पंजाब को लेकर क्यों चिंतित है भाजपा?

Why is BJP worried about Punjab?
पंजाब को लेकर क्यों चिंतित है भाजपा?
नई दिल्ली पंजाब को लेकर क्यों चिंतित है भाजपा?

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भाजपा 2022 में होने जा रहे 5 राज्यों के विधान सभा चुनाव में से 4 राज्यों को लेकर जोर-शोर से युद्ध स्तर पर तैयारी कर रही है और बेहतर नतीजे की उम्मीद भी कर रही है लेकिन पांचवे राज्य पंजाब को लेकर पार्टी की तैयारी फिलहाल परवान चढ़ती दिखाई नहीं दे रही है और इसने पार्टी आलाकमान को परेशान कर रखा है। दरअसल, अगले वर्ष की शुरूआत में जिन 5 राज्यों में चुनाव होने वाले हैं उनमें से 4 राज्यों - उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में भाजपा सत्ता में है और सरकार बचाने को लेकर आशान्वित भी है लेकिन पंजाब में न तो भाजपा फिलहाल सत्ता में है और न ही पूरे राज्य में संगठन के लिहाज से मजबूत है।

पंजाब में इससे पहले के चुनावों में भाजपा ने अकाली दल के साथ मिलकर ही चुनाव लड़ा जिसमें अकाली बड़े भाई की भूमिका में होते थे। इस वजह से भाजपा को कभी पूरे पंजाब में चुनाव लड़ने का मौका ही नहीं मिल पाया और इसी वजह से राज्य में भाजपा मजबूत भी नहीं हो पाई। अकाली दल के अलग होने के बाद इस बार भाजपा अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी तो कर रही है लेकिन कांग्रेस, अकाली दल और आम आदमी पार्टी के त्रिकोणीय मुकाबले में अभी भी भाजपा के लिए कोई जगह नहीं बन पा रही है। इस फीडबैक ने भाजपा आलाकमान को साफ तौर पर यह बता दिया है कि राज्य में पैर जमाने की भाजपा की राह बहुत आसान नहीं है। अकाली दल के एनडीए से बाहर होने के बाद से ही भाजपा राज्य में एक मजबूत सहयोगी की तलाश में लगी हुई थी और कांग्रेस में मचे राजनीतिक घमासान ने भाजपा को एक मौका दे भी दिया।

कांग्रेस से अलग होकर अमरिंदर सिंह ने अपनी नई पार्टी बना ली और साथ ही भाजपा के साथ गठबंधन की संभावना वाला बयान देकर भाजपा को उत्साहित भी कर दिया। दूसरी तरफ भाजपा के भी तमाम नेता अमरिंदर सिंह को राष्ट्रवादी बताते हुए कांग्रेस पर निशाना साधने लगे। लेकिन दोनों तरफ से सकारात्मक संकेतों के आने के बावजूद अभी तक गठबंधन को लेकर कोई ठोस ऐलान नहीं हो पाया है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि आखिर पेंच कहां फंस रहा है? आईएएनएस से बातचीत करते हुए भाजपा के एक नेता ने बताया कि अभी अमरिंदर सिंह को अपनी नई पार्टी के बारे में कई बातें तय करनी है और साथ ही अपनी पार्टी का एजेंडा और अपना लक्ष्य भी निर्धारित करना है। उन्होंने यह भी कहा कि जहां तक गठबंधन की बात है , समय आने पर इस संबंध में अंतिम फैसला लिया जाएगा।

हालांकि पार्टी के सूत्र यह बता रहे हैं कि किसान आन्दोलन को लेकर भाजपा और अमरिंदर के विचार अलग-अलग है और इसे लेकर सहमति का कोई फॉर्मूला बनाना अभी बाकी है। कृषि कानूनों को लेकर भाजपा इतनी आगे बढ़ चुकी है कि अब वापस लौटना आसान नहीं है जबकि दूसरी तरफ कांग्रेस से अलग हटकर अपनी पार्टी बनाने वाले अमरिंदर सिंह राष्ट्रवादी छवि के साथ-साथ किसान हितैषी नेता का तमगा लेकर ही चुनाव मैदान में उतरना चाहते हैं और यही वो मुद्दा है जहां पेंच फंसा हुआ। बताया यह भी जा रहा है कि समझौते के फॉर्मूले को लेकर बातचीत लगातार जारी है और आने वाले दिनों में इसे लेकर कोई बड़ा ऐलान हो सकता है लेकिन अगर ऐसा नहीं हो पाया तो भाजपा और अमरिंदर दोनों को ही इसका अहसास है कि पंजाब में उनकी राहें आसान नहीं होंगी।

(आईएएनएस)

Created On :   13 Nov 2021 11:30 PM IST

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