शगूफा भर नहीं है सेना में 30 फीसदी मुसलमानों को आरक्षण देने की मांग करना, जेडीयू नेता गुलाम रसूल बलियावी की इस मांग के गहरे हैं सियासी मायने

Who is JDU leader Ghulam Rasool Baliyavi,
शगूफा भर नहीं है सेना में 30 फीसदी मुसलमानों को आरक्षण देने की मांग करना, जेडीयू नेता गुलाम रसूल बलियावी की इस मांग के गहरे हैं सियासी मायने
पसमांदा मुसलमान पर सियासत तेज शगूफा भर नहीं है सेना में 30 फीसदी मुसलमानों को आरक्षण देने की मांग करना, जेडीयू नेता गुलाम रसूल बलियावी की इस मांग के गहरे हैं सियासी मायने

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हाल ही में बिहार के नवादा में हुए मुसलमानों के एक कार्यक्रम के दौरान जेडीयू नेता और विधान परिषद सदस्य गुलाम रसूल बलियावी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आर्म्ड फोर्सेज में मुसलमानों के लिए आरक्षण की मांग की थी। इस दौरान आतंकवादियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पीएम मोदी  को पाकिस्तान के आतंकियों से निपटने में डर लग रहा है तो सेना में 30 प्रतिशत मुस्लिमों को जगह दे दें। वो वहां जाकर सब देख लेंगे। 

साथ ही इस कार्यक्रम के दौरान उन्होंने भाजपा पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी अपने क्राइम को छिपाने के लिए देश की आर्म्ड फोर्सेज का इस्तेमाल कर रही है। इसके अलावा बलयावी ने कहा कि जब पाकिस्तान मिसाइल बनाकर भारत को दिखा रहा था उस वक्त जवाब देने के लिए कोई नागपुर का बाबा नहीं आया था। तब भी एक मुसलमान का बेटा एपीजे अब्दुल कलाम ही सामने आए थे। बलयावी ने बाबा रामदेव पर तंज कसते हुए कहा कि वह भारतीय नहीं है, उनका पाकिस्तान के लश्कर-ए-तैयबा से कनेक्शन है। साथ ही उन्होंने बाबा रामदेव पर जांच करने की भी मांग की। इसके अलावा उन्होंने धीरेंद्र शास्त्री को बहुरूपिया बताया। 

मेरा सीधा सवाल सरकार से है- बलियावी

जहां एक तरफ गुलाम रसूल बलियावी के बयान को बीजेपी भड़काऊ और सेना का अपमान करने वाला बता रही है, तो वहीं दूसरी और विवाद बढ़ने के बाद बलियावी ने कहा कि, लोगों को मेरे हर अच्छे काम पर कुछ ना कुछ नुस्ख निकालने की आदत है। उन्होंने कहा कि, मैंने सेना को अपमान करने जैसी कोई बात नहीं कही है। मैंने बस सत्ता में बने रहने वाले लोगों और पीएम मोदी से सवाल किया है। वे आगे कहते है कि बीजेपी अपने जुर्म पर पर्दा डालने के लिए सेना का सहारा ले रही है। बलियावी ने बीजेपी पर तंज कसा कि, ये वहीं लोग हैं जो सेना की वर्दी में अपना चेहरा छुपाना चाहते हैं। मेरा सीधा सवाल सरकार से है। 

गुलाम रसूल बलायावी के बारे में

गुलाम रसूल बलियावी का जन्म 21 मई 1969 में बिहार के पटना में हुआ था। चश्मा-ए-रहमत ओरिएंटल कॉलेज, गाजीपुर, उत्तर प्रदेश में उन्होंनें स्नातक की पढ़ाई की थी। उनके पिता हाजी सगीर अहमद पेशे से किसान थे। वहीं उनकी माता का जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया में हुआ था। गुलाम रसूल बलियावी जुलाई 2016 से जुलाई 2022 तक बिहार विधान परिषद के सदस्य रह चुके हैं। वह कौमी इत्तेहाद मोर्चा नाम गैर-लाभकारी संगठन के संस्थापक हैं। 

समझें इसके पॉलिटिकल मायने

राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में इस बार स्पष्ट हो गया है कि बीजेपी अपना जनाधार बढ़ाने के लिए पसमांदा मुसलमानों को भी शामिल करने का प्लान तैयार किया है। पार्टी के बड़े नेता जमीन पर पसमांदा मुसलमानों के बीच काम कर रहे हैं। साथ ही पार्टी का दावा है कि वह आजम खान के गढ़ रामपुर लोकसभा क्षेत्र में उपचुनाव में मिली जीत के पीछे पसमांदा मुसलमान ही हैं। 

शायद यही वजह है कि विपक्षी पार्टी बीजेपी की इस रणनीति से परेशान हैं और इस तरह के दांव को सरकार की कोशिशें फेल करने की कवायद माना जा रहा है । बजट सत्र के दौरान आईयूएमएल के सांसद अब्दुल वहाब ने राज्यसभा में सच्चर कमेटी की मांग की। जिसका स्वागत विपक्षी दलों ने भी किया। सच्चर कमेटी की सिफारिशें लागू करने के पीछे बीजेपी की पसमांदा रणनीति को फेल करने की कवायद है। इस बीच जेडीयू नेता गुलाम रसूल बलियावी ने भी इस मांग को तूल दे दी है। 

Created On :   15 Feb 2023 4:56 PM IST

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