उपराष्ट्रपति नायडू ने सांसदों से भारत को हेपेटाइटिस मुक्त बनाने में भूमिका निभाने का आह्रान किया
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के साथ गुरुवार को विश्व हेपेटाइटिस दिवस 2022 के अवसर पर सांसदों को हेपेटाइटिस के प्रति जागरूक करने के लिए एक कार्यक्रम की अध्यक्षता की। हेपेटाइटिस के मुद्दे पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त करते हुए, उपराष्ट्रपति ने सभी सांसदों से अपने निर्वाचन क्षेत्रों में हेपेटाइटिस मुक्त भारत का मुद्दा उठाने और अधिक प्रभाव और सामाजिक ताने-बाने को बदलने के लिए स्थानीय भाषाओं में संदेश फैलाने का आह्वान किया।
उपराष्ट्रपति ने जनता और नीति निर्माताओं में हेपेटाइटिस के बारे में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने यह इच्छा जताई कि नीति निर्माता और जनप्रतिनिधि अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में सभी स्तरों पर हेपेटाइटिस की रोकथाम का लोगों तक संदेश पहुंचाएं।
गुरुवार को संसद भवन में संसद सदस्यों के लिए विश्व हेपेटाइटिस दिवस के अवसर पर आयोजित जागरूकता सत्र में अपने मुख्य संबंधोन में उपराष्ट्रपति ने स्वच्छ भारत अभियान और टीबी मुक्त भारत अभियान की तरह वर्ष 2030 तक हेपेटाइटिस को समाप्त करने के अभियान को जन आंदोलन बनाने का आह्वान किया।
नायडू ने नीति निर्माताओं को सलाह दी कि हेपेटाइटिस उन्मूलन के अभियान जनता की स्थानीय भाषा में चलाया जाए ताकि इसकी अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सुनिश्चित हो। उन्होंने इस संबंध में सरकारी संदेशों में नवाचार किए जाने का आह्वान किया ताकि संदेश को आम आदमी के लिए भी सुलभ और समझने योग्य बनाया जा सके।
उन्होंने कहा कि भारत हालांकि सभी मोचरें पर वैश्विक रूप से मजबूत हो रहा है, लेकिन भारत को एक स्वस्थ और खुशहाल राष्ट्र बनाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने लोगों से आहार की बेहतर आदतें और शारीरिक रूप से सक्रिय जीवन शैली अपनाने का भी अनुरोध किया।
उपराष्ट्रपति ने हेपेटाइटिस अभियान को अपना लगातार संरक्षण प्रदान करने के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की प्रशंसा की और इस सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दे पर किए जा रहे निरंतर प्रयासों के लिए आईएलबीएस के डॉ. एस. के. सरीन और उनकी डॉक्टरों की टीम को भी धन्यवाद दिया।
हेपेटाइटिस के खिलाफ सामूहिक कार्रवाई का आह्वान करते हुए, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विविधता से भरे देश में संदेश के प्रसार में संसद द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। बिरला ने कहा, यह सुनिश्चित करना जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी है कि उनके निर्वाचन क्षेत्रों में हेपेटाइटिस रोगियों की निरंतर पहचान और निगरानी हो।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने भी लोगों को देश में हेपेटाइटिस की स्थिति से अवगत कराया और इस बीमारी को तेजी से खत्म करने की जरूरत बताई। प्रारंभिक अवस्था में हेपेटाइटिस के निदान में चुनौतियों को रेखांकित करते हुए, स्वास्थ्य मंत्री ने समय पर उपचार के लिए शीघ्र पता लगाने के महत्व पर प्रकाश डाला।
2030 तक एचआईवी, वायरल हेपेटाइटिस और यौन संचारित संक्रमणों को खत्म करने के उद्देश्य से 2022-2030 की अवधि के लिए नई वैश्विक स्वास्थ्य क्षेत्र की रणनीतियों पर जोर देते हुए, मंडाविया ने इस बात पर प्रकाश डाला कि हेपेटाइटिस बी से होने वाली मौतों की संख्या एचआईवी से होने वाली मौतों की संख्या से अधिक है।
उन्होंने कहा, इसलिए, पिछले कुछ वर्षों में, वायरल हेपेटाइटिस बी और सी वैश्विक स्वास्थ्य समस्या और मृत्यु का महत्वपूर्ण कारण बन गए हैं। दुनिया में एक दिन में लगभग 4,000 लोग वायरल हेपेटाइटिस से मर जाते हैं। भारत में लगभग 4 करोड़ लोग हेपेटाइटिस बी और सी संक्रमण से पीड़ित हैं।
मंडाविया ने राज्यों को लोगों की भागीदारी के साथ जन अभियान शुरू करने का आह्वान किया, ताकि नागरिकों और समुदायों को हेपेटाइटिस मुक्त भारत सुनिश्चित करने के लिए उत्साहित किया जा सके। उन्होंने सभी को हेपेटाइटिस के उन्मूलन के लिए एक मिशन मोड में काम करने और रोकथाम, परीक्षण और उपचार के त्रि-आयामी ²ष्टिकोण को अपनाकर इसे जन आंदोलन बनाने का सुझाव दिया। सभी सांसदों ने जागरूकता सत्र के दौरान हेपेटाइटिस से पीड़ित लोगों के साथ भेदभाव नहीं करने और इस बीमारी के खिलाफ लोगों को सशक्त बनाने में योगदान देने का भी संकल्प लिया।
(आईएएनएस)
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Created On :   28 July 2022 1:30 PM GMT