नीतीश कुमार को क्यों कहा जाता है किंगमेकर? बीजेपी ही नहीं जेडीयू के इन नेताओं को भी कर चुके हैं दरकिनार

Why Nitish Kumar is called Kingmaker? Not only BJP, these leaders of JDU have also been sidelined
नीतीश कुमार को क्यों कहा जाता है किंगमेकर? बीजेपी ही नहीं जेडीयू के इन नेताओं को भी कर चुके हैं दरकिनार
बिहार सियासत नीतीश कुमार को क्यों कहा जाता है किंगमेकर? बीजेपी ही नहीं जेडीयू के इन नेताओं को भी कर चुके हैं दरकिनार

डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार में पिछले 5 साल से चल रही भाजपा और जदयू गठबंधन की सरकार अब टूट चुकी है। नीतीश कुमार अपना चित परिचित अंदाज दिखाते हुए नजर आ रहे है। सत्ता की चाह रखने वाले नेताओं में माहिर नीतीश अब एक बार फिर से लालू की पार्टी राजद के साथ मिलकर सरकार बनाने जा रहे हैं। आज उन्होंने आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के साथ राजभवन पहुंचकर अपना  इस्तीफा राज्यपाल फागू चौहान को सौंपा।  कल दोपहर दो बजे शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया गया है। जिसमें नीतीश कुमार बिहार के नए मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे जबकि तेजस्वी यादव भी कल डिप्टी सीएम पद की शपथ लेंगे। ये पहला मौका नहीं है जब नीतीश ने पाला पलटा हो। अपने शासन के 15 से अधिक सालों में उन्होंने दो बार एनडीए खेमे से महागठबंधन और फिर एनडीए के साथ जाकर पाला बदल चुके हैं। लेकिन क्या आप जानते है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी में तूती बोलती है? 

यहां तक कि ऐसा माना जाता है कि नीतीश ही जेडीयू है। इनके इशारे के बिना पार्टी में कुछ नहीं होता। इसके पीछे की वजह नीतीश कुमार की आदत है जो पार्टी या सरकार में इनके खिलाफ चलने वालों को देर सबेर राजनीतिक रुप से निपटा दिया जाता है। अगर वह अपनी पार्टी के किसी भी सदस्य से नाराज होते, उसे हटाने के लिए किसी भी हद तक चले जाते। भले ही वो पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष जैसे पद पर ही क्यों न हो। 2003 में जेडीयू के बनने के बाद से लेकर अब तक नीतीश अपने मन मुताबिक पार्टी को चलाते आए हैं। आइए जानते है कौन से है वो नेता जिन्हें नीतीश कुमार की वजह से पार्टी से बाहर का रास्ता देखना पड़ा

जॉर्ज फर्नांडिस

George Fernandes Passed Away At 88, Pm Modi To Rahul Gandhi Remembers The  Former Defence Minister - जॉर्ज फर्नांडिस: पीएम मोदी से लेकर राहुल गांधी ने  पूर्व रक्षामंत्री को इस तरह किया

जब 2003 में जेडीयू बना था तब पार्टी को आगे ले जाने की जिम्मेदारी दिए जाने के तहत इन्हें जेडीयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था। जॉर्ज फर्नांडिस भले ही उस समय पार्टी के कद्दावर नेता थे लेकिन नीतीश कुमार के आगे किसी की नहीं चलती थी। उस समय जब जॉर्ज ने अपनी नजदीकी जया जेटली को राज्यसभा भेजने की बात कही थी तब नीतीश ने इसे खारिज कर दिया था।

साल 2005 में पहली बार बिहार का मुख्यमंत्री बनने के बाद तो इन दोनो के बीच तनाव साफ देखा जा सकता था। इसका परिणाम यह हुआ कि साल CM बनने के एक साल के भीतर ही पार्टी की कमान जॉर्ज फर्नांडिस की जगह शरद यादव को सौंप दी गई। बात यही तक नहीं रूकी, साल 2009 के लोकसभा चुनाव में खराब स्वास्थ्य कहकर पार्टी ने टिकट देने से इनकार कर दिया, तब फर्नांडिस ने निर्दलिय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था, लेकिन चुनाव हार गए थे। हालांकि इसी साल नीतीश ने नर्मी दिखाते हुए पार्टी की तरफ से राज्यसभा भेजा। 

शरद यादव

Sharad Yadav in field of political expansion Bamcef will merge in DJD -  जमीनी सियासी विस्तार की कोशिश में शरद यादव, डीजेडी में बामसेफ का होगा विलय

साल 2006 में फर्नांडिस को हटाकर शरद यादव को जेडीयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया। शरद मधेपुरा से सांसद बनते रहे थे। शरद यादव भले ही राजनीतिक रूप से मजबूत हो, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश ने इन्हें भी किनारे पर लगा दिया। हुआ यूं कि साल 2014 में शरद यादव लोकसभा का चुनाव हार गए थे इसके बाद नीतीश ने उन्हें राज्यसभा भेज पार्टी के कमान अपने हाथों मे ले ली। शरद यादव ने साल 2018 में JDU से अलग होकर अपनी पार्टी बना ली। हालांकि साल 2019 में उन्होंने अपनी पार्टी का विलय आरजेडी के साथ कर लिया। 

आरसीपी सिंह

RCP Singh Resigns From JDU Party Alleges Corruption | Exclusive: 'नीतीश  कुमार 7 जन्म में भी PM नहीं बनेंगे', Abp न्यूज पर यह कह आरसीपी सिंह ने JDU  से दिया इस्तीफा

जब 2020 में जेडीयू ने भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा तब चुनाव में पार्टी बेहद खराब प्रदर्शन करती हुए केवल 45 सीटें ही जीत पाई। इसके बाद अपनी जगह आरसीपी सिंह को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया। लेकिन जब सिंह अपने हिसाब से पार्टी को चलाने लगे, तब नीतीश कुमार को यह खटकने लगा। अनुमति के बगैर मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होना भी नीतीश को नागवार गुजरा। बताया जाता है कि आरसीपी सिंह की बीजेपी की तरफ बढ़ती नजदीकी को नीतीश कुमार पहले भी भांप गए और इसी वजह से एनडीए से दामन तोड़ने का फैसला लिया। गौरतलब है कि नीतीश कुमार आरसीपी सिंह से काफी खफा चल रहे थे इसलिए जिस बंगले में वह 12 वर्षों से रह रहे थे, उसे भी छीन लिया। कुछ दिन पहले ही आरसीपी सिंह ने नीतीश कुमार का पार्टी के अंदर मनमानी को लेकर पार्टी छोड़ने का फैसला लिया है। 

Created On :   9 Aug 2022 3:22 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story