डब्ल्यूबीएसएससी घोटाला: सीबीआई ने आयोग के 2 पूर्व अधिकारियों को गिरफ्तार किया

WBSSC scam: CBI arrests two ex-officers of the commission
डब्ल्यूबीएसएससी घोटाला: सीबीआई ने आयोग के 2 पूर्व अधिकारियों को गिरफ्तार किया
बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला डब्ल्यूबीएसएससी घोटाला: सीबीआई ने आयोग के 2 पूर्व अधिकारियों को गिरफ्तार किया

डिजिटल डेस्क,  कोलकाता। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने करोड़ों रुपये के शिक्षक भर्ती अनियमितताओं के मामले में बुधवार दोपहर पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) के दो प्रमुख पूर्व अधिकारियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए दो लोगों में डब्ल्यूबीएसएससी की विशेष स्क्रीनिंग कमेटी के पूर्व संयोजक शांति प्रसाद सिन्हा हैं, जिसे करोड़ों रुपये के घोटाले का केंद्र माना जाता है। इसके अलावा डब्ल्यूबीएसएससी के पूर्व सचिव अशोक साहा को गिरफ्तार किया गया है। मामले में जांच शुरू करने से पहले सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी में दोनों का नाम लिया गया था।

डब्ल्यूबीएसएससी घोटाले में सीबीआई की ये पहली गिरफ्तारी है। इससे पहले, घोटाले के संबंध में मनी-ट्रेल एंगल पर जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों ने इस सिलसिले में पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी को गिरफ्तार किया था। पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी दोनों फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।

सीबीआई सूत्रों ने कहा कि सिन्हा और साहा तथ्यों को दबाने और जांचकर्ताओं को गुमराह करने के लिए जानबूझकर प्रयास कर रहे हैं। सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा, दोनों को गुरुवार को एक अदालत में पेश किया जाएगा और हम आगे की जांच के लिए उनकी हिरासत की मांग करेंगे। पूरे घोटाले के तौर-तरीकों पर स्पष्ट विचार रखने के लिए हमें उनसे और पूछताछ करने की आवश्यकता है और विशेष रूप से विशेष स्क्रीनिंग समिति घोटाले में उपरिकेंद्र कैसे बनी, यह जानना जरूरी है।

न्यायमूर्ति रंजीत कुमार (सेवानिवृत्त) के नेतृत्व में कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा गठित न्यायिक समिति डब्ल्यूबीएसएससी विशेष स्क्रीनिंग समिति और सिन्हा को भर्ती अनियमितताओं की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए जिम्मेदार ठहराने वाली पहली संस्था थी। इस कमेटी ने यह भी पाया कि स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्य मेरिट लिस्ट के गलत इस्तेमाल के लिए जिम्मेदार थे। वास्तव में, न्यायिक समिति की रिपोर्ट वह महत्वपूर्ण कारक रही, जिसने कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल-न्यायाधीश पीठ को मामले में सीबीआई द्वारा जांच का आदेश देने के लिए प्रेरित किया।

घटनाक्रम का स्वागत करते हुए, पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता, सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि जो कुछ भी बरामद हुआ है वह घोटाले के पैसे का एक छोटा प्रतिशत है। उन्होंने कहा, जैसे-जैसे दिन बीतेंगे, सत्ताधारी दल के अधिक दिग्गज और अपराध में उनके सहयोगियों को केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों द्वारा हिरासत में लिया जाएगा और अधिक धन की वसूली की जाएगी। खबर लिखे जाने तक तृणमूल कांग्रेस के नेता इस मुद्दे पर चुप्पी साधे रहे।

 

 (आईएएनएस)

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Created On :   10 Aug 2022 8:30 PM IST

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