कांग्रेस का 1985 में 149 सीटें जीतने के रिकॉर्ड को तोड़ने में मदद करेगा भाजपा का आंतरिक सर्वे?

Will BJPs internal survey help break Congresss record of winning 149 seats in 1985?
कांग्रेस का 1985 में 149 सीटें जीतने के रिकॉर्ड को तोड़ने में मदद करेगा भाजपा का आंतरिक सर्वे?
भाजपा कांग्रेस का 1985 में 149 सीटें जीतने के रिकॉर्ड को तोड़ने में मदद करेगा भाजपा का आंतरिक सर्वे?

डिजिटल डेस्क, गांधीनगर। भाजपा ने आगामी गुजरात विधानसभा चुनाव में 152 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है और इसके लिए पार्टी आंतरिक सर्वेक्षण कर रही है और लोगों से सीधे फीडबैक ले रही है। पार्टी का कहना है कि इससे नेतृत्व को जमीनी स्तर पर लोगों का मूड और जमीनी स्थिति का पता लगाने में मदद मिलती है। इसके साथ ही इससे मौजूदा विधायकों या लोकसभा सदस्यों या यहां तक कि पिछले चुनावों के इच्छुक उम्मीदवारों के प्रदर्शन का भी पता चलता है।

गरियाधर निर्वाचन क्षेत्र के भाजपा विधायक केशुभाई नाकरानी ने कहा, पार्टी कभी-कभी वरिष्ठ नेताओं के माध्यम से आंतरिक सर्वेक्षण करती है और आजकल इस उद्देश्य के लिए पेशेवर एजेंसियों को भी काम पर रखा जाता है। लक्ष्य कार्यकर्ताओं और नागरिकों से सही प्रतिक्रिया प्राप्त करना है कि वे सरकार के विकास के एजेंडे, नीतियों और योजनाओं के बारे में क्या महसूस करते हैं। सर्वेक्षण में निर्वाचित प्रतिनिधियों के प्रदर्शन को भी ध्यान में रखा जाता है।

भरूच जिला समिति के अध्यक्ष मारुतीसिंह अटोदरिया ने कहा, अगर इस तरह के सर्वेक्षण, चाहे आंतरिक या बाहरी रूप से किए गए हों, परिणाम केवल राज्य नेतृत्व के साथ साझा किए जाते हैं। जिला या शहर संगठन के पदाधिकारियों को लूप में नहीं रखा जाता है या इसके बारे में सूचित नहीं किया जाता है।

भाजपा के मीडिया समन्वयक यग्नेश दवे ने आंतरिक प्रतिक्रिया प्रणाली की पुष्टि करते हुए कहा, आरएसएस के सह-प्रचारक, पार्टी विस्तारक अपने-अपने क्षेत्रों में यात्रा करते हैं और पार्टी कार्यकर्ताओं, विभिन्न वर्गों के लोगों से बात करते हैं और यह जानने की कोशिश करते हैं कि लोग सरकार की छवि और उसके द्वारा किए गए कामों के बारे में क्या सोचते हैं।

जब मौजूदा विधायक के प्रदर्शन का आकलन किया जाता है, तो विस्तारक न केवल उनके बारे में पूछताछ करते हैं, बल्कि उन नेताओं के बारे में भी पूछते हैं जो पिछली बार उम्मीदवार के पैनल में थे। दवे ने कहा, इससे इस बात का बेहतर अंदाजा मिलता है कि हर कोई पार्टी के संदेश, उसकी विचारधारा को फैलाने और लंबित मुद्दों को हल करने के लिए कितनी मेहनत कर रहा है।

पार्टी सूत्रों ने बताया कि सर्वेक्षण की रिपोर्ट का इस्तेमाल सोशल इंजीनियरिंग और सीटवार रणनीति का खाका तैयार करने के लिए किया जाता है। ऐसे में अगर कहीं यह पाया जाता है कि पार्टी किसी खास सीट पर कमजोर है तो फिर रणनीति उसी हिसाब से तय होती है। फिर पार्टी के एक वरिष्ठ नेता या मंत्री को निर्वाचन क्षेत्र के प्रभारी या पर्यवेक्षक के रूप में प्रतिनियुक्त किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पार्टी सीट पर जीत दर्ज करे।

उन्होंने आगे कहा, जहां कहीं भी किसी पार्टी को सरकारी कार्यक्रमों और ऐसी सीटों पर मतदाताओं पर उसकी मूल विचारधारा के बारे में अच्छी प्रतिक्रिया मिलती है, पार्टी प्रयोग में जोखिम लेती है। अगर यह काम करता है, तो इसे अगली बार ऐसी और सीटों पर दोहराया जा सकता है। बीजेपी इस बार 1985 के विधानसभा चुनाव का रिकॉर्ड तोड़ना चाहती है, जिसमें कांग्रेस ने 149 सीटें जीती थीं।

 

सोर्स- आईएएनएस

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Created On :   14 Jun 2022 7:00 PM IST

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