैं। सपा ने समा तनवीर को यहां से उम्मीदवार बनाया है।
भोपाल मध्य सीट मुस्लिम बाहुल्य है। यहां 45 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं, जो चुनाव परिणाम को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं। मुसलमानों के अलावा सामान्य व ओबीसी के कुल वोटर 43 प्रतिशत है। जबकि इस इलाके में 10 प्रतिशत दलित वोटर्स भी मौजूद हैं।
नरेला
भाजपा की ओर से नरेला सीट से कैलाश सांरग विधायक हैं। इस सीट पर कांग्रेस लंबे समय से इंतजार कर रही है लेकिन जीत दर्ज नहीं कर पा रही है। बीते चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी 15 हजार वोट से चुनाव हार गए थे। इस सीट पर ब्राह्मण, मुस्लिम और कायस्थ वोटरों का जबरदस्त दबदबा है। इस सीट पर चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस ने इस बार ब्राह्मण और मुस्लिम वोटर्स को साधने में लगी हई है। एमपी में मुसलमान वोटर्स कांग्रेस के कोर मतदाता माने जाते हैं।
Created On :   20 Oct 2023 4:27 PM IST