सचिन पायलट और सीएम अशोक गहलोत को लेकर क्या सोचते हैं सियासत के जानकार? हाईकमान एक टेबल पर लाने का करेगा प्रयास, दोनों की लड़ाई में किसका फायदा
डिजिटल डेस्क, जयपुर। राजस्थान में इसी साल के अंतिम महीने में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। जिसको लेकर बीजेपी और कांग्रेस अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं। सत्ताधारी कांग्रेस जहां एक बार फिर चुनाव में जीत का दमभर रही है वहीं बीजेपी कांग्रेस का अंतिम कार्यकाल बता रही है। बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस प्रदेश में सरकार तब बनाएगी जब उसके अंदर सब कुछ ठीक रहेगा।
दरअसल, भारतीय जनता पार्टी का निशाना कांग्रेस के कद्दावर नेता और प्रदेश के मौजूदा सीएम अशोक गहलोत व सचिन पायलट के संबंध पर है। बता दें कि, इन दोनों नेताओं में आए दिन घमासान मचा रहता है। कभी सीएम गहलोत पायलट को नकारा बताते हैं तो कभी पायलट अपनी ही सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन करने लगते हैं। इस पूरे मामले को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि, अगर कांग्रेस पार्टी आंतरिक कलह को जल्द ही दुरुस्त नहीं किया तो पार्टी को बहुत ही बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। जिसका सीधा फायदा बीजेपी को आने वाले चुनाव में होगा।
कांग्रेस नहीं छोड़ेंगे पायलट?
आपको बता दें कि, कांग्रेस नेता सचिन पायलट और सीएम अशोक गहलोत में लड़ाई मुख्यमंत्री पद को लेकर है। पायलट समर्थकों का मानना है कि, साल 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने सचिन के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा था जिसकी वजह से पार्टी ने भाजपा के सम्राज्य को ध्वस्त करते हुए प्रचंड जीत हासिल की थी। लेकिन चुनाव जीतने के बाद सचिन पायलट को नहीं बल्कि अशोक गहलोत को सीएम बना दिया गया। तब से पायलट और अशोक गहलोत में जंग छिड़ी हुई है। पायलट समर्थकों का मानना है कि, भले ही कांग्रेस की ओर से वो आगामी चुनाव को लेकर सीएम फेस ना हो लेकिन सचिन पायलट कभी भी कांग्रेस नहीं छोड़ेंगे क्योंकि आज तक जो कुछ उन्हें मिला वो कांग्रेस पार्टी से ही मिला है।
पायलट-गहलोत को लेकर क्या सोचते हैं सियासी पंडित?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि, पायलट-गहलोत अगर आने वाले दिनों में राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर दोनों नेता एक दुसरे के साथ आ कर खड़े हो जाते हैं बिना किसी शर्त के तो, प्रदेश का चुनाव काफी दिलचस्प हो जाएगा। हालांकि, विश्लेषकों के मुताबिक, ऐसा कम ही लगता है कि गहलोत और पायलट एक छतरी के नीचे आकर दोनों बीजेपी के खिलाफ चुनावी बिगुल फूंकेंगे।
सियासी पड़ितों का माना है कि, साल 2020 से कांग्रेस नेता सचिन पायलट बीजेपी के किसी नेता के खिलाफ कम ही बयान देते हैं। जिसकी वजह से उनका बीजेपी में जाने की अटकलें लगती रहती है। वहीं बीजेपी भी पायलट छोड़ सीएम अशोक गहलोत पर ही हमलावर नजर आती है।
कांग्रेस कब बनाएगी रणनीति?
विश्लेषकों के मुताबिक, अगर कांग्रेस को एक बार फिर "हाथ का जादू" राजस्थान में चलाना है तो गहलोत-पायलट विवाद को जल्द ही शांत करना होगा। आपको बता दें कि, पार्टी हाईकमान दोनों नेताओं में समन्वय बनाने के लिए हर बार प्रयास करती है लेकिन अब तक किसी ठोस नतीजे तक नहीं पहुंच पाई है। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व अगर सचिन पायलट और अशोक गहलोत को एक टेबल पर ले आने में सफल हो जाता है तो शायद कुछ बात बन जाए लेकिन अभी तक कुछ ऐसा नहीं देखा गया है। वहीं दोनों नेताओं के बीच पार्टी आलाकमान थोड़ी देर के लिए बीच बचाव के लिए आता है लेकिन उसके बाद फिर चुप हो जाता है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब कांग्रेस के हाथ से सचिन पायलट निकल कर कहीं और चले जाएं। जिसके बाद से कांग्रेस को पछताना पड़े।
Created On :   30 April 2023 3:38 PM IST