मप्र में कांग्रेस की किसान राजनीति के चेहरे बनते यादव बंधु

Yadav brothers becoming the faces of Congresss farmer politics in MP
मप्र में कांग्रेस की किसान राजनीति के चेहरे बनते यादव बंधु
मध्य प्रदेश मप्र में कांग्रेस की किसान राजनीति के चेहरे बनते यादव बंधु
हाईलाइट
  • यादव बंधु किसान नेता

डिजिटल डेस्क, भोपाल। कांग्रेस का इन दिनों किसानों की समस्याओं पर खास जोर है। जमीनी स्थिति के आकलन के साथ इस वर्ग को अपने से जोड़ने के लिए कांग्रेस के प्रयास जारी हैं। पार्टी ने मध्य प्रदेश में किसानों की राजनीति का बड़ा चेहरा यादव बंधुओं को आगे लाने के संकेत दे दिए है। ये दोनों भाई खेती किसानी के मुददे को अपना सियासी हथियार भी बना रहे हैं।

यहां हम बात कर रहे है पूर्व केंद्रीय अरुण यादव और उनके छोटे भाई सचिन यादव की जो कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे। दोनों भाईयों के पास जब वे मंत्री थे कृषि विभाग की जिम्मेदारी रही है। इतना ही नहीं इनके पिता पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुभाष यादव प्रदेश के कृषि और सहकारिता के बड़े नेता रहे हैं।

कांग्रेस का राजस्थान के उदयपुर में चिंतन शिविर होने जा रहा है। इस शिविर में किसान एवं खेती के मुददे पर विस्तृत रिपोर्ट बनाने वाली समिति में अरुण यादव को रखा गया है। यादव ने खेती और किसानी से जुड़े तमाम लोगों से संवाद शुरू कर दिया है तो इस क्षेत्र के लेागों से सुझाव भी मंगाए। कुल मिलाकर वे देशव्यापी किसानों की समस्याओं और उनके हालात को करीब से देख रहे हैं।

एक तरफ जहां अरुण यादव राष्ट्रीय स्तर पर किसानों की समस्या को लेकर काम कर रहे हैं, तो दूसरी ओर उनके छोटे भाई सचिन यादव इसी मुद्दे पर शिवराज सरकार को घेरने में लगे हैं। सचिन यादव कमल नाथ सरकार में कृषि मंत्री रहे हैं। अपने कार्यकाल में किसानों के लिए चलाई गई योजनाओं से लेकर उनके हित में लिए गए फैसलों का समय समय पर जनता को हिसाब देते हैं तो वहीं शिवराज सरकार की हर कमी को सामने लाने की कोशिश में लगे रहते हैं।

यादव बंधु को जहां कांग्रेस किसान राजनीति का चेहरा बनाना चाह रही है तो दूसरी ओर कांग्रस के कुछ नेता ही उनकी मुसीबत बढ़ाने में पीछे नहीं रहते। खलघाट में एक किसान आंदोलन की बीते दिनों यादव बंधुओं ने रणनीति बनाई तो कांग्रेस के लोग ही बाधा बन गए। पार्टी के कई नेता इस बात को जानते हैं कि यादव बंधुओं की विरासत किसान और सहकारिता है। अगर इनकी सक्रियता बढ़ी तो कई दिग्गजों की सियासी सेहत पर असर पड़ना तय है। लिहाजा पार्टी के भीतर से ही इन्हें कमजोर करने के प्रयास हो रहे हैं।

 

 (आईएएनएस)

Created On :   4 May 2022 12:11 PM IST

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