अब राजनीति में आना चाहते है अयोध्या के संत
डिजिटल डेस्क, अयोध्या। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से प्रेरित होकर, अब अयोध्या के संत राजनीतिक में कदम रखना चाहते हैं। हनुमान गढ़ी मंदिर के पुजारियों में से एक महंत राजू दास और तपस्वी जी की छावनी के महंत परमहंस दास उन प्रमुख संतों में शामिल हैं, जो वीआईपी निर्वाचन क्षेत्र अयोध्या (सदर) विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं। भाजपा के वेद प्रकाश गुप्ता इस सीट से मौजूदा विधायक हैं और 2022 के टिकट के दावेदार भी हैं।
राम जन्मभूमि, जहां एक भव्य राम मंदिर निर्माणाधीन है, इस निर्वाचन क्षेत्र में है। महंत परमहंस दास ने कहा कि मैंने अयोध्या विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया है। मैं भाजपा से टिकट मांग रहा हूं। अगर पार्टी टिकट से इनकार करती है, तो मैं एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल करूंगा।
अपने एजेंडे के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि मौलवियों को वेतन मिलता है, तो संतों को भी वेतन मिलना चाहिए। परमहंस दास अक्सर विरोध प्रदर्शन करने और विवादित बयान देने के लिए चर्चा में रहे हैं। नवंबर 2019 में अयोध्या टाइटल सूट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से एक साल पहले, परमहंस दास ने घोषणा की थी कि अगर केंद्र सरकार अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाने में विफल रही तो वह अंतिम संस्कार की चिता पर बैठकर आत्मदाह कर लेंगे।
महंत राजू दास भी समानांतर राजनीतिक करियर के इच्छुक हैं और उन्होंने इस संबंध में भाजपा के शीर्ष नेताओं से भी बात की है। हालांकि, राम लला मंदिर के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास संतों के सक्रिय राजनीति में आने के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि नीति (नीतियां) दो हैं-राजनीति (राजनीति) और धर्मनीति (धर्म)। जो लोग धर्मनीति में हैं, उन्हें राजनीति में हिस्सा नहीं लेना चाहिए। ये दो अलग-अलग क्षेत्र हैं।82 वर्षीय सत्येंद्र दास, पूर्व संस्कृत व्याख्याता हैं और पिछले 28 वर्षों से अस्थायी राम जन्मभूमि मंदिर में राम लला की पूजा कर रहे हैं।
उन्होंने हाल ही में कहा था कि यह एक अच्छा फैसला था कि योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या सीट से चुनाव नहीं लड़ा। स्वामी अविमुक्ते श्वरानंद ने इस सप्ताह की शुरूआत में कहा था कि संतों को मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहिए। द्रष्टा ने योगी आदित्यनाथ के स्पष्ट संदर्भ में कहा कि कोई भी व्यक्ति दो प्रतिज्ञाओं का पालन नहीं कर सकता है। एक संत महंत हो सकता है लेकिन मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री नहीं हो सकता है। इस्लाम की खिलाफत प्रणाली में यह संभव है जिसमें धार्मिक मुखिया भी राजा होता है।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास के उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास भी संतों के चुनाव लड़ने के खिलाफ हैं। अयोध्या जिले में अयोध्या (सदर), रुदौली, मुल्कीपुर, बीकापुर और गोसाईगंज पांच विधानसभा सीटें हैं। 2017 के चुनावों में इन सभी में बीजेपी ने जीत हासिल की थी। समाजवादी पार्टी ने इस सीट से तेज नारायण पांडे को मैदान में उतारा है। पांचवें चरण में 27 फरवरी को अयोध्या में मतदान होना है।
आईएएनएस
Created On :   28 Jan 2022 11:00 AM IST