5 वें चरण के 12 जिलों की 61 विधानसभा सीटों पर 27 फरवरी को मतदान, योगी सरकार के दर्जनों मंत्रियों की किस्मत का फैसला
- पांचवा चरण पूरी तरह धार्मिक नगरियों पर टिका
डिजिटल डेस्क,लखनऊ। उत्तरप्रदेश के चौथे चरण का चुनाव खत्म हो गया है, बदलते मौसम के तापमान के साथ साथ यूपी में चुनावी टेम्परेचर लगातार बढ़ता जा रहा है। 27 फरवरी को यूपी के पांचवें चरण में अवध और पूर्वांचल के 12 जिलों की 61 विधानसभा सीटों पर वोटिंग होनी है। पांचवें चरण के चुनावी मैदान में उतरे 692 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला 27 फरवरी को होनी है।
पांचवें चरण पूरी तरह धार्मिक नगरियों पर टिका है। धार्मिक स्थल अयोध्या से लेकर प्रयागराज और चित्रकूट में सियासी संग्राम छिड़ा है। इन इलाकों में बीजेपी के लिए अपने किले को बचाने सबसे बड़ी चुनौती है। पांचवें चरण में सबसे बड़ी मुश्किल कांग्रेस के सामने अपने किले अमेठी रायबरेली को ध्वस्त होने से बचाना है। अमेठी की सीटों पर सियासी दलों की परीक्षा 27 फरवरी को होनी है।
इस चऱण में योगी सरकार के कई मंत्रियों की अग्नि परीक्षा होने जा रही है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य सिराथू से, कैबिनेट मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह पट्टी सीट से,कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह इलाहाबाद पश्चिम से प्रत्याशी हैं तो नागरिक उड्डयन मंत्री नंद गोपाल नंदी इलाहाबाद दक्षिण से, समाज कल्याण मंत्री रमापकि शास्त्री मनकापुर से, राज्यमंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय चित्रकूट सदन से,मंत्री मुकुट बिहारी की जगह उनके बेटे चुनावी मैदान में है। कुंडा से प्रतापगढ़ के रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया इस बार अपनी जनसत्ता पार्टी से चुनावी मैदान में है। पांचवें चऱण में केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की मां कृष्णा पटेल प्रतापगढ़ सदर और बहन पल्लवी पटेल सिराथू सीट से चुनावी मैदान में है। मां और बहन सपा गठबंधन के साथ है वहीं केंद्रीय मंत्री बीजेपी के साथ।
चुनावी मैदान में पति पत्नी
बहराइच की दो सीटों पर पति पत्नी एक ही पार्टी से चुनाव लड़ रहे है। ऐसे में दोनों जीतते है तो एक ही घर से दो विधायक सदन में पहुंचेगे। आपको बता दें बहराइच की मटेरा सीट से सपा ने अपने विधायक यासिर शाह की पत्नी मारिया शाह को उतारा है, वहीं विधायक यासिर शाह को बहराइच सदर से चुनावी मैदान में। पांचवें चरण की 61 सीटों पर मौजूदा 48 विधायक चुनावी मैदान में है। शेष 13 विधायकों के टिकट काट दिए गए थे।
पांचवें चरण में राम से जुड़े तीन प्रमुख धार्मिक स्थल अयोध्या, प्रयागराज और चित्रकूट के साथ श्रावस्ती में भी चुनाव है। श्रावस्ती जिला गौतम बुद्ध का तपस्थल है। पांचवा चरण बीजेपी की धार्मिक राजनीति का केंद्र बिंदू है, जिसका इम्तिहान होने वाला है। धार्मिक बयानों की चुनावी राजनीति में मुद्दे नजर नहीं आ रहे है। हिंदू मुस्लिम, ध्रुवीकरण, हिंदुओं के पलायन, किसान,गर्मी चर्बी बयान से होते हुए पांचवें चरण में चुनाव आतंकवादी होने तक पहुंच गई है। चुनावी प्रचार के शोरगुल में गैया चर गई वोट..जैसे नारे गूंज रहे है। एक तरफ बीजेपी राममंदिर का प्रचार कर रही है, उसके लिए पिछली बार की तरह की जातीय समीकरण को साधनी सबसे बड़ी समस्या मानी जा रही है। 2017 के विधानसभा चुनाव में दस जिलों की 60 में से 50 सीटें जीतने वाली बीजेपी की प्रतिष्ठा यहां दांव पर है। वहीं विपक्ष किसान बेरोजगारी के मुद्दों के सहारे बीजेपी के धार्मिक किले को भेदने में लगी है।सपा गठबंधन और बदलते सियासी समीकरण के आगे बीजेपी के लिए इस बार अपने नतीजो को दोहराना आसान नहीं है। वहीं बीएसपी अपने दलित ब्राह्मण वोटर के सहारे हिंदुत्व के धार्मिक गढ़ में अपने आप को स्थापित करने की फिराक में है। 2017 के चुनाव में बीएसपी को यहां एक भी सीट नहीं मिली। वहीं 2017 के नतीजों की बात की जाए तो 60 सीटों में से बीजेपी को 51 सीटें, बीजेपी के सहयोगी अपना दल (एस) ने दो और सपा ने पांच और कांग्रेस के खाते में एक सीट आई।
Created On :   24 Feb 2022 11:35 AM IST
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