राम मंदिर निर्माण पर आस्था भारी रहेगी या फिर जनता की समस्या? जानिए यूपी का सियासी समीकरण

Will faith be heavy on the construction of Ram temple or will it be public problem? Know the political equation of UP
राम मंदिर निर्माण पर आस्था भारी रहेगी या फिर जनता की समस्या? जानिए यूपी का सियासी समीकरण
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 राम मंदिर निर्माण पर आस्था भारी रहेगी या फिर जनता की समस्या? जानिए यूपी का सियासी समीकरण

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पांचवें चरण का मतदान रविवार को होगा। पांचवें चरण के लिए कल यानी 27 फरवरी को 12 जिलों की 61 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। कल का वोटिंग इसलिए महत्वपूर्ण  हैं क्योंकि जिन 12 जिलों में मतदान होगा, उनमें अयोध्या भी शामिल है। रविवार को राज्य के 12 जिलों में मतदान होना है और इसमें अमेठी, रायबरेली, सुल्तानपुर, चित्रकूट, प्रतापगढ़, कौशांबी, प्रयागराज, बाराबंकी, अयोध्या, बहराइच, श्रावस्ती और गोंडा शामिल है। अयोध्या यूपी का राजनीतिक केंद्र रहा है और बीजेपी हर चुनाव में अयोध्या मुद्दे को उछालती रही है।

अबकी बार तो बीजेपी राम मंदिर निर्माण का पूरा श्रेय लेने में भी पीछे नहीं हट रही है। इस बार का चुनाव इसलिए भी खास है क्योंकि भारत में लोकतंत्र की स्थापना होने के बाद यूपी का यह पहला ऐसा विधानसभा चुनाव है, जो अयोध्या में श्रीराम मंदिर के शिलान्यास होने और निर्माण शुरू होने के बाद लड़ा जा रहा है। अयोध्या क्षेत्र और यहां के 30-40 किलोमीटर के की परिधि में पड़ने वाले जिलों में राम मंदिर को लेकर कितना महत्व है। एनबीटी ऑनलाइन ने यहां की जनता का नब्ज टटोला और जानने का प्रयास किया कि सियासी बयार किस तरफ बह रही है। ये भी जानने का प्रयास किया गया कि राम मंदिर का मुद्दा भारी है या फिर जनता के रोज के मुद्दे? 

जानें जनता की राय

राम की नगरी अयोध्या से करीब 25 से 30 किलोमीटर उत्तर और पूर्व की दिशा में बस्ती और गोंडा जिले की सीमा पर पड़ने वाली बभनान के पास रहने वाले संत पांडेय जीवन के 8 दशक गुजार चुके हैं। शुगर मिल के रिटायर्ड कर्मचारी संत पांडे से एनबीटी ऑनलाइन ने जब पूछा कि राम मंदिर का असर चुनाव में कितना है? तो उन्होंने कुछ सेकेंड सोचने के बाद कहा कि हमारे क्षेत्र में राम मंदिर के निर्माण होने से बीजेपी को कोई खास फायदा नहीं होता दिख रहा है। उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी को प्रत्याशी के के चुनाव में सावधानी बरतनी चाहिए व जातिगत भावनाओं से उठकर काम करना चाहिए।


अयोध्या शहर में राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के पीछे के इलाके में बस रहे में मोहल्ले में मकान बनाकर रह रहे एस.के. श्रीवास्तव राम मंदिर निर्माण पर गदगद नजर आए। वहीं यहां से कुछ ही दूर पर यहां की प्रसिद्ध रामजी समोसे की दुकान पर मिले कुछ नवयुवकों ने राम मंदिर के निर्माण पर खुशी तो जताई लेकिन रोजगार और अन्य बुनियादी सुविधाओं को लेकर सवाल भी उठाए। अपना नाम तरुण बताने वाले एक युवक ने कहा कि यहां पास में ही एक स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स जर्जर हालत में पड़ा हुआ है, जो मायावती शासनकाल में स्वीकृत होने और बनने के बाद से बदहाली का शिकार है। कम से कम इस दिशा में सरकार काम करे तो युवाओं को कुछ फायदा मिल सकता है।

राम मंदिर निर्माण से खुश लेकिन विधायक से नाराज

अयोध्या विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले शहर से 15 किलोमीटर की दूरी पर इटौरा गांव के राकेश खुलकर समाजवादी पार्टी के पक्ष में दिखे। उन्होंने इसके पीछे पार्टी से उम्मीदवारों को वजह करार दिया। उन्होंने कहा कि कैंडिडेट ऐसा होना चाहिए जो हमारी बात रखें और सहज उपलब्ध हो। अयोध्या शहर में आवास विकास विस्तार कॉलोनी में रहने वाले धीरज तिवारी (नाम परिवर्तित) ने भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय विधायक से नाराजगी जताई।

उन्होंने विधायक वेद प्रकाश गुप्ता पर भेदभाव से काम करने और मनमाने तरीके से योजनाओं को लागू करवाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अगर योगी जी लड़ते तो हमारा वोट उन्हें जाता लेकिन स्थानीय विधायक को नहीं। इससे यही निष्कर्ष निकलता है कि जनता योगी को तो पसंद कर रही लेकिन उनके विधायकों से काफी नाराज दिख रही है। वहीं रानोपाली रोड पर मिले युवक ने कहा कि अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए जान भी दे देंगे, वोट क्या चीज है? 

जातिगत समीकरण मामला सबसे भारी

गोसाईगंज विधानसभा क्षेत्र के तंदौली के पास चाय की दुकान पर अवधेश नामक शख्स बताते हैं कि गोसाईगंज विधानसभा में भले ही अयोध्या से सटा हुआ है। लेकिन यहां पर अभय सिंह और इंद्र प्रताप उर्फ खब्बू तिवारी ही प्रमुख मुद्दा हैं, जो मैदान में आमने-सामने हैं। खब्बू तिवारी के समर्थक लग रहे शख्स ने कहा कि विधायक जी (खब्बू तिवारी) को जेल भेजने के पीछे अभय सिंह और केंद्र में बैठे उनके राजनीतिक आकाओं का ही हाथ है। इस बार चुनाव में जनता सबक सिखा देगी। यहां पर बता दें कि भारतीय जनता पार्टी के विधायक खब्बू तिवारी फर्जी मार्कशीट के मामले में जेल में बंद हैं। और उनकी जगह पत्नी आरती तिवारी चुनाव मैदान में हैं, जबकि अभय सपा की तरफ से ताल ठोक रहे हैं। दोनों बाहुबलियों के बीच हाल ही में गोलीबारी की घटना भी सामने आई थी। 

अयोध्या में मुआवजा और अधिग्रहण भी मुद्दा

हनुमानगढ़ी के पास एक प्रख्यात संत ने राम मंदिर निर्माण को लेकर वर्तमान सरकार और नेतृत्व को हाथ उठा-उठाकर आशीर्वाद दिया। लेकिन उन्होंने नगर निगम के कुछ फैसलों पर निराशा भी जताई। कुछ ऐसा ही हाल यहां से लगभग आठ 10 किलोमीटर की दूरी पर माझा बरहटा गांव के बनवारी पुरवा निवासी मोनू यादव (नाम परिवर्तित) का है, जिन्होंने कहा कि हमारे ग्राम पंचायत में भगवान श्री राम की भव्य मूर्ति लगने जा रही है। लेकिन जमीन अधिग्रहण के फैसले और नियम से यहां के लोग संतुष्ट नहीं हैं। सरकार का कहना है कि लोगों की रजामंदी ले ली गई है लेकिन असल हकीकत कुछ और ही है। प्रशासन की तरफ से दबाव बनाया जाता है।

छुट्टा जानवर बनें चुनावी मुद्दा
 
यूपी चुनाव को लेकर जब एनबीटी ऑनलाइन टीम सुलतानपुर जिले के पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से सटे हुए हलियापुर गांव में पहुंची तो बड़कू किसान रात के समय छुट्टा जानवर भगाते नजर आए। जो यूपी किसानों के लिए सिरदर्द बन गया है। उन्होंने बताया कि रात की नींद उजड़ चुकी है। कोई भी सरकार आए, बस ये गाय, नीलगाय, सांड़ के कहर से मुक्ति मिल जाए। वहीं मिल्कीपुर से रुदौली के बीच पड़ने वाले अमावा सूफी गांव के हरकेश बताते हैं कि यहां पर किसान छुट्टा जानवरों से परेशान हैं। गेहूं, सरसों, धान की फसल बर्बाद हो जाने से किसानों को आर्थिक और मानसिक दिक्कत झेलनी पड़ी है। कुछ ऐसे ही बात बस्ती जिले के हरैया क्षेत्र के पचवस गांव निवासी मनोज कुमार की। उन्होंने कहा कि सबके पास इतना सामर्थ्य नहीं है कि पशुओं से खेत की रक्षा करने के लिए बाढ़ लगा सके। इशारों-इशारों में अपना चुनावी रुझान बताते हुए उन्होंने कहा था कि बीजेपी के पुराने लोग हैं। लेकिन इस बार पशुओं से बहुत परेशान हैं, इसलिए इरादा बदल भी सकते हैं। 

Created On :   26 Feb 2022 8:24 PM IST

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