अयोध्या या मथुरा से क्यों नहीं? गोरखपुर से ही क्यों योगी को चुनाव लड़ाना चाहती है बीजेपी, इसके पीछे है बड़ा चुनावी समीकरण!
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। बीजेपी ने आज 107 प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। पहले अटकले चल रही थी की उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अयोध्या से चुनाव लडाया जा सकता है। लेकिन अब उस पर पूर्ण विराम लगा दिया गया है। बीजेपी के उम्मीदवारों की घोषणा करते हुए केन्दीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि योगी आदित्यनाथ अब गोरखपुर शहर से चुनाव लडेंगें। गोरखपुर से योगा आदित्यनाथ के सम्बंध को लेकर चर्चा तेज हो गयी है। पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बीजेपी के इस फैसले पर तंज कसा है। अखिलेश यादव ने कहा कि चुनाव से पहले ही बीजेपी ने योगी को घर भेज दिया है। हालांकि राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो बीजेपी के इस फैसले के पीछे कई बड़े सियासी कारण है।
गोरखपुर और मुख्यमंत्री योगी
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गोरखपुर से पुराना नाता तो है ही साथ ही यह भी कह सकते है कि सही मायने में उनके राजनीतिक सफ़र की शुरूआत यहीं से शुरू हुई थी। 1994 में योगी ने महंत अवैद्यनाथ से दीक्षा ली और अजय बिष्ट से योगी आदित्यनाथ की पहचान अपनाई। योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मन्दिर के पूर्व महन्त अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी हैं। योगी हिन्दू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं। योगी की छवि एक प्रखर राष्ट्ररवादी नेता तौर पर रही है।
इसके बाद योगी को मात्र 26 साल की उम्र में वहां की जनता ने गोरखपुर से सांसद चुना। हालांकि योगी ने उस चुनाव में सिर्फ़ छह हज़ार वोटों से जीत दर्ज की थी। 1998 से 2017 तक योगी ने भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। योगी को 2014 लोकसभा चुनाव में भी यहां की जनता ने सांसद चुना था। आदित्यनाथ गोरखनाथ मन्दिर के पूर्व महन्त अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी हैं। ये हिन्दू युवाओं के सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी समूह हिन्दू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं, तथा इनकी छवि एक प्रखर राष्ट्ररवादी नेता की है।
अयोध्या की जगह गोरखपुर ही क्यों?
बीजेपी के उम्मीदवारों की घोषणा से पहले यह कयास लगाए जा रहे थे कि योगी आदित्यनाथ अयोध्या से चुनाव लड़ सकते हैं। लेकिन बीजेपी ने उन्हें गोरखपुर से मैदान में उतारा है। इसके पीछे का कारण यह माना जा रहा है कि इस बीजेपी योगी को किस सीट से मैदान में उतारा जाए इसको लेकर गहन मंथन किया है। और पार्टी का यह निर्णय शायद फायदेमंद हो सकता है। बीजेपी सबका साथ सबका विकास के नारे को लेकर मैदान में उतार रही है। लेकिन अगर योगी आदित्यनाथ को आयोध्या से उतारा जाता तो, शायद उन पर एक धर्म विशेष को लेकर चलने की राजनैतिक मंशा का आरोप लग सकता था। इस बात को ही ध्यान में रखते हुए शायद बीजेपी ने यह निर्णय लिया है।
गोरखपुर में भी हो सकता था नुकसान
चुनाव विश्लेषकों के मुताबिक बीजेपी योगी को अगर अयोध्या से चुनाव लड़ाने का फैसला करती तो शायद गोरखपुर से उसे वहां लोगों की नाराजगी भी देखने को मिल सकती थी। क्योंकि गोरखपुर ही वह जगह जो योगी आदित्यनाथ को सीएम बनने तक का सफर की साक्षी है।
और वहां कि जनता का लगाव भी योगी से सबसे ज्यादा है। अगर उनको अयोध्या से चुनाव लड़ाया जाता तो, शायद पार्टी को इस क्षेत्र के लोगों की नाराजगी देखने को मिल सकती थी। योगी का इस क्षेत्र में अपना दबदबा रहा है। पूर्वांचल की विधानसभा सीटों पर पिछले चुनावों में भाजपा काफी मजबूत रही है। तो इसका बहुत हद तक श्रेय योगी को ही जाता है।
लेकिन इस बार के चुनाव में बीजेपी को समाजवादी पार्टी से कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। चुनाव के पूर्व किए गए कई सर्वेक्षणों में भाजपा को इस बार नुकसान होने की आशंका जताई गई है। यह वही क्षेत्र है जहां से मुख्यमंत्री योगी के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चुने गए हैं। बीजेपी हमेशा एक एक सीट को लेकर होमवर्क करने वाली पार्टी के रूप में जानी जाती है। जिस प्रकार से वाराणसी माहौल पीएम मोदी ने बनाया था। ठीक उसी तरह से विधानसभा चुनाव 2022 में पूर्वांचल की राजनीति का केंद्रबिंदु गोरखपुर को माना जा रहा है। और इसका फायदा बीजेपी लेने में कामयाब होती है या नहीं यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
Created On :   15 Jan 2022 2:49 PM IST